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Aadi Amavasya 2023: इस दिन करें अपने पितरों का ध्यान, मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति

By July 26, 2023December 15th, 2023No Comments

आदि अमावस्या तमिल लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आदि अमावस्या तमिल महीने आदि महीने में आती है। यानि कि जुलाई और अगस्त के बीच में आदि अमावस्या तिथि पड़ती है। आदि अमावस्या 2023 के दिन तमिल के लोग अपने पूर्वजों या पितरों का नदी में पितृ तर्पण, श्राद्ध आदि करते हैं। यह दिन स्नान के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। आदि अमावस्या के दिन अधिकतर हिन्दू इस दिन तमिलनाडु जाकर अपने पूर्वजों को सम्मान देते हुए श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं और वहां की पवित्र नदियों, तालाबों और कुंडों में स्नान करते हैं।

आदि अमावस्या 2023 के दिन भक्त पूर्वजों के श्राद्ध के लिए रामेश्वरम में अग्नि तीर्थ के लिए जाते हैं। कन्याकुमारी में त्रिवेणी संगम के लिए जाते हैं, इसके पश्चात इस दिन लोग कावेरी नदी पर अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए भी जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस दिन स्नान का महत्व इतना अधिक होता है की, व्यक्ति को उसके पाप कर्मो से मुक्ति मिल जाती है साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। आदि अमावस्या के दिन व्रत भी किया जाता है।

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आदि अमावस्या तिथि और समय

आदि अमावस्या 15 अगस्त 2023 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। 15 अगस्त को दोपहर के 12 बजकर 03 मिनट पर शुरू हो जाएगी और 16 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 01 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

आदि अमावस्या पूजा विधि

आदि अमावस्या के दिन स्नान और पितृ तर्पण के अलावा आप अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए व्रत भी रख सकते हैं। और यह व्रत आप भगवान मुरुगा को ध्यान में रख कर कर सकते हैं। इस प्रकार करें व्रत की पूजा-

  • तमिलनाडु की पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात नदी में खड़े होकर ही सूर्य को एक ताम्बे के लोटे में जल अर्पित करें।
  • नदी के पानी को हाथ में लेकर उससे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए व्रत करने का प्रण लेना चाहिए।
  • इसके बाद पवित्र नदी के किनारे पर किसी ब्राह्मण से पितरों का श्राद्ध या पितृ तर्पण कराएं।
  • सम्पूर्ण दिन का व्रत करें और इस व्रत में एक समय भोजन भी किया जा सकता है। गरीबों को वस्त्र और अन्न दान करें।
  • पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ व्रत करने से आपको अपने पूर्वजों का और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होगा साथ ही आपको मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होगी।

आदि अमावस्या का महत्व

आदि अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष में भी आदि अमावस्या का महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार आदि अमावस्या के पर सूर्य ग्रह और चंद्रमा ग्रह एक ही राशि में गोचर करते हैं। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में सूर्य को पिता का और आत्मा का प्रतीक माना जाता है। लेकिन दूसरी और कुंडली में मौजूद चन्द्रमा ग्रह को माता और मन का प्रतीक माना जाता है। आदि अमावस्या के दौरान सूर्य और चन्द्रमा कर्क राशि में गोचर करते हैं। इसके अलावा सूर्य ग्रह आदि अमावस्या के समय दक्षिणायन करता है। दक्षिणायन का अर्थ होता है सूर्य ग्रह का दक्षिण दिशा में यात्रा करना।

आदि अमावस्या के पितरों का श्राद्ध करके उन्हें प्रसन्न करने का अधिक महत्व होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आदि अमावस्या पर श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने लोगों से प्रसन्न हो जाते हैं। इस कारण की वजह से घर में पितृ दोष नहीं लगता है। आदि अमावस्या के अनुष्ठान करने से घर में भी शांति बनी रहती है। इस दिन खीर बनाकर घर के पूर्वजों को निकलने से भी लाभ मिलता है। आप खीर पवित्र नदी के घाट पर भी प्रसाद स्वरूप बाँट सकते हैं। इस दिन तमिलनाडु की पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप और बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। इसलिए आदि अमावस्या का महत्व अधिक बताया गया है।

आदि अमावस्या की कथा

हिंदुओं के पौराणिक ग्रन्थ महाभारत के अनुसार जितने भी मनुष्यों का जन्म इस धरती पर होता है उन सभी की आत्माओं पर तीन देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ऋण होता है। इन तीनों ऋणों में से एक ऋण होता है पूर्वजों का ऋण। पितृ ऋण भगवान ब्रह्मा का ऋण माना जाता है। यदि आदि अमावस्या के दिन तमिलनाडु की पवित्र नदी के घाट पर विधि- विधान के साथ पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है। तो भगवान ब्रह्मा का ऋण खत्म हो जाता है।

आदि अमावस्या मनाने के लाभ

आदि अमावस्या के अनुष्ठान करने के अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं आदि अमावस्या मनाने के लाभ-

  • आदि अमावस्या के दिन पितृ तर्पण या पितरों का श्राद्ध करने से आपके पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है। आपके घर में कभी पितृ दोष लगता है। साथ ही सुख- शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • आदि अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से आपके पिछले और इस जन्म के सभी पाप नष्ट होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • आदि अमावस्या के अनुष्ठान करने से आपके जीवन में खुशियां आती हैं और आर्थिक रूप से आप समृद्धि हासिल करते हो।
  • आपके पूर्वज अपनी मुक्ति से पहले आपको आशीर्वाद देकर जाते हैं, जिससे आपका घर फलता फूलता है। और यदि घर को कोई पुराना श्राप लगा है तो उससे भी मुक्ति मिलती है।
  • हिन्दुओं के पौराणिक शास्त्र गरुड़ पुराण में वर्णित किया गया है कि, आदि अमावस्या के दिन पितरो को तिल में जल मिला कर अपने पितरो का ध्यान करने के बाद सूर्य की तरफ मुँह करके अर्पित करने से पितरो से संतान प्राप्ति, दुश्मनों से मुक्ति, दीर्घायु, सफलता और कर्जे से छुटकारे का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • इस दिन व्रत करने से भगवान मुरुगा को प्रसन्न किया जा सकता है। यह व्रत भगवान मुरुगा के लिए और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी किया जाता है।

आदि अमावस्या के दिन क्या करें?

  • आदि अमावस्या के दिन तमिलनाडु जाकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व है, आपको यह करना चाहिए।
  • आदि अमावस्या के दिन अपने सभी पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए ताकि उनकी आत्मा को मुक्ति मिल सके और वे मोक्ष की प्राप्ति करें।
  • आदि अमावस्या के दिन व्रत भी रखा जाता है। आप यदि चाहे तो यह व्रत कर सकते हैं इस व्रत में एक समय का भोजन किया जा सकता है। नहीं तो निर्जला भी कर सकते हैं।
  • आदि अमावस्या के दिन आप अपने पूर्वजों के नाम से गरीबों को दान भी कर सकते हैं। वस्त्र, अन्न और जरूरत की चीजों का दान किया जा सकता है। इस दिन गरीबों को उनके नाम से दान करने से पूर्वज खुश होते हैं।
  • आदि अमावस्या के दिन खीर बना कर सभी पूर्वजों के नाम से अलग निकल कर रख दें और बाद में गाय को अपने हाथों से खिला दें, ऐसा करने से आपको देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

आदि अमावस्या के दिन क्या नहीं करें?

  • आदि अमावस्या के दिन घर में लड़ाई झगड़ा न करें और शांति से पवित्र नदी के घाट पर जाएँ।
  • इस दिन अपने घर के बड़े पूर्वजों के बारे में कुछ भी बुरा या गलत न सोचें उनकी अच्छी बाते और अच्छे विचारों के बारे में ही सोचना चाहिए।
  • आदि अमावस्या के अनुष्ठान करते समय अपने मन में किसी भी तरह का मनमुटाव न रखें और न ही मन में गंदे विचारों को और क्रोध को उत्पन्न होने दे।
  • इस दिन किसी भी प्रकार का मांस, मदिरा और तामसिक भोजन जैसे प्याज, लाल मिर्च, लहसुन, बैंगन आदि को नहीं खाएं। सूर्य देव को जल अर्पित करना न भूलें।
  • आदि अमावस्या पर अपने घर के बड़ों का अनादर न करें और न ही उनकी किसी बात को अनदेखा करें ऐसा करने से आपको कोई लाभ जीवन में प्राप्त नहीं होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. आदि अमावस्या कब है?

आदि अमावस्या 15 अगस्त 2023 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।

2. आदि अमावस्या किस लिए मनाई जाती है?

आदि अमावस्या पर पितृ तर्पण या पितरों का श्राद्ध किया जाता है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान भी किया जाता है।

3. आदि अमावस्या पर किस भगवान को पूजा जा सकता है?

आदि अमावस्या पर अपने पितरों को ध्यान किया जाता है, लेकिन भगवान मुरुगा को इस दिन पूजा जा सकता है।

4. क्या आदि अमावस्या पर व्रत भी किया जाता है?

आदि अमावस्या पर भगवान मुरूगा का ध्यान करके अपने पितरों की आत्मा की शांति और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो इसके लिए व्रत किया जा सकता है।

5. क्या आदि अमावस्या पर दान भी दिया जाता है?

आदि अमावस्या पर बड़े पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए उनके नाम से कुछ भोजन और वस्त्रों का दान किया जा सकता है।

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