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उत्पन्ना एकादशी के व्रत और पूजा से होगी हर मनोकामना पूर्ण

By November 8, 2022December 4th, 2023No Comments
Utpanna Ekadashi 2022

हिन्दू पंचांग के अनुसार पूरे वर्ष में 24 एकादशी होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक माह में 2 एकादशी आती हैं। 1 शुक्ल पक्ष की ग्यारहवी तिथि को। और 1 कृष्ण पक्ष की ग्यारहवी तिथि को। हिन्दू धर्म में एकादशी अथवा ग्यारस के व्रत का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि एकादशी के दिन उपवास करने से साधक की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
मार्गशीष अथवा अगहन माह की कृष्ण पक्ष की ग्यारस को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। आइये पढ़ते हैं उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त और व्रत की पूजा विधि –

उत्पन्ना एकादशी 2022

अगहन मास में कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 19 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी। और 20 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिषों के अनुसार 19 नवम्बर को ही उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखना चाहिये।

Utpanna Ekadashi date

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

आइये पढ़ते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा –

पद्मपुराण में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से उत्पन्ना एकादशी तिथि की उत्पत्ति के बारे में पूछा। श्री कृष्ण ने बताया कि सतयुग में मुर नाम का एक भयंकर राक्षस था। वह देवराज इन्द्र को पराजित करके स्वर्ग पर राज करने लगा था। मुर राक्षस से परेशान होकर सारे देवी देवतायें नारायण से सहायता मांगने क्षीर सागर पहुंचे। वहां शेषनाग की शय्या पर श्री हरि विष्णु योग-निद्रालीन थे। देवराज इन्द्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। देवताओं के अनुरोध पर श्री हरी ने उस अत्याचारी दानव मुर पर आक्रमण करने का निश्चय किया। परन्तु कई असुरों का वध करने के बाद भी नारायण को मुर राक्षस नहीं मिला।

नारायण और मुर का युद्ध कई वर्षो तक चलता रहा। एक दिन थक हारकर विष्णु भगवान बदरिकाश्रम चले गए। वहां एक बारह योजन लम्बी सिंहावती गुफा में वे आराम करने लगे। दानव मुर भी भगवान विष्णु को मारने के उद्देश्य से उस गुफा में पहुंचा। निद्राकालीन नारायण को देखकर मुर आक्रमण करने ही वाला था कि विष्णु के शरीर से दिव्य अस्त्र-शस्त्रों वाली एक अत्यंत रूपवती कन्या उत्पन्न हुई। उस कन्या ने दानव मुर का वध कर दिया। कन्या के इस साहस को देखकर विष्णु भगवान प्रसन्न हुए। उस कन्या का नाम एकादशी था और चूँकि वे भगवन विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुईं थी, उनका नाम उत्पन्ना एकादशी हो गया। श्री हरि ने उत्पन्ना एकादशी को मनोवांछित वरदान दिया और उसे अपनी प्रिय तिथि घोषित कर दिया। इस पौराणिक कथा के चलते उत्पन्ना एकादशी व्रत अत्यंत ही पवित्र व फलदायी माना जाने लगा। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत अत्यंत ही आवश्यक है।

Krishna ji: Utpanna Ekadashi vrat katha

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उत्पन्ना एकादशी की पूजा की विधि

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि इस प्रकार है –
एकादशी से एक दिन पूर्व यानि की दशमी तिथि की रात्रि से ही अन्न का त्याग कर दिया जाता है। यदि यह संभव ना हो तो केवल सात्विक आहार ही लें। मांसाहारी भोजन, मदिरा आदि से परहेज़ करें।
एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की आराधना करें। इसके बाद घर के मन्दिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। विधि विधान से उनकी पूजा करें – कुमकुम, अक्षत, पीले रंग के फूल अर्पित करें। तत्पश्चात मिठाई व फल का भोग लगायें। अंत में धूप दीप जलाकर आरती करें।
संध्या होते ही दीपदान करें। और पुनः विष्णु भगवान का स्मरण करें। पूरे दिन अन्न का त्याग करके रात्रि में फलाहार का सेवन करें।
इस प्रकार उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि संपन्न हो जाएगी।

Utpanna Ekadashi puja vidhi

एकादशी व्रत से लाभ –

जो मनुष्य नियमित रूप से एकादशी उपवास करता है, उसे मरणोपरांत स्वर्ग प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से शारीरिक रोगों व मानसिक विकारों से भी छुटकारा मिलता है।
एकादशी के समान फलदायी व्रत दूसरा कोई नहीं है। एकादशी व्रत का पालन करने से सौ गायों का दान करने बराबर पुण्य मिलता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन किया गया दान तीर्थ यात्रा और अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्रदान करता है।
एकादशी उपवास करके रात्रि-जागरण करने से साधक को भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है।
यदि कोई व्यक्ति उपवास करने में असमर्थ है तो उसे कम से कम अन्न का त्याग अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत में अन्न का सेवन करने से मनुष्य पाप में भागीदार बनता है। अतः फलाहार करें।
इस व्रत को करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। और बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं।

ekadashi vrat

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. उत्पन्ना एकादशी कब आती है ?

मार्गशीर्ष अथवा अगहन माह में 2 एकादशी आती हैं – कृष्ण पक्ष की ग्यारस को उत्पन्ना एकादशी और शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मोक्षदा एकादशी। अतः उत्पन्ना एकादशी अगहन मास में आती है|

2. वर्ष 2022 में उत्पन्ना एकादशी कब है ?

वर्ष 2022 में मार्गशीर्ष अमावस्या 19 नवम्बर को है|

3. क्या है उत्पन्ना एकादशी की कथा ?

इस दिन भगवान विष्णु ने स्त्री रूप में उत्पन्न होकर मुर नामक राक्षस का संहार किया था।

4. एकादशी व्रत का महत्व क्या है ?

एकादशी के दिन उपवास करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है की इस दिन व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्त होता है। एकादशी का व्रत 100 गौदान से भी बढ़कर होता है।

5. एकादशी व्रत की पूजन विधि क्या है ?

एकादशी तिथि को सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। श्री हरि विष्णु को नमन करें। इसके बाद घर के मन्दिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उनकी विधि विधान से पूजा करें – कुमकुम, अक्षत, पीले रंग के फूल चढ़ाएं। इच्छानुसार मिठाई व फल का भोग लगायें। अंत में धूप जलाएं। और घी का दीपक जलाकर आरती करें।संध्या के समय दीपदान करें। और श्री हरि विष्णु की आराधना करें। पूरे दिन अन्न का त्याग करके रात्रि में फलाहार करें।

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Yashika Gupta

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