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Parsva Ekadashi 2023: पार्श्व एकादशी के दिन राशि के अनुसार लगाएं भगवान विष्णु को भोग

By August 29, 2023September 20th, 2023No Comments
Parsva Ekadashi 2023

हिन्दू धर्म में पार्श्व एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। पार्श्व एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी, वामन एकादशी, जयंती एकादशी और पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। प्रतिवर्ष भादो मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पार्श्व एकादशी मनाई जाती है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में ऐसा माना जाता है कि, पार्श्व एकादशी के दिन 4 महीने के लिए निद्रा में लीन हुए भगवान विष्णु करवट लेते हैं इसलिए यह एकादशी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है।

पार्श्व एकादशी 2023 (Parsva Ekadashi 2023) के दिन विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना के साथ ही व्रत भी रखा जाता है। पार्श्व एकादशी व्रत को रखने से भक्तों को मनचाहा फल और विशेष लाभ प्राप्त होता है। पार्श्व एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन रूप की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस व्रत को न सिर्फ भगवान विष्णु बल्कि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी रखा जा सकता है। यह व्रत देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करके मनोवांछित फल देने वाला है। आइए जानते हैं पार्श्व एकादशी 2023 (Parsva Ekadashi 2023) के बारे में सबकुछ।

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पार्श्व एकादशी तिथि और समय

पार्श्व एकादशी 2023 में 25 सितंबर को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। पार्श्व एकादशी 25 सितंबर 2023 को सोमवार के दिन सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अगले दिन 26 सितंबर 2023 को मंगलवार के दिन सुबह 05 बजकर 00 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

पार्श्व एकादशी व्रत पारण शुभ मुहूर्त

26 सितम्बर 2023 मंगलवार के दिन दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर शुरू होकर शाम 3 बजकर 49 मिनट तक व्रत पारण करने का शुभ मुहूर्त रहेगा। व्रत पारण करने की कुल समय अवधि 02 घण्टे 24 मिनट तक रहेगी। इस समय में आप व्रत पारण कर सकते हैं।

पार्श्व एकादशी पूजा विधि

  • पार्श्व एकादशी 2023 का व्रत रखने से एक रात्रि पहले अन्न त्याग देना हैं और रात को माता पार्वती और भगवान विष्णु का ध्यान करके निद्रा करनी है।
  • पार्श्व एकादशी वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और उगते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • इसके पश्चात पूजा स्थल पर साफ- सफाई करें और वहां गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें। अब भगवान विष्णु की प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित करें और प्रतिमा पर भी गंगाजल के छींटे मारें। इसके पश्चात सच्चे मन से भगवान विष्णु के आगे बैठ कर व्रत का संकल्प लें।
  • अब प्रतिमा पर फल और फूल अर्पित करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। भगवान के आगे धूप जलाएं और 108 विष्णु मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान विष्णु को विशेष रूप से तिल और खीर का भोग लगाएं। खीर में तुलसी का पत्ते भी डालें। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है।
  • पुरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें। अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें। इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में व्रत पारण करें।

पार्श्व एकादशी का महत्व

हिन्दू धर्म में पार्श्व एकादशी का महत्व विशेष बताया गया है। पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विधि- विधान से पूजन किया जाता है। हिन्दू पौराणिक शास्त्रों के अनुसार पार्श्व एकादशी व्रत को करने से जातक के घर में सुख- समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। पार्श्व एकादशी का यह व्रत भगवान विष्णु के भक्त सदियों से करते आ रहे हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यह व्रत न सिर्फ इस जन्म के बल्कि पिछले जन्मों में किये गए सभी पापों से भी मुक्ति दिलाता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग जातक को दिखाता है। पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा में करवट लेते हैं इसलिए इस एकादशी को सभी एकादशियों में सर्वोच्च माना गया है।

इस व्रत को पार्श्व एकादशी की विधियां जानकर ही करना चाहिए इस शुभ फल मिलता है। इस एकादशी का व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है और अपना मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि, इस व्रत में भगवान विष्णु के रूप वामन की पूजा से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस एकादशी को वामन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

पार्श्व एकादशी व्रत कथा

एक हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार एक समय भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युधिष्ठिर को पार्श्व एकादशी व्रत कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि एक समय एक राक्षस राजा बलि भगवान विष्णु का भक्त था। वह बहुत बलशाली था वह भगवान विष्णु को प्रसन्न रखता था। एक बार उसने इंद्र देव को युद्ध में हरा दिया और स्वर्ग का राजा बन गया। तब सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से अपने कल्याण की प्रार्थना की। इसके पश्चात भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के सामने प्रकट हो गए। इससे राजा बलि ने हाथ जोड़े और इच्छा पूरी करने की बात कही।

अब भगवान विष्णु ने राजा बलि से 3 कदम जमीन मांगी, राजा ने जमीन दे दी। अब वामन देव ने अपना बड़ा रूप धारण कर लिया और एक पैर से जमीन दूसरे पैर से आकाश और 7 लोकों को ले लिया। अब तीसरे पैर के लिए राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को सदा वामन देव का उनके साथ रहने का आशीर्वाद दिया। उसी दिन से यह एकादशी मनाई जाती है और इसी दिन भगवान विष्णु करवट भी लेते हैं।

पार्श्व एकादशी पर राशि अनुसार लगाएं भगवान विष्णु को भोग

पार्श्व एकादशी पर आप अपनी राशि के अनुसार भी भगवान विष्णु को भोग लगा सकते हैं। इससे आपको विशेष लाभ मिलेगा और भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे। आइए जानते हैं कौन सी राशि के लिए किस चीज का भोग लगाना रहेगा शुभ।

1. मेष राशि

पार्श्व एकादशी के दिन मेष राशि वालों को भगवान विष्णु को गुड़ का भोग लगाना चाहिए। गुड़ का भोग लगाने से मेष राशि के जीवन में सुख- समृद्धि आएगी।

2. वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खीर में तुलसी ड़ाल कर भोग लगाना चाहिए। इससे आपके जीवन की परेशानियां कम होंगी और खुशियां आएंगी।

3. मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मिश्री, बताशे और मिठाई का भोग लगाना शुभ होगा। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आएगी और कलह दूर होगी।

4. कर्क राशि

कर्क राशि वाले जातकों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को हल्दी मिश्रित दूध का भोग लगाना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होकर कर्क राशि वाले जातकों को विशेष आशीर्वाद देते हैं।

5. सिंह राशि

सिंह राशि वाले व्यक्तियों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को देसी घी के बेसन के लड्डू और गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इससे सौभाग्य बढ़ेगा और खुशियां आएँगी।

6. कन्या राशि

कन्या राशि के व्यक्तियों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को दूध, दही और मक्खन का भोग लगाना चाहिए। इससे आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और जीवन में उन्नति मिलेगी।

7. तुला राशि

तुला राशि के जातकों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मिठाई और फलों का भोग लगाना चाहिए। इससे मानसिक तनाव नहीं होगा और सुख- समृद्धि आएगी।

8. वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाना चाहिए खीर में तुलसी ड़ाल कर भोग लगाएं। इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा।

9. धनु राशि

धनु राशि के लोगों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए। गुड़, चने का भोग लगाने से आपके ऊपर भगवान विष्णु की कृपा बनेगी।

10. मकर राशि

मकर राशि के लोगों को पार्श्व एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मिश्री, खीर, मक्खन और इलायची का भोग लगाना चाहिए। इससे आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

11. कुंभ राशि

कुम्भ राशि को भगवान विष्णु को नारियल का भोग लगाना चाहिए। कुम्भ राशि के लिए नारियल अर्पित करना अच्छा माना गया है।

12. मीन राशि

मीन राशि वाले व्यक्तियों को भगवान विष्णु को बेसन की मिठाई और फलों का भोग लगाना चाहिए। इससे मीन राशि के व्यक्तियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

पार्श्व एकादशी पर क्या करें और क्या न करें ?

  • पार्श्व एकादशी पर यज्ञ करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन यज्ञ करना चाहिए और भगवान विष्णु व माता पार्वती के मन्त्रों की विशेष आहुति लगानी चाहिए।
  • पार्श्व एकादशी के दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप दूर हो जाते हैं और उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • पार्श्व एकादशी पर सम्पूर्ण दिन व्रत करें और पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और कीर्तन भजन करते रहें।
  • पार्श्व एकादशी की विधियां जानने के पश्चात ही व्रत करें। यह व्रत विधि- विधान के अनुसार ही किया जाता है तभी इसका शुभ फल भक्तों को प्राप्त होता है।
  • व्रत पारण करने से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र दान करें। उसके पश्चात ही व्रत पारण करें।
  • इस दिन किसी भी प्रकार का मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें। यदि आपने व्रत रखा है तो भोजन भी न करें।
  • अपने मन में गलत विचारों को ना आने दें सिर्फ अच्छा सोचे। इस दिन किसी की आलोचना करने से भी आपको बचना चाहिए।
    काम, क्रोध, लोभ मोह और अहंकार कोई भी दोष अपने अंदर लाने से बचें। मानसिक तनाव न लें और ना ही किसी गलत माहौल में रहें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. पार्श्व एकादशी कब है?

पार्श्व एकादशी 2023 में 25 सितंबर को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।

2. पार्श्व एकादशी का व्रत कौन रख सकता है?

पार्श्व एकादशी का व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है। लेकिन इस व्रत को सच्ची श्रद्धा के साथ रखा जाता है। व्रत को निर्जला रखें यदि यह संभव नहीं है तो जल, दूध और फलों का सेवन किया जा सकता है।

3. पार्श्व एकादशी और किस नाम से जाना जाता है?

पार्श्व एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी, वामन एकादशी, जयंती एकादशी और पद्मा एकादशी और जल झुलनी के नाम से भी जाना जाता है। पार्श्व एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है।

4. पार्श्व एकादशी के दिन क्या करने का महत्व अधिक है?

पार्श्व एकादशी के दिन ऐसा कोई विशेष कार्य करने का कोई नियम नहीं है परन्तु इस दिन यज्ञ और दान किया जा सकता है। यज्ञ और दान करने से भगवान विष्णु विशेष लाभ देते हैं।

5. क्या सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को ही समर्पित हैं?

हाँ, सभी एकादशी के व्रत भगवान विष्णु को समर्पित हैं। सभी एकादशियों पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सभी व्रतों का अपना अलग- अलग महत्व माना गया है।

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