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Vastu Tips: घर की मिट्टी कैसे तय करती है कि घर शुभ है या अशुभ

By April 12, 2023December 6th, 2023No Comments
House Soil

अपना घर हर व्यक्ति का सपना होता है। एक घर को खरीदने में व्यक्ति की पूरी उम्र की जमा पूंजी लग जाती है। पर अफसोस घर बनाने का यह सपना कुछ ही लोगों का पूरा हो पाता है। हम सब यह तो जानते है कि घर बनाने में ईंट, पत्थर, लोहा आदि साम्रगियों का उपयोग होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि इन तत्वों में भी एक तत्व ऐसा है। जिसके बिना कोई भी घर अधूरा माना जाता है। जी हां वह तत्व मिट्टी है। प्रमुख ज्योतिषियों और विज्ञान को मानने वालों का कहना है। कि घर की मिट्टी न सिर्फ गृह निर्माण में काम आती है। बल्कि यह घर का वास्तु शास्त्र सुधारने का भी काम करती है।

Hindi CTR

ज्योतिषियों से जानिए कि वास्तु के अनुसार घर क्यों बनाना चाहिए-

घर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञों का मानना है। कि वास्तु के अनुसार घर बनाने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते है।

-यदि आपका घर किसी ऐसी जगह पर बना है। जहां पेड़-पौधे, नदी या तालाब है। तो यह घर के लिए उचित अवस्था मानी जाती है। क्योंकि ऐसी जगहों पर रहने से आप पर्यावरण के संपर्क में रहते है और सारी नकारात्मक ऊर्जा आपसे दूर रहती है।

-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर अगर उत्तर पूर्व दिशा में बना है। तो इससे व्यक्ति के लिए सौभाग्य के द्वार खुलते है। क्योंकि वास्तु शास्त्र में यह दिशा घर के लिए बहुत शुभ मानी गई है।

– घर के आंगन में तुलसी का पौधा होना वास्तु के अनुसार घर में एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है।

-वास्तु के अनुसार घर बनाने से व्यक्ति अपने भविष्य में होने वाली बुरी घटनाओं से बचा रहता है।

-इसके अलावा कुछ वास्तु विशेषज्ञों का मानना है। कि वास्तु के अनुसार बने हुए घर में कभी विवाद, क्लेश नहीं होता और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।

Vastu Tips For House

वास्तु के अनुसार घर बनाने से पहले मिट्टी का चयन करना क्यों है जरूरी-

प्रमुख वास्तु शास्त्रियों का अनुसार घर बनबाते समय मिट्टी की जांच अवश्य करनी चाहिए। अगर आप बिना सोचे समझे किसी भी मिट्टी से अपने घर का निर्माण करते है। तो आपको भविष्य में हानि उठानी पड़ सकती है। आइए जानते है। वास्तु के मुताबिक घर बनवाते समय कौन सी मिट्टी का चयन करना है लाभकारी।

लाल मिट्टी/क्षत्रिय मिट्टी-

-वास्तु में गृह निर्माण की नींव में लाल मिट्टी/क्षत्रिय मिट्टी का इस्तेमाल करना बहुत शुभ बताया गया है।
-स्वाद में कसैला होने के साथ साथ। इस मिट्टी की गंध भी बहुत तीखी होती है।
– अत: इस मिट्टी से बने घर में जो लोग रहते है। वह स्वभाव से बाहुवली होती है।
-इसके अलावा इस मिट्टी से बने घर में रहने वाले लोग भविष्य में कोई उच्चा सरकारी पद हासिल करते है।

सफेद मिट्टी/ब्राह्मणी मिट्टी-

-अपने श्वेत रंग के कारण वास्तु में इस मिट्टी को बहुत लाभकारी माना जाता है।
– अपने प्राकृतिक सौंधी सुगंध के कारण यह मिट्टी व्यक्ति में शांति तत्व उत्पन्न करती है।
-इसके साथ ही इस मिट्टी में ब्राह्मणीय तत्व भी होते है। जो व्यक्तियों में धार्मिक भावना का निर्माण करते है।
-फलस्वरूप व्यक्ति का झुकाव अध्यात्म की ओर होने लगता है। अपने इसी गुण के कारण इस मिट्टी को ब्राह्मणीय मिट्टी कहा जाता है।
– इस मिट्टी का स्वाद मीठा होता है।
-इस मिट्टी से बने घर में रहने वाले लोग जन्म से ही बुद्धिजीवी और आध्यात्मिक होते है।

काली मिट्टी/रेगुर मिट्टी-

– भले ही इस मिट्टी का रंग काला हो। लेकिन वास्तु शास्त्र में यह मिट्टी व्यक्ति के लिए काफी फलदायी बताई गई है।
-हालांकि स्वाद में यह कड़वी और तीखी होती है। लेकिन काली मिट्टी पर बने भवन वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में बहुत शुभ माने जाते है।
-ऐसी मिट्टी से बने घर में रहने वाले लोग स्वभाव से मेहनती होते है।
– कृषि विज्ञान की भाषा में काली मिट्टी को रेगुर और कपास मिट्टी भी कहते है।

Black Soil

पीली मिट्टी-

-वास्तु शास्त्र में पीली मिट्टी को व्यापारिक गुणों से जोड़कर देखा जाता है।
-इस मिट्टी से बने घर में रहने वाले लोगों में व्यापारी बनने की अद्भुत क्षमता होती है।
-इसके अलावा यह इस बात की ओर भी संकेत करता है। इस मिट्टी से बने भवन में रहने वाले लोग, आने वाले समय में अपने व्यापार को विदेशों तक फैलाने का दम रखते है। जिसमें वह सफल भी होते है।

रेतीली मिट्टी-

-वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण के लिए रेतीली मिट्टी को अशुभ बताया गया।
-अपने रेतीले स्वभाव के कारण यह व्यक्ति में भी रेत जैसे आलसी तत्वों का निर्माण करती है। जिस कारण व्यक्ति हर क्षेत्र में पीछे रह जाता है।
-क्योंकि ऐसी मिट्टी से बने घर की नींव मजबूत रहती है और न इस मिट्टी से बने घर में रहने वाले लोगों के बीच आपसी नींव मजबूत होती है।

वास्तु शास्त्र के मुताबिक कैसे की जाती है भूमि की जांच-

प्राय: कोई भी मकान बनाते या खरीदते समय हम भूमि की जांच अवश्य करते है। क्योंकि भूमि की जांच करने से ही पता चलता है। कि उस भूमि पर रहने वाले लोगों का जीवन किस तरह से प्रभावित होगा। आइए जानते है वास्तु के अनुसार कैसे की जाती है भूमि की जांच।

बीज परीक्षण-

भवन निर्माण करने से पहले बीज परीक्षण किया जाता है। जिसमें मिट्टी के अंदर एक बीज बोया जाता है। कुछ समय पश्चात अगर वह बीज अंकुरित होता है। तो ऐसी मिट्टी पर भवन निर्माण करना वास्तु शास्त्र के मुताबिक बहुत शुभ माना जाता है।

Seed Test

गड्ढे से भी की जा सकती है भूमि की जांच-

इस प्रयोग में व्यक्ति अपनी कनिष्ठा उंगली से लेकर अपनी कोहनी तक एक गड्ढे का निर्माण करता है। खुदाई में निकली हुई मिट्टी को उसी गड्ढे में दोबारा भरा जाता है। प्रमुख वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार यदि मिट्टी गड्ढे में भरते वक्त कम पड़ जाए तो यह हानि का संकेत होता है। अगर मिट्टी बराबर रहे तो न ज्यादा लाभ होती न हानि। लेकिन यदि मिट्टी गड्ढे से ऊपर आ रही हो तो इसे वास्तु में सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। अत: ऐसी मिट्टी पर ही घर बनाना चाहिए।

मिट्टी का चयन-

घर बनाते समय मिट्टी का चयन करना भी बहुत जरूरी होता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार अगर काली, लाल, ब्राह्मणी मिट्टी पर भवन का निर्माण किया जाता है। तो यह बहुत फलदायी साबित होती है। इसके अलावा रेगुर और चिकनी मिट्टी को भवन निर्माण के लिए अन उपयुक्त बताया गया है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. वास्तु शास्त्र में कितने प्रकार के वास्तु का उल्लेख मिलता है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार चार प्रकार के वास्तु होते है। जिसमें भूमि, देवालय, यान एवं शयन प्रमुख है।

2. क्या होते है वास्तु दोष के लक्षण?

हमेशा नकारात्मक महसूस करना, हमेशा बीमार रहने की स्थिति, परिवार में हमेशा तनाव का माहौल रहना आदि।

3. घर में कौन सी चीजें रखने से खराब होता है वास्तु?

मुरझाए फूल, टूटी हुई मूर्तियां, प्रेम का प्रतीक ताजमहल की तस्वीर को घर की दीवारों पर लगाना आदि।

4. वास्तु शास्त्र से आप क्या समझते है?

यह एक ऐसी विधा है। जिसे कोई भी व्यक्ति भवन निर्माण कराते समय जरूर उपयोग में लाता है। इसलिए इसे मुख्यत: भवन निर्माण से जोड़ा जाता है।

5. वास्तु शास्त्र के पिता किसे कहा जाता है?

विश्वकर्मा को वास्तु शास्त्र के पिता के रूप में जाना जाना है। इसलिए हिंदू प्रथा में विश्वकर्मा पूजा को बड़े धूमधाम से मनाने का चलन है।

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