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कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण मनाते हैं देव दीपावली

By November 18, 2023November 21st, 2023No Comments
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण मनाते हैं देव दीपावली

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। यह पर्व हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दीपदान करना लाभकारी होता है। इसी दिन सिख धर्म के अनुयायी गुरु नानक जयंती पर्व मनाते हैं। इस दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु – गुरु नानक का जन्मदिन मनाया जाता है।

देव दीपावली –

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। जिस तरह कार्तिक अमावस्या पर आम जन दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। उसी प्रकार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सारे भगवान दिवाली मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर उतर आते हैं। भारत की प्राचीनतम नगरी काशी में देव दीपावली का पर्व हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। देवी देवताओं के स्वागत के लिए पूरे शहर में दीयों से सजावट की जाती है ।

Dev diwali

कार्तिक पूर्णिमा 2023

वर्ष 2023 में कार्तिक पूर्णिमा 27 नवम्बर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 26 नवम्बर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ होगी और 27 नवम्बर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। परन्तु उदया तिथि के अनुसार 27 नवम्बर को ही कार्तिक पूर्णिमा की पूजा व व्रत करना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत

आइये पढ़ते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या नहीं –

  • कार्तिक पूर्णिमा व्रत में फलाहार किया जाता है।
  • इस दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • यदि व्रत रखना संभव ना हो तो सात्विक भोजन ही करें।
  • इस दिन भूलकर भी मांसाहारी भोजन ना खाएं, मदिरा पान भी न करें।
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • शाम के समय जल में थोड़ा कच्चा दूध, चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से भी चंद्रमा की कृपा बनी रहती है।
  • इस दिन पीपल के पेड़ पर जल में मीठा दूध मिलाकर अर्पित करने से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है।
  • इस दिन गरीबों को दान-दक्षिणा ज़रूर दें।

Kartik Purnima vrat

कार्तिक पूर्णिमा कथा

पौराणिक कथा के अनुसार ताड़कासुर नामक एक राक्षस के तीन पुत्र थे – तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युनमाली। इन तीनो को त्रिपुरासुर कहा जाता था। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय द्वारा ताड़कासुर का वध होने के बाद ताड़कासुर के तीनो पुत्र क्रोधित थे। ईश्वर से बदला लेने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की। उनकी साधना से खुश होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। त्रिपुरासुरों ने तीन नगरों का निर्माण करवाने का वरदान माँगा। जिसमें बैठकर वे पूरे पृथ्वी और आकाश का भ्रमण कर सकें। और एक हजार वर्ष बाद जब वे एक जगह पर मिलें तो तीनों नगर मिलकर एक हो जाएं। तथा जो देवी देवता अपने एक बाण से तीनों नगरों को नष्ट करने की क्षमता रखता हो वही उनका वध कर सके।
ब्रह्मा जी से यह वरदान पाने के बाद त्रिपुरासुरों ने पृथ्वी और आकाश में हाहाकार मचा दिया था। वे स्वर्ग पर राज करना चाहते थे। इस बात से भयभीत होकर इन्द्रदेव भगवान शिव से सहायता लेने गए। महादेव ने एक दिव्य रथ का निर्माण करवाया और फिर एक ही बाण से त्रिपुरासुरों की तीनो नगरी को ध्वस्त कर दिया। कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध होने के कारण इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहा जाने लगा।

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Kartik Purnima katha

कार्तिक पूर्णिमा की दूसरी कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार संखासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में अपना कब्ज़ा कर लिया था। सभी देवी देवतायें संखासुर के आतंक से परेशान थे। इन्द्रदेव के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने मतस्य अवतार में धरती पर आकर संखासुर का वध किया। संखासुर के संहार के बाद स्वर्ग के सभी देवता गण प्रसन्न होकर धरती पर उतार आये। और सबने मिलकर दीपावली मनाई। देवताओं ने काशी के घाट पर उतरकर दीप प्रज्वलित किये। तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाने की परम्परा आरम्भ हो गयी।

Kartik Purnima ki katha

इतनी प्रसिद्ध क्यों है कार्तिक पूर्णिमा ?

इस पावन पर्व पर माँ गंगा में स्नान करके दीपदान करने से विशेष फल प्राप्त होता है। कहते हैं कि यह फल 10 महायज्ञ करने के बराबर है। यह पूर्णिमा वर्ष भर की पूर्णमासियों में से एक है। इस दिन किये गये दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होते हैं।
कार्तिक माह में विष्णु भगवान मत्स्य अवतार में पवित्र नदियों और जल स्त्रोतों में वास करते हैं। पद्मपुराण में इस मान्यता का लिखित तथ्य है। इसलिए कार्तिक माह में और विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान दान का महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से बैकुंठ प्राप्त होता है। शारीरिक रोगों व मानसिक विकारों से छुटकारा मिलता है।

Kartik Purnima havan

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

आइये इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि क्या है  –
प्रातःकाल उठकर गंगा जी में स्नान करें। यदि यह संभव ना हो तो किसी भी तालाब या सरोवर में स्नान करके माँ गंगा की आराधना कर लें। घर पर भी नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें।
मंदिर जाकर भगवान विष्णु की पूजा करें और पूर्णिमा व्रत का संकल्प लें।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन भी करी जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. कार्तिक पूर्णिमा के अन्य नाम क्या हैं ?

कार्तिक पूर्णिमा महापर्व के अन्य नाम गुरु नानक जयंती, देव दीपावली, त्रिपुरारी पूर्णिमा हैं।

2. कार्तिक पूर्णिमा कब आती है ?

कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आती है। यह दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है ।

3. देव दीपावली क्या होता है ?

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। जिस तरह कार्तिक अमावस्या पर आम जन दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। उसी प्रकार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता गण दिवाली मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवतायें धरती पर उतर आते हैं और दीप प्रज्वलित करते हैं।

4. वर्ष 2023 में कार्तिक पूर्णिमा कब है ?

वर्ष 2023 में कार्तिक पूर्णिमा 27 नवम्बर को है ।

5. कार्तिक पूर्णिमा का महत्व क्या है ?

इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और विष्णु भगवान तथा तुलसी माता की पूजा का महत्व है। इस दिन गरीबों को भी दान देना चाहिए।

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Yashika Gupta

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