ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों और उनकी प्रकृति व स्थिति से हमारे मन तथा शरीर पर प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की स्थिति हमारे स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब कुंडली का कोई ग्रह पीड़ित होता है, तब इसका असर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
शरीर के मानसिक विकार
आमतौर पर शारीरिक रोगों का इलाज आसानी से हो जाता है। परंतु मानसिक बीमारियों का निवारण करना कठिन होता है। मानसिक समस्याओं से पीड़ित ज्यादातर लोग चिकित्सक के पास जाने से बचते हैं। ये लोग अपनी स्थिति को दूसरों के सामने छुपाते भी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे समाज में मानसिक रोगियों को बुरी नजरों से देखा जाता है।
परंतु क्या आप जानते हैं कि मानसिक रोगी होना कोई शर्म की बात नहीं। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में कुछ ग्रहों की स्थिति बिगड़ने से मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। और इसके लिए ज्योतिष उपाय भी बताये गये हैं। आइये पढ़ते हैं इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषियों से मानसिक स्वास्थ्य और ज्योतिष शास्त्र का संबंध।
मानसिक विकार के लक्षण
भ्रम, बेचैनी, बेतुकापन, भय या अनिद्रा जैसी समस्याएं होना। तीव्र अवसाद होना। हमेशा नकारात्मक विचारों से घिरे रहना। जीवन जीने की आशा पूरी तरह से समाप्त हो जाना। उत्साह खत्म करके निराशावादी बन जाना। सिज़ोफ्रेनिया होना – भूलने की बीमारी
वैदिक ज्योतिष में मानसिक स्वास्थ्य
वैदिक ज्योतिष की सहायता से हम मानसिक रोगों के लक्षणों को पहचान सकते हैं। हम यह पता लगा सकते हैं कि मानसिक विकार होने से पहले किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए। यहाँ तक कि मानसिक विकार रोकने के लिए उपाय भी बताए जा सकते हैं।
चंद्रमा, बुध और बृहस्पति
चंद्रमा ग्रह मन का प्रतीक होता है। बुध ग्रह स्थिति और सुधार का प्रतिनिधित्व करता है। बृहस्पति ग्रह ज्ञान का स्वामी होता है। अतः जब ये ग्रह पीड़ित होते हैं, तब मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद और अन्य गंभीर मानसिक विकार होने की संभावना बढ़ जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार ग्रह
मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले ग्रह चन्द्रमा और बुध होते हैं। इसके अतिरिक्त बृहस्पति ग्रह भी मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। यह ग्रह मनुष्य की मानसिक सेहत से जुड़े हुए हैं। जब ये ग्रह बुरी अवस्था में होते हैं तब हमारे मन में मानसिक विकृतियों को जन्म देते हैं।
ग्रह की विभिन्न स्थितियों से प्रभावित होता है मानसिक स्वास्थ्य
ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों की अलग-अलग स्थिति से मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। जन्म कुंडली में पांचवा घर पीड़ित हो तब भी मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। पांचवा घर मानसिक बुद्धि और रचनात्मकता का प्रतीक होता है।
जन्म कुंडली में राहु लग्न भाव में स्थित हो या चंद्रमा पर राहु की दृष्टि हो, तब भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
जब चंद्रमा खराब स्थिति में हो ?
- कुंडली में चंद्रमा की बुरी स्थिति से मानसिक विकास रुक जाता है। और मन में चिंता और अवसाद बना रहता है।
- चंद्रमा से हमारा मन, व्यवहार और भावना नियंत्रित होती हैं। चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रह है। अतः हमारे जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।
- चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से समुद्र में ज्वार आता है। यह मनुष्य के भावनात्मक उतार-चढ़ाव का संकेत है। अगर आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो इससे आपकी सोचने की क्षमता खत्म हो जाएगी। इससे आपकी मानसिक शक्ति भी कमजोर हो सकती है।
- जब राहु-केतु या शनि जैसा कोई अशुभ ग्रह है चंद्रमा पर द्रष्टि डालता है, तब मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि चंद्र कुंडली के किसी अशुभ भाव जैसे कि छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है तो मानसिक असमानताएं पैदा हो सकती हैं।
जब बुध खराब स्थिति में हो ?
- बुध ग्रह के कमजोर होने से जातक बेचैन और क्रोध से पीड़ित जाता है। ज्योतिष शास्त्र में बुध तेज स्मृति और संचार कौशल का प्रतीक होता है। अतः कमजोर बुध होने से जातक के मन-मस्तिष्क पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- इससे भूलने की बीमारी और ओसीडी (ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर) जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
- बुध की खराब स्थिति से आप सनकी बन सकते हैं। यदि यह स्थिति अनियंत्रित हो जाती है तो आपके सोचने-समझने की शक्ति बहुत हद तक रुक जाती है।
- व्यवहार संबंधी समस्याएं (behavioural issues) से आपके रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो सकता है। इससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अशांति आ जाती है।
जब बृहस्पति ग्रह पीड़ित हो ?
- बृहस्पति ग्रह ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह बुद्धि और आध्यात्मिकता का कारक ग्रह है।
- परंतु जब बृहस्पति पीड़ित हो जाये तो मानव के मन में एकाग्रता, विश्वास और आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। कमजोर आत्मविश्वास और बुद्धि से मानव गलत निर्णय लेता है। इसके परिणामस्वरूप कई बार वित्तीय नुकसान भी हो सकता है।
- अशुभ बृहस्पति से व्यक्ति के मन में अशांति पैदा होती है। इससे एक प्रकार की अराजकता आती है। जो तनाव पैदा करती है। तनाव बढ़ने की वजह से अन्य बीमारियां होने की भी संभावना बढ़ जाती है।
मानसिक विकारों को दूर करने के कुछ उपाय
- किसी भी प्रकार के नशे, शराब आदि का सेवन ना करें।
- मानसिक रोग संक्रामक नहीं होते इसलिए बेकार की चिंता ना करें।
- मानसिक रोगी को आत्महत्या के दर से बचायें।
- मानसिक समस्याओं का समाधान खोजने में ज्योतिष शास्त्र की सलाह और सहायता ली जा सकती है।
- कुछ मानसिक विकारों का पूरी तरह से इलाज होना संभव नहीं होता। अतः परेशान ना हों।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. मानसिक स्वास्थ्य के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं?
2. मानसिक विकार के लक्षण क्या होते हैं?
3. चंद्रमा, बुध और बृहस्पति ग्रह किसके स्वामी होते हैं ?
4. ग्रह की किन स्थितियों से मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है?
5. क्या मानसिक रोगों को ठीक किया जा सकता है?
और पढ़ें – जानिए छींक आना शुभ होता है या अशुभ?
इस प्रकार की रोचक जानकारी और कुंडली में उपस्थित दोषों को समाप्त करने के उपाय जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।