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जाने वास्तु शास्त्र के अनुसार 8 दिशाओं का महत्व क्या होता है?

By July 27, 2022November 23rd, 2023No Comments
8 dishaoin ka mahtav

वास्तु शास्त्र क्या है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु घर निर्माण की वह कला होती है जो ईशान कोण से शुरू होती है। कहते हैं कि घर का वास्तु शास्त्र ठीक होने से घर का वातावरण अच्छा रहता है। घर में परेशानियों का वास नहीं होता है। वास्तु शास्त्र एक ऐसी विधा है जिसमे घर को और घर के अंदर प्रयोग की जानें चीज़ो को रखने का तरीका बताया जाता है। वास्तु शास्त्र का अर्थ है किसी घर के निर्माण में होने वाले नियम। इन नियमों से हम अपने घर की वस्तुओं को सही दिशा के अनुरूप रख सकते हैं। वास्तु शास्त्र में सबसे आवश्यक दिशा है।

Direction is the most essential in Vastu Shastra (वास्तु शास्त्र में सबसे आवश्यक दिशा है।)

दिशा किसी घर या वस्तु की होती है। अगर आपके घर की दिशा सही है तो आपके घर पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। धरती पर मौजूद 5 तत्व हैं जो मानव जीवन पर विशेष प्रभाव डालते हैं। मानव जीवन में इन तत्वों का संतुलित होना बहुत जरूरी है। वास्तु शास्त्र में भी इन्हीं तत्वों को संतुलित करने के बारे में बताया जाता है। अथर्ववेद से वास्तु शास्त्र का विकास हुआ है। पर ऋग्वेद में भी इसके बारे में लिखा है। जापान, कोरिया जैसे देशों में इसी तरह ही एक विधा का उपयोग किया जाता है। इन देशों में इसे फेंगशुई कहते हैं।घर का वास्तु ठीक होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
आप सभी मुख्य रूप से 4 दिशाओं को जानते होंगे। पुराण और शास्त्रों में 10 दिशाओं के बारे में बताया गया है।
इंस्टाएस्ट्रो आपको बताएगा उन 8 दिशाओं के बारे में जिसका वास्तु शास्त्र में महत्व है।

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वास्तु शास्त्र में दिशाओं का महत्व-

पूर्व दिशा-

  • इस दिशा से सूर्योदय होता है।
  • पूर्व दिशा के राजा इंद्र को माना जाता है।
  • इस दिशा से सकारात्मक ऊर्जा हमारे घर पर प्रवेश करती हैं।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में खिड़की का होना अनिवार्य है।
  • यह दिशा पढ़ने और सोने के लिए सही मानी जाती है।

 

पश्चिम दिशा-

  • पश्चिम दिशा में सूर्यास्त होता है।
  • इस दिशा के कर्ता धर्ता वरुण हैं।
  • वास्तु के अनुसार इस दिशा में रसोईघर रखना शुभ माना जाता है।

 Varuna is the doer of the west direction. (पश्चिम दिशा के कर्ता धर्ता वरुण हैं)

उत्तर दिशा-

  • धन के देवता कुबेर को उत्तर दिशा का राजा माना जाता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में घर का दरवाजा रखना अति शुभ है।
  • इस दिशा में मंदिर स्थापित करना चाहिए।

दक्षिण दिशा-

  • देवता यम को इस दिशा का राजा कहा जाता है।
  • इस दिशा में कभी घर के प्रवेश करने वाला दरवाजा स्थापित नहीं करना चाहिए।
  • इस दिशा को बंद रखना ही उचित होता है।
  • वास्तु शास्त्र कहता है कि धन की तिजोरी ,धन इसी दिशा में रखना चाहिए।

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 Yam Devta king of south direction (देवता यम दक्षिण दिशा के राजा)

उत्तर पूर्व दिशा-

  • इस दिशा के स्वामी भगवान शिव है।
  • इस दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में जलघर होना चाहिए।
  • इस दिशा में घर का बरामदा रखना चाहिए।
  • जिससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो।

उत्तर पश्चिम दिशा-

  • उत्तर पश्चिम दिशा को वायव्य कोण भी कहा जाता है।
  • क्योंकि यह दिशा उत्तर से पश्चिम की ओर भी होती हैं।
  • इस दिशा में रसोईघर होना चाहिए।
  • इस दिशा के स्वामी पवन देव हैं।

Pawan Dev is king of north west direction (उत्तर पश्चिम दिशा के स्वामी पवन देव हैं। )

दक्षिण पूर्व दिशा-

  • इस दिशा की स्वामी अग्नि देव हैं।
  • इसलिए इसे आग्रेय कोण भी कहते हैं।
  • इस दिशा में रसोईघर हो तो बहुत शुभ होता है।
  • इसी दिशा में रसोईघर का चूल्हा रखना चाहिए।

दक्षिण पश्चिम दिशा-

  • दक्षिण पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण भी कहा जाता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में खिड़की और दरवाजों का द्वार नहीं रखना चाहिए।
  • इस दिशा को पूरी तरह से बंद रखना चाहिए।
  • धन और ज्वेलरी की तिजोरी इस दिशा में रखना शुभ होता है।
  • आपको लाभ मिलेगा।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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