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मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन करें पितरों का तर्पण

By November 7, 2022December 4th, 2023No Comments
Margshish Amavasya

हिन्दू वर्ष का नवा महीना अगहन अथवा अग्रहायण कहलाता है। इसका प्रचलित नाम मार्गशीर्ष एवं मगसर भी है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है। यह अमावस्या पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए करी जाती है। इस दिन पितरों का तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि

वर्ष 2022 में अगहन या मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवम्बर को है। इस दिन बुधवार है। तिथि के अनुसार 23 नवंबर 2022 को 06 बजकर 56 मिनट से अमावस्या प्रारंभ होगी। और 24 नवंबर 2022 को 04 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषों के अनुसार 23 नवम्बर को ही मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।

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मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत

पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत रखा जाता है।
जिस मनुष्य की कुंडली में पितृ दोष हो, संतानहीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहु स्थित हो, उसे प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत नियमित रूप से रखना चाहिए
मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को निर्जला उपवास रखना चाहिए। अतः इस दिन जल ग्रहण ना करें।
‘विष्णु पुराण में लिखा है कि श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृगण तृप्त होते हैं। साथ ही ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी प्रसन्न होते हैं। कुल मिलाकर यह व्रत अत्यंत ही फलदायी है।

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मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों के तर्पण का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
● प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या सरोवर में स्नान करें। स्नान के समय ‘नमो नारायणाय’ या ‘गायत्री मंत्र’ का उच्चारण करना फलदायी होता है। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
● विधि विधान से भगवान विष्णु और भगवान शिव का पूजन करें।
● नदी के तट पर पितरों के लिए तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
● पूजा के बाद अपनी श्रद्धा अनुसार किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को वस्त्र, अन्न आदि दान करें।

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सत्यनारायण पूजा

पूजा पाठ और व्रत के अतिरिक्त अमावस्या के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा भी की जाती है। पूजा स्थल पर भगवान सत्यनारायण और माता लक्ष्मी का चित्र अथवा मूर्ति स्थापित करें। विधि विधान से पूजा करें। कुमकुम, अक्षत, फूल अर्पित करें। फल व मिठाई का भोग लगाएं। फिर सत्यनारायण की कथा का पाठ करें। कथा के बाद धूप दीप जलाकर भगवान की आरती करें। इस तरह पूजा संपन्न हो जाएगी। तत्पश्चात् भक्तों को प्रसाद का वितरण करें।
इंस्टाएस्ट्रो के ऐप पर ऑनलाइन पूजा करवाई जाती है। आप आज ही संपर्क कर सकते हैं।

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मार्गशीर्ष अमावस्या कथा

मार्गशीर्ष माह के संदर्भ में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होता है। मृगशिरा नक्षत्र आकाश मंडल का पांचवा नक्षत्र है। यह ‘मृगशीर्ष’ या ‘मृगाशिरा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नक्षत्र वृष और मिथुन राशियों को जोड़ने वाला है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी है।
हिंदू पंचांग के समस्त महीनों में मार्गशीर्ष माह स्वयं श्रीकृष्ण का स्वरूप है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को मार्गशीर्ष माह का महत्व बताते हुए कहा था कि- “मार्गशीर्ष के महीने में यमुना नदी में स्नान करने से मैं सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ।” अत: इस माह में नदी स्नान का विशेष फलदायी है।

Lord Krishna explained the importance of Margashirsha month to the Gopis.

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

हिंदू पंचांग में वर्ष भर में बारह अमावस्या आती हैं। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन व्रत व पूजा करने से श्री हरि विष्णु को प्रसन्न किया जा सकता है।
मार्गशीर्ष अथवा अगहन अमावस्या बारह अमावस्यों में से एक है। अन्य अमावस्या की तरह मार्गशीर्ष अमावस्या पर भी पितरों को तर्पण करने का विधान है। अतः इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष मिलता है और साधक को पितृ दोष से निवारण मिलता है। अमावस्या के दिन तर्पण और पिंड दान करना विशेष फलदायी है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर निर्जला उपवास करने से कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है – “महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ”।
मान्यता है कि सतयुग काल में देवताओं ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया था।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. मार्गशीर्ष अमावस्या क्या होती है ?

मार्गशीर्ष अथवा अगहन माह में आने वाली अमावस्या मार्गशीर्ष अमावस्या कहलाती है। इस दिन पितरों का तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य करना विशेष फलदायी होता है।

2. 2022 में मार्गशीर्ष अमावस्या कब है ?

23 नवम्बर को अमावस्या तिथि है। उसी दिन मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।

3. अगहन अमावस्या का महत्व क्या है ?

अमावस्या पर पूजा पाठ तथा उपवास करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनती है।

4. मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा विधि ?

सुबह जल्दी उठकर किसी नदी या कुंड में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें। नदी किनारे पितरों का तर्पण करें। विष्णु भगवान की पूजा करें और ग़रीबों को दान दें।

5. अमावस्या पर सत्यनारायण कथा का क्या महत्व है ?

जिस प्रकार कार्तिक अमावस्या पर माता लक्ष्मी की पूजा करके दीपावली का पर्व मनाया जाता है। उसी तरह अगहन की अमावस्या पर भी लक्ष्मी देवी और भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए।

और पढ़ें – कार्तिक अमावस्या 2022: जानें इस दिन दीप जलाने और तुलसी पूजन का महत्व।

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Yashika Gupta

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