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महाभारत से सीखें जीवन के अनमोल वचन

By February 7, 2023December 6th, 2023No Comments
Mahabharat

महाभारत हिंदू धर्म का एक पुरातन ग्रंथ है। विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ होने के कारण इसे महाकाव्य भी कहा जाता है। इसकी रचना वेदव्यास ने की थी। महाभारत एक ऐसा काव्य ग्रंथ है जिसमें भारत का अनुपम और अलौकिक धार्मिक, पौराणिक तथा दार्शनिक इतिहास बताया गया है। महाभारत की शिक्षा आज के युग में भी प्रासंगिक है। इसे पढ़ने से मानव को जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में पता चलता है।
आइये इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानते हैं महाभारत में ज्ञान की बातें।

1. जीवन में हर कार्य के लिए योजना तैयार रखें 

महाभारत के संपूर्ण युद्ध में श्रीकृष्ण ने पांडवों की कौरवों से रक्षा करने के लिए कुशल योजना बनायी थीं। उनके पास हर समस्या का समाधान होता था। अतः किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए बेहतर रणनीति और योजना आपके पास होनी चाहिए। बिना योजना के जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और आपको अराजक भविष्य की ओर ले जाता है।

Better strategy for success

2. हमेशा अच्छी संगत में रहें

ऐसी कहावत है कि जैसी संगत वैसी पंगत और जैसी पंगत वैसा ही जीवन। आप कितने भी अच्छे क्यों ना हों, परन्तु यदि आपकी संगत बुरी है, तो आप भी बर्बाद हो जाएंगे। कौरवों के साथ शकुनि मामा जैसे चालबाज़ और षड्यंत्र रचने वाले लोग थे इसलिए कौरवों की हार निश्चित थी। परन्तु पांडवों के साथ श्री कृष्ण थे इसलिए उनकी विजय हुई।

3. अधूरा ज्ञान खतरनाक हो सकता है

जीवन में अपूर्ण ज्ञान हमारे लिए घटक हो सकता है। इसकाउदाहरण है चक्रव्यूह में फ़ैन्स हुए अभिमन्यु। अभिमन्यु अत्यंत ही वीर और बहादुर योद्धा थे परंतु चक्रव्यूह संरचना के अधूरी ज्ञान की वजह से उनकी मृत्यु हो गई। अतः मनुष्य को अपने ज्ञान में पारंगत होना चाहिए और उसमें दक्षता हासिल करनी चाहिए।

Little Knowledge Is Dangerous

4. दोस्त और दुश्मन की पहचान करना सीखें

महाभारत के युद्ध में शल्य और युयुत्सु एएसई व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी ही सेना के साथ विश्वासघात किया। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी लोग थे जो युद्ध शुरू होने के बाद पाला बदलकर कौरवों या पांडवों के साथ हो गये। कई बार दोस्त के भेष में दुश्मन हमारे साथ आ जाते हैं इसलिए हमें सतर्क और सावधान रहना चाहिए।

5. अपनी वाणी पर संयम रखें

महाभारत का युद्ध नहीं होता यदि द्रौपदी दुर्योधन को ‘अंधे का पुत्र भी अंधा’ नहीं कहती। इसी प्रकार शिशुपाल और शकुनी मामा भी हमेशा चुभने वाली कठोर बाते करते थे परन्तु अंत में उनकी हार ही हुई। अतः कुछ भी बोलने से पहले हमें सोच लेना चाहिए कि इसका हमारे जीवन, परिवार या समाज पर क्या असर पड़ेगा।

Keep restraint on your speech

6. बुरी आदतों से दूर रहें

शकुनि मामा ने पांडवों और कौरवों के बीच जुए का आयोजन किया था। जिसके चलते पांडवों ने अपना सब कुछ यहाँ तक की अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था। जुए की बुरी लत के कारण पांडवों ने अपना सबकुछ खो दिया था। अत: जुए, सट्टे, षड्यंत्र से हमेशा दूर रहना चाहिए। ये बुरी आदतें मनुष्य का जीवन अंधकारमय कर देते हैं।

7. सदा सत्य के साथ खड़े रहें

कौरवों की सेना पांडवों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली थी। कौरवों के पास एक से एक वीर योद्धा थे। परन्तु फिर भी अंत में पांडवों की ही जीत हुई क्योंकि वे सच्चाई के रास्ते पर थे। कहते हैं कि विजय उसकी नहीं होती जो ज्यादा धनवान है या बड़े पद पर है। विजय हमेशा उसकी होती है, जिसके साथ ईश्वर होते हैं और ईश्वर हमेशा वहीं होते हैं, जहां सत्य होता है। अतः सत्य का साथ कभी न छोड़ें।

Stand With Truth

8. संघर्ष से कभी ना डरें 

जिंदगी में कुछ ऐसे अवसर आ जाते हैं जब पर व्यक्ति के लड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता। और जो व्यक्ति लड़ना नहीं जानता, सबसे पहले वह मारा जाएगा। महाभारत में युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने पांडवों को यह बात सिखाई थी। पांडव अपने बंधु-बांधवों से लड़ना नहीं चाहते थे, परंतु श्रीकृष्ण ने समझाया कि जब समस्या का हल शांतिपूर्ण तरीके से ना निकले, तब युद्ध ही एकमात्र विकल्प बच जाता है। अतः लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहें।

9. गोपनीयता जरूरी है

जीवन हो या युद्ध, गोपनीयता का अत्यंत महत्व होता है। महाभारत में ऐसे कई मौके आए जब नायकों ने दूसरों के समक्ष अपने राज खोल दिये। जिसके चलते उन्हें युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। दुर्योधन, भीष्म आदि ऐसे उदाहरण है जिन्होंने अपनी कमजोरी अथवा शक्ति का राज शत्रुओं के सामने प्रकट कर दिया था।

Privacy is necessary

10. इन्द्रिय संयम जरूरी है

मनुष्य की इन्द्रियाँ कभी तृप्त नहीं होती। जो व्यक्ति इन्द्रियों के वश में आ जाए उसका पतन निश्चित है। परन्तु जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ले, वह सच्चा योद्धा होता है। दृढ़ संकल्प से इन्द्रिय संयम आता है। और महाभारत का हर पात्र एक निश्चित संकल्प से बंधा हुआ है।

11. योद्धा को कभी परिणाम की चिंता नहीं करना चाहिए

परिणाम की चिंता करने वाला योद्धा कभी साहसपूर्वक निर्णय नहीं ले पाता है। जीवन के हर मोड़ पर हमारे निर्णय ही हमारा भविष्य तय करते हैं। इसलिए एक बार निर्णय लेने के बाद उसे बदलने की ना सोचें। और परिणाम की चिंता किए बगैर अपने कार्य करते रहें। महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह सीख दी थी।

Mountain Climbing

12. भावुकता कमजोरी है

धृतराष्ट्र अपने पुत्रों को लेकर जरूरत से ज्यादा ही भावुक थे। इसी कारण से उनका एक भी पुत्र उनके वश में नहीं था। वे पुत्र मोह में अंधे हो गए थे। जरूरत से ज्यादा भावुकता इंसान को कमजोर बना देती है। जिससे वह सही-गलत में फर्क नहीं कर पाता है।

13. अहंकार और घमंड से होता है पतन

अपनी आर्थिक स्थिति, सुंदर रूप अथवा ज्ञान का कभी घमंड नहीं करना चाहिए। समय बड़ा बलवान होता है। धनी, ज्ञानी और शक्तिशाली पांडवों को वनवास भोगना पड़ा और अतिसुंदर द्रौपदी को भी उनके साथ वनों में भटकना पड़ा। अतः कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए।

Arrogance and pride

महाभारत के द्रोण पर्व में कौन सी घटना संबंधित है

द्रोण पर्व में कई घटनाएं होती हैं। जैसे – भीष्म पितामह के धराशायी होने पर गुरु द्रोणाचार्य का सेनापति पद पर आसक्त होना और फिर पाण्डवों से भयंकर युद्ध करना। द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्यूह का निर्माण करना, अभिमन्यु का व्यूह में फँसना और नि:शस्त्र होने के कारण कौरवों के हाथों अभिमन्यु का वध हो जाना। अभिमन्यु के वध के बाद पाण्डवों में शोक और अर्जुन द्वारा जयद्रथ के वध की प्रतिज्ञा लेना भी द्रोण पर्व का हिस्सा है। फिर श्री कृष्ण का पांडवों को सहयोग का आश्वासन देना और अर्जुन का गुरु द्रोणाचार्य और कौरवों से भयानक युद्ध करना। अर्जुन द्वारा जयद्रथ का वध होना, फिर दानवीर कर्ण के हाथों भीम के पुत्र घटोत्कच का वध होना और अंत में धृष्टद्युम्न द्वारा गुरु द्रोणाचार्य का वध हो जाना। यह सभी घटनाएँ महाभारत के द्रोण पर्व से संबंधित हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. महाभारत क्या है ?

हिंदू धर्म का एक पौराणिक ग्रंथ है – महाभारत । यह महाकाव्य विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है।

2. महाभारत की रचना किसने की थी ?

वेदव्यास जी महाभारत के रचयिता हैं।

3. महाभारत से हमें क्या सीख मिलती है ?

महाभारत में ज्ञान की बातें का भंडार है। आप इन्हें जितना पढ़ेंगे, आपको जीवन में उतनी ही सीख मिलेगी। जीवन की हर परिस्थिति से लड़ने की प्रेरणा हमें महाभारत पढ़कर मिल सकती है।

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Yashika Gupta

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