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जानिए वट पूर्णिमा व्रत 2023 का महत्व और शुभ मुहूर्त

By May 23, 2023December 14th, 2023No Comments
Vat Purnima Vrat 2023

वट पूर्णिमा व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वट पूर्णिमा व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। इस व्रत को भी महिलाएं वट सावित्री व्रत की तरह ही मनाती हैं या व्रत वट सावित्री व्रत के एक या दो हफ्ते बाद ही मनाया जाता है। वट पूर्णिमा व्रत को अधिकतर गुजरात और दक्षिण भारत की महिलाएं रखती हैं। इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती है और अपने पति की लम्बी उम्र के लिए यह व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भी वट वृक्ष के साथ सत्यवान सावित्री का ही पूजन किया जाता है। इन दोनों व्रत में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता है, दोनों में सिर्फ तिथि का अंतर माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत अपने पति की लम्बी आयु और अपने जीवन में सुख शांति के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अपना व्रत शुरू करती हैं, बहुत सी जगहों पर तो महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करके अपने पति की लम्बी आयु के लिए कामना करती हैं। अब हम आपको बताते हैं की वट पूर्णिमा की तिथि कब है और इसका शुभ मुहूर्त किस समय से शुरू होगा। जानने के लिए नीचे पढ़ें।

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वट पूर्णिमा व्रत कब है?

वट पूर्णिमा व्रत दिन शनिवार तिथि 3 जून, 2023 को मनाया जाएगा। वट पूर्णिमा व्रत 3 जून को सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 4 जून 2023 को सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो जायेगा।

3 June

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त

आइए अब जानते हैं की पुरे दिन में से शुभ वट सावित्री पूर्णिमा मुहूर्त कितने बजे होगा। वट पूर्णिमा व्रत वर्ष 2023 मे 3 जून सुबह 7 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगा और सुबह के 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस समय वट सावित्री पूर्णिमा मुहूर्त शुभ रहेगा अगर महिलाएं इस समय में वट पूर्णिमा का पूजन करती हैं तो उनका व्रत सफल होगा और उन्हें विशेष फल प्राप्त होगा।

वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

  • वट पूर्णिमा पूजा विधि के अनुसार व्रत करने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठ स्नान करने के बाद सूरज को जल अर्पित करते समय अपने व्रत के लिए संकल्प लें।
  • इसके बाद महिलाएं अपने नए वस्त्र पहने और 16 श्रृंगार करें इसके साथ ही, इस दिन उन्हें खुश रहना चाहिए और अपने मन को शांत रखना चाहिए।
  • इसके बाद महिलाएं किसी वट वृक्ष के पास जाएँ और गाय के गोबर से माता पार्वती और सावित्री की प्रतिमा बनाकर उसका पूजन करें।
  • अब चन्दन का तिलक लेकर उसको अपने दोनों हाथो में लगा कर वट वृक्ष के पेड़ पर छाप दें ओर माता पार्वती से मन ही मन में अपने पति की लम्बी आयु के लिए कामना करें।
  • अपने आप जो भी मिठाई या फल लायी हैं सभी में से एक एक निकाल कर वट वृक्ष पर अर्पित करें, साथ ही एक लोटा जल लेकर सूर्यदेव की तरफ मुँह करके जल को वट वृक्ष की जड़ में शुद्ध मन से अर्पित करें।
  • इसके बाद आपने अपने हाथो से जो भी मीठा बनाया है उसको लेकर वट वृक्ष की जड़ में अर्पित करें, इससे विशेष प्राप्त होता है।
  • अब आपको शुद्ध गाय के घी से एक दीपक जला लेना हैं और उसको वट वृक्ष की जड़ में रख कर एक सफ़ेद रंग का सूत का धागा लेकर वट वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करनी है। वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखना है इस दौरान आप अपने पति की लंबी आयु के लिए और घर की सुख शांति को ध्यान में रख कर परिक्रमा करनी चाहिए। बचे हुए सूत के धागे को अपने साथ वापस न लाएं।
  • इसके बाद अपने घर जाकर वट सावित्री कैलेंडर के सामने एक करवे में जल भर कर रख दें और हाथ में चावल के कुछ दाने लेकर वट सावित्री की कथा करें। अब इन चावल को अर्पित कर दें।
  • अब महिलाएं सिंदूर लेकर उससे अपनी मांग को भरलें और माता पार्वती से अपने पति की लंबी आयु के लिए आराधना करें।
  • सुहागिन महिलाएं इस तरह से वट पूर्णिमा पूजा विधि के अनुसार अपना व्रत पूरा कर सकती हैं।

Vat Purnima Vrat Puja

वट पूर्णिमा व्रत का महत्व

वट पूर्णिमा का व्रत सुहागिन स्त्रियां रखती हैं। वट पूर्णिमा व्रत महत्व बहुत बड़ा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को जो महिलाएं करती हैं, उनके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है। उनके पति की आयु लंबी होती है। इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।

वट पूर्णिमा व्रत पर क्या करें

  • अब हम आपको बताएंगे की वट पूर्णिमा व्रत के रीति-रिवाज क्या होते हैं आपको इस व्रत को पूरा करने के लिए कुछ जरूरी वट पूर्णिमा व्रत के रीति-रिवाज को अवश्य जानना चाहिए।
  • ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अगर किसी महिला की नई नई शादी हुई है और वह यह व्रत रख रही है तो उसे इस व्रत को अपने मायके में जाकर रखना चाहिए।
  • ज्योतिष के अनुसार वट पूर्णिमा के दिन सुहागन स्त्रियों को लाल रंग के कपडे लाल रंग की चूड़ी और बिंदी लगानी चाहिए इससे उसके पति की रक्षा होती है।
  • वट सावित्री की कथा करते समय अपने पति को और अपनी सभी मनोकामनाओं को ध्यान में रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • इस व्रत को खोलने से पहले वट वृक्ष के पेड़ से उसकी एक कोपल तोड़ कर खानी चाहिए उसके बाद ही व्रत खोलना चाहिए।
  • व्रत रखने वाली महिलाएं अपने हाथों से गरीब लोगों को दान दें। ऐसा करने से घर में आर्थिक शांति बढ़ती है और सुख समृद्धि आती है।
  • अपने व्रत को 7 भीगे चने के दाने खा कर ही खोलना चाहिए।

Vat Tree

वट पूर्णिमा व्रत पर क्या न करें

  • वट पूर्णिमा व्रत पर जिन महिलाओं का व्रत होता हैं उन्हें अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • इस व्रत में घर में किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन नहीं बनना चाहिए और न ही तामसिक भोजन बनाना चाहिए।
    इस व्रत में किसी के लिए भी अपशब्द नहीं बोलने चाहिए ऐसा करने से व्रत सफल नहीं होता है।
  • इस व्रत में अपने अंदर के 5 दोष काम, क्रोध, मोह, लोभ और ईर्ष्या को त्याग देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन महिलाओं को काले और सफेद रंग के कपड़े नहीं धारण करने चाहिए। ऐसा करने से पति की उमर कम होती है।
  • ज्योतिष के अनुसार इस व्रत को पीरियड्स के दौरान अगर महिलाएं करती हैं तो वह इसकी पूजा खुद न करें अपनी बहन से करवाए और कथा भी दूर बैठ कर ही सुने।

वट पूर्णिमा व्रत कथा

वट पूर्णिमा व्रत कथा की शुरुआत ऐसे होती है कि,राजा अश्वपति की एक पुत्री थी जिनका नाम सावित्री था। उनके विवाह के लिए राजा अश्वपति एक योग्य वर ढूंढ रहे थे। उसी दौरान सावित्री ने धुत्मेसन के पुत्र सत्यवान की सत्यता और उनकी वीरता के बारे में सुना और वो उन पर मोहित हो गई। सावित्री ने अपने पिता से कह कर सत्यवान से विवाह करने की इच्छा जताई। लेकिन यह बात जब नारद मुनि को पता लगी तो उन्होंने राजा से कहा कि, ‘राजन सत्यवान का 1 वर्ष बाद मृत्यु का योग है।’ नारद मुनि की बात सुनकर राजा विचलित हो उठे और उन्होंने सत्यवती को बहुत समझाया, लेकिन सत्यवती नहीं मानी और उन्होंने सत्यवान से विवाह कर लिया।

विवाह करने के पश्चात सत्यवती ने नारदमुनि से पूछा कि, उनकी पति की मृत्यु होने में कितना समय शेष है।
पति की मृत्यु होने से 3 दिन पहले सावित्री ने व्रत रखना शुरू किया। जिस दिन सत्यवान की मृत्यु होनी थी उस दिन वह लकड़ी काटने के लिए जंगल जाने लगा साथ में सावित्री भी चलने लगी। जब वह जंगल जाकर लकड़ी काटने लगा तो कुल्हाड़ी लगने से उसकी मृत्यु हो गई।

उसके बाद सावित्री ने देखा कि दक्षिण दिशा की ओर दूर से भैंसे की सवारी पर यमराज सवार होकर आ रहे हैं। यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगते हैं, उनके पीछे- पीछे सावित्री भी चलने लगती हैं, यमराज उसके पीछे आने का कारण पूछते हैं तो सावित्री कहती है कि मुझे भी साथ लेकर चलो अब मेरा भी यहां कुछ नहीं है। जिसके बाद यमराज सावित्री को जीवन मरण के बारे में समझाते हैं। और फिर वहां से जानें लगते हैं। सावित्री फिर उनके पीछे जाती है। फिर यमराज उससे कोई एक वरदान मांगने को कहते हैं तो सावित्री कहती है कि उसे संतान प्राप्ति का वरदान चाहिए तो यमराज उसको वहीं वरदान देते हैं। लेकिन बिना पति के ये वरदान संभव नहीं हो सकता। इसलिए मजबूरी में यमराज को सावित्री के पति के प्राण लौटा कर जाना पड़ता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वट पूर्णिमा व्रत कथा को पढ़ना इस व्रत के लिए कितना जरुरी है?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत कथा इस व्रत में पढ़नी आवश्यक होती है। इस कथा को पढ़ने के बाद ही यह व्रत पूरी तरह से सफल होता है।

2. क्या माहवारी के दौरान वट पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार माहवारी के दौरान वट पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं, परन्तु इसके कुछ नियम होते हैं जैसे महिला को कथा दूर बैठ कर सुननी होगी और अपनी सारी पूजा अपनी बहन या माता से करानी होगी।

3. यदि वट पूर्णिमा के व्रत का शुभ मुहूर्त निकल जाये तो क्या दिन में बाद में पूजा करने से व्रत का फल मिलता है?

यदि शुभ मुहूर्त निकल जाये और आप पूजा न कर पाएं तो बाद में भी पूजा की जा सकती है लेकिन शुभ मुहूर्त में पूजा करना सबसे अच्छा माना जाता है। इसलिए कोशिश करें की आप सुबह जल्दी उठकर शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें।

4. क्या वट पूर्णिमा का व्रत करने से संतान सुख पाया जा सकता है?

यदि आप पूरे विधि और विधान से इस व्रत को पूर्ण करते हैं तो इस व्रत को करने से संतान सुख भी मिलता है और महिलाओं की सभी कामनाएं पूरी होती है।

5. वट पूर्णिमा व्रत को क्या खाकर व्रत खोलना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत को वट वृक्ष की एक छोटी सी कोपल खाकर और फिर 7 भीगे हुए चने खाकर खोलना शुभ माना गया है।

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ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत के लाभ जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।

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