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Varuthini Ekadashi 2023: इस दिन भगवान विष्णु ने लिया था वराह अवतार

By March 29, 2023December 6th, 2023No Comments
Varuthini Ekadashi

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से वराह अवतार दूसरे स्थान पर आता है। जिसे हिंदू पुराणों और महाकाव्यों में वरुथिनी या वरुथानी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के रुप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों का अनुसरण करे तो जो मनुष्य पूरी निष्ठा से वरुथिनी एकादशी का व्रत रखता है। उसके हजार जन्मों के पाप माफ हो जाते है। ज्योतिष शास्त्र भी यह संकेत करता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से। जातक को एक ही दिन में उसके द्वारा किए गए हजार जन्मों के पुण्य की प्राप्ति होती है।

जाने वरुथिनी एकादशी 2023 के शुभ मुहूर्त के बारे में-

  1. वरुथिनी एकादशी व्रत तिथि- 16 अप्रैल(रविवार) 2023
  2. व्रत प्रारंभ समय- 15 अप्रैल, रात्रि 8 बजकर 45 मिनट पर है।
  3. व्रत समाप्ति समय- 16 अप्रैल, रात्रि 6 बजकर 14 मिनट
    पर है।
  4. वरुथिनी एकादशी व्रत पारण तिथि- 17 अप्रैल(सोमवार) 2023
  5. वरुथिनी एकादशी व्रत पारण अवधि- सुबह के 5:54 से लेकर सुबह के 8:29
    मिनट तक है।

16 April

ज्योतिषी से पूछे वरुथिनी एकादशी व्रत विधि में किन चीजों का रखें ध्यान-

बाकी सभी एकादशी व्रत की तरह वरुथिनी एकादशी व्रत विधि के लिए भी कुछ विशेष नियमों और रिवाजों की चर्चा की गई है। आइए जानते है वरुथिनी एकादशी व्रत विधि के महत्वपूर्ण नियमों के बारे में।

  • वरुथिनी एकादशी व्रत का प्रारंभ दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाता है। जो अगले दिन तक रहता है। इसलिए दशमी तिथि की रात्रि से ही व्यक्ति को वरुथिनी एकादशी का व्रत शुरु कर देना चाहिए।
  • हिंदू धर्म शास्त्रों में वरुथिनी एकादशी उपवास करने के दो तरीकों का वर्णन मिलता है। एक जो बिना पानी के किया जाता है निर्जला व्रत। दूसरा जिसमें फलाहार का सेवन किया जाता है। आप चाहे तो इनमें से कोई भी विधि अपना सकते है।
  • जैसा की पुराणों में वर्णित है वरुथिनी एकादशी का संबंध भगवान विष्णु के वराह अवतार से है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
  • कुल 16 तरह की सामग्री इस व्रत में भगवान विष्णु को चढ़ाई जाती है।
  • इस अवसर पर पीपल के पेड़ और तुलसी जी की भी पूजा की जाती है।
  • ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः: मंत्र का जाप भी भगवान विष्णु की पूजा के समय करना चाहिए।
  • वरुथिनी एकादशी का व्रत पारण मुहूर्त में ही खोलना चाहिए। अत: इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें।
  • इसके बाद गरीब और ब्राह्मणों को भोज कराए।

Puja Items

वरुथिनी एकादशी पूजा सामग्री में किन किन चीजों का प्रयोग होता है-

वरुथिनी एकादशी पूजा सामग्री में निम्नलिखित सामग्रियों का उपयोग होता है। अत: इन सामग्रियों का भी ख्याल रखें।

भगवान विष्णु को चढ़ाएं उनके पसंदीदा फूल-

अगस्त्य, कमल, जूही, केवडा आदि भगवान विष्णु के पसंदीदा फूल है। जो उनकी पूजा सामग्री में अवश्य शामिल होने चाहिए।

श्रीफल-

हलवा, केले और मीठे के भोग के साथ साथ भगवान विष्णु को श्रीफल चढ़ाना न भूले।

पीले वस्त्र-

वरुथिनी एकादशी पूजा सामग्री में पीले वस्त्रों का भी बहुत महत्व है। इसलिए इस दिन पीले वस्त्र ही धारण करे।

तुलसी के पत्ते-

भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार की कहानी तो आपने अवश्य ही सुनी होगी। इस कहानी से पता चलता है कि भगवान विष्णु को तुलसी कितनी प्रिय है। इसलिए आप इस व्रत में जिस भी पूजा सामग्री का उपयोग करें। उसमें तुलसी के पत्तों का ध्यान अवश्य करें।.

Coconut

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा के पीछे का इतिहास-

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने धर्मराज युधिष्ठिर के बार बार निवेदन करने पर। धर्मराज युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत कथा सनाई और इसके महत्व के बारे में भी बताया। जिसमें श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को मांधाता नाम के दानी राजा के बारे में बताया। श्री कृष्ण आगे कहते है कि हमेशा की तरह मांधाता अपनी तपस्या में लीन थे। तभी वहां एक भालू आया और मांधाता को घसीटकर नर्मदा नदी के तट पर ले आया। लेकिन राजा मांधाता अपने प्राणों की रक्षा के लिए बार बार श्री कृष्ण के नाम का जाप कर रहे थे।

राजा मांधाता की प्रार्थना सुनकर श्री कृष्ण वहां प्रकट हुए और मांधाता के प्राणों की रक्षा की। मांधाता तो बच गया लेकिन उसका पैर नहीं। जिससे मांधाता बहुत दुखी हुआ। मांधाता को दुखी देखकर भगवान विष्णु ने बताया कि यह तुम्हारे पिछले जन्मों के अपराध के फलस्वरूप हुआ है। फिर भगवान विष्णु ने मांधाता को वरुथिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। जिससे मांधाता को अपने सारे कष्टो से मुक्ति मिल गई।

 Dharamraj Yudhister

बहुत लाभकारी है वरुथिनी एकादशी व्रत का फल-

आइए जानते है वरुथिनी एकादशी व्रत का फल पाने के लिए जातक को किन किन नियमों का पालन करना चाहिए।

  • शास्त्रों में बताया गया है कि गंगा स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है। लेकिन गंगा स्नान से भी अधिक फल की प्राप्ति व्यक्ति को वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से होती है।
  • वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसे फिर अनेक योनियों में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती है।
  • कई धर्मग्रंथों में यह भी बताया गया है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत मनुष्य जीवन के दस हजार वर्षों की तपस्या के बराबर होता है।
  • इस दिन यानी की वरुथिनी एकादशी व्रत का फल पाने के लिए मनुष्य कई नियमों का पालन करता है। जिसमें से एक गरीबों और जरूरतमंदों को अन्नदान भी करना है।

Lord Vishnu

वरुथिनी एकादशी का महत्व-

वरुथिनी एकादशी का महत्व जानने के लिए आपको सबसे पहले वरुथिनी एकादशी व्रत कथा के बारे में पता होना चाहिए। कि यह व्रत करना कितना महत्वपूर्ण है। इस व्रत के महत्व का वर्णन नीचे किया गया है।

मोक्ष की होती है प्राप्ति-

वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती। बैकुंठ धाम है अब उसके आने वाले हर जन्म का निवास स्थान बन जाता है।

मिलता है भगवान विष्णु का आशीर्वाद-

इस दिन भगवान विष्णु की आरती और विष्णु चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।

शारीरिक कष्टों से दिलाता है निजात-

ऐसी मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत मनुष्य को गंभीर से गंभीर बीमारी से निजात दिलाता है।

हजार साल की तपस्या के बराबर है यह व्रत-

कभी सोचा है हजार साल की तपस्या करने में हजारों जन्म लेने पड़ते है। तब जाकर मनुष्य को इन तपस्या का फल मिलता है। लेकिन वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य इन हजार सालों का रास्ता एक ही दिन में तय कर लेता है।

सौभाग्य की होती है प्राप्ति-

वरुथिनी एकादशी का व्रत मनुष्य के लिए सुख समृद्धि और सौभाग्य के दरवाजे खोलता है। इस दिन किया गया व्रत जातक को अद्भुत लाभ देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. कुंडली कितनी सही होती है?

इस बात का कोई सीधा या सटीक उत्तर आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कुंडली उतनी ही सही होती है जितना कोई अन्य विज्ञान।

2. वरुथिनी एकादशी में भगवान विष्णु के किस अवतार की पूजा की जाती है?

वरुथिनी एकादशी में भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा होती है। जिसका मुख एक वराह की तरह होता है।

3. कब मनाई जाती है वरुथिनी एकादशी?

हिंदू पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत हर साल वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है।

4. हिन्दू शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष कितनी एकादशी पड़ती हैं?

प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी होती हैं। जिनमें से प्रत्येक माह 2 एकादशी होती हैं। जिन्हे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

और पढ़ें: Baisakhi 2023: सिखों का प्रमुख त्योहार है बैसाखी

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