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Gudi Padwa 2023: जाने पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

By March 9, 2023August 31st, 2024No Comments

हिंदू धर्म में नए साल का आगमन चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से माना जाता है। हिंदू सौर कैलेंडर भी इस बात की पुष्टि करता है कि हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से होती है। इसी दिन गुड़ी पड़वा का त्यौहार भी मनाया जाता है। वैसे तो गुड़ी पड़वा मराठियों का प्रमुख त्यौहार है। लेकिन इस दिन यह त्यौहार महाराष्ट्र के साथ साथ भारत के और भी कई राज्यों में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा के त्यौहार के महत्व का व्याख्यान न सिर्फ हिंदू संस्कृति में मिलता है। बल्कि ज्योतिष शास्त्र में भी इसके महत्व का वर्णन किया गया है।

अगर आपके मन में गुड़ी पड़वा की तारीख को लेकर कोई उलझन है। या आप जानना चाहते है कि 2023 में गुड़ी पड़वा कब है या गुड़ी पड़वा मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में। तो आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें और गुड़ी पड़वा की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार गुड़ी पड़वा कब है-

हिंदू पंचांग के अनुसार गुड़ी पड़वा मुहूर्त 2023 में 22 मार्च को पड़ रहा है। गुड़ी पड़वा मुहूर्त 2023 की शुरुआत 21 मार्च की रात्रि 10: 52 मिनट से प्रारंभ होगी। इसके अगले दिन 22 मार्च को 8:20 मिनट पर समाप्त होगी। गुड़ी पड़वा पूजा मुहूर्त 22 मार्च 2023 को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 7 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।

22 March

गुड़ी पड़वा पूजा विधि-

हिंदू परंपरा में हर व्रत, त्यौहार और उत्सव को कुछ विशेष नियमों और रीति रिवाजों के अनुसार मनाया जाता है। आईए निम्नलिखित कथन के माध्यम से गुड़ी पड़वा मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानते है:

  •  ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे पहला कार्य है जो आपको गुड़ी पड़वा के दिन करना चाहिए।
  • सुबह स्नान के पश्चात भगवान ब्रह्मा की पूजा करें। क्योंकि एक पौराणिक कथा में ऐसा वर्णन मिलता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस दिन ब्रह्मांड की रचना की थी। इसके साथ ही ब्रह्मा जी ने हिंदू समाज को दिन, सप्ताह, महीने और वर्ष का परिचय भी कराया था।
  • इस दिन घर की साफ-सफाई करने के बाद रंगोली बनानी चाहिए।
  • आम के पत्तों का तोरण घर के मुख्य द्वार पर लगाएं।
  • गुड़ी को सजाएं और फिर उसकी पूजा पूरे विधि विधान से करें।
  • इस त्यौहार के दिन घर के सभी सदस्यों को साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए और भगवान का अभिवादन करना चाहिए।
  • गुड़ी पड़वा के दिन बनने वाले व्यंजनों में विशेष कर पुरणपोळी, मीठी रोटी और गुड़ का भोग भगवान को लगाना चाहिए।
  • ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने चांदी के आभूषण और कोई नया वाहन या मकान खरीदना शुभ होता है।

Gudi Padwa

कथा से जानिए गुड़ी पड़वा क्या है-

पौराणिक कहानियों में शालिवाहक कुम्हार की कहानी का वर्णन मिलता है। इस कहानी के अनुसार प्राचीन युग में शालिवाहक नाम का एक युवा कुम्हार मिट्टी से तरह तरह की आकृतियां बनाया करता था। एक दिन उसने मिट्टी के पुतलों के कुछ सैनिक बनाए और उन पर जादुई पानी छिड़क कर उनमें जान फूँक दी। अपने सैनिको की मदद से उसने शक्तिशाली शत्रुओं पर विजय प्राप्त की। उस दिन से शालिवाहक शक का प्रारंभ हुआ। इसी दिन से कई लोगों ने अपने घर में विजय उत्सव मनाया और ध्वज(गुड़ियां) लहराई।

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान राम ने बाली के अत्याचारों से वहां की प्रजा को मुक्त कराया। इस दिन भी लोगों ने अपने घरों पे विजय यानी की ध्वज(गुड़ियां) फहराई। महाराष्ट्र के हर घर के आंगन में आज भी गुड़ी खड़ी करने की प्रथा मनाई जाती है। इसलिए इस दिन को गुड़ी पड़वा कहकर बुलाया जाता है।

Shalivahak Kumar

गुड़ी पड़वा महोत्सव-

भारत के महाराष्ट्र राज्य के अलावा गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि ऐसे राज्य है जहां गुड़ी पड़वा का त्यौहार अलग अलग तरीको से मनाया जाता है। जानिए देश के इन हिस्सों में कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का महत्व:

महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा महोत्सव-

महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का महोत्सव छत्रपति शिवाजी की जीत के रुप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग पारंपरिक पोशाक में सांस्कृतिक सम्मेलनों में भाग लेते है और नृत्य कला का प्रदर्शन करते है। महाराष्ट्र में इस त्यौहार को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है।

Chatrapati Shivaji

गोवा में गुड़ी पड़वा महोत्सव-

शिगमो त्यौहार के तुरंत बाद गोवा में गुड़ी पड़वा का महोत्सव मनाया जाता है। गोवा में यह मान्यता है कि इस दिन किसी नए व्यवसाय को शुरु करना सबसे लाभकारी होता है। गोवा में गुड़ी पड़वा के त्यौहार को वीरभद्र के प्रदर्शन के रुप में मनाया जाता है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा-

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा के त्यौहार को उगादी कहकर भी बुलाया जाता है। इस दिन यहां बहुत बड़ी संख्या में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कवि सम्मेलन का आयोजन करना यहां के प्रमुख रिवाज के रुप में मनाया जाता है।

ज्योतिष से जानिए गुड़ी पड़वा का महत्व-

गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण है। गुड़ी पड़वा का महत्व जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करे। गुड़ी पड़वा के महत्व को जानने के लिए नीचे लिखे कथनों पर एक नजर जरूर डालें:

स्वास्थ्य की दृष्टि से है काफी लाभदायक-

गुड़ी पड़वा पर बनने वाले व्यंजन स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते है। इस दिन आंध्र प्रदेश में प्रसाद के रुप में पछड़ी बनाई जाती है। जिसे खाली पेट खाने से व्यक्ति की त्वचा संबंधी समस्या दूर हो जाती है।

Pachdi Dish

घर में शांति लाता है गुड़ी पड़वा –

गुड़ी पड़वा दो शब्दों के जोड़ से बना है। गुड़ी भगवान ब्रह्मा के ध्वज का प्रतीक माना जाता है और पड़वा को चंद्रमा के चरण का पहला दिन कहा जाता है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि गुड़ी पड़वा कितना शुभ है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस घर में गुड़ी पड़वा का व्रत रखा जाता है उस घर में सुख शांति आती है। उस घर में कभी भी तनाव की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

किसानों के लिए है महत्वपूर्ण दिन-

यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का भी सूचक है। अधिकतर जगहों में गुड़ी पड़वा के त्यौहार के बाद रबी की फसल काटने की परंपरा है। माना जाता है कि इन दिनों माँ अन्नपूर्णा की किसानों के ऊपर विशेष कृपा होती है।

Rabi Crop

गुड़ी पड़वा लाता है घर में समृद्धि-

गुड़ी को विजय पताका का प्रतीक माना जाता है। गुड़ी पड़वा के त्यौहार के दिन लोग अपने घर में गुड़ी को विशेष रुप से सजाते है। फिर उसको फहराते है। हिंदू परंपरा में ऐसा माना जाता है जिस घर में गुड़ी को फहराया जाता है। उस घर में सुख-समृद्धि आती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. महाराष्ट्र में किस भगवान को सबसे ज्यादा पूजा जाता है?

महाराष्ट्र में विट्ठल भगवान की पूजा सबसे ज्यादा होती है। जो कृष्ण भगवान का एक अवतार है।

2. गुड़ी पड़वा क्या है?

महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला गुड़ी पड़वा एक विशेष त्यौहार है। जो चैत्र नवरात्रि की दशमी तिथि को आता है।

3. गुड़ी पड़वा 2023 की तिथि क्या है?

इस साल गुड़ी पड़वा का त्यौहार बुधवार 22 मार्च को पड़ रहा है। जो प्रत्येक वर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।

4. कौन सी चीजें गुड़ी पड़वा के दिन शुभ मानी जाती है?

ज्योतिष के अनुसार गुड़ी पड़वा में पीले रंग के कपड़े, लाल फूल और लाल सिंदूर काफी शुभ माने जाते है।

5. क्या है गुड़ी पड़वा की मुख्य रश्मे?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुड़ी पड़वा की रस्मों में मुख्य है तेल से स्नान के बाद पूजा करना है। साथ में नीम की पत्तियों का सेवन भी मुख्य रस्म है।

और पढ़ें: माँ सरस्वती की कहानी और क्यों मिला भगवान ब्रह्मा को श्राप

गुड़ी पड़वा से जुड़ी अन्य जानकारी चाहते हैं तो इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।

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