हिंदू पंचांग में पौष का महीना सूर्य देवता का महीना माना जाता है। और पूर्णिमा तिथि चन्द्रमा की तिथि होती है। इस प्रकार पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य और चन्द्रमा का एक अद्भुत संयोग बनता है। सूर्य और चन्द्र की यह युति केवल पौष पूर्णिमा के दिन ही बनती है।
पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की उपासना करने से साधक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि इस दिन ग्रहों की बाधा शांत रहती है। साथ ही पौष पूर्णिमा व्रत करने से मोक्ष का वरदान भी मिलता है। तो आइए जानते हैं इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषियों से पौष पूर्णिमा पूजा विधि और पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त।
पौष पूर्णिमा 2023
वर्ष 2023 में पौष पूर्णिमा तिथि 06 जनवरी को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 06 जनवरी, शुक्रवार को 02 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो रही है। पूर्णिमा तिथि 07 जनवरी, शनिवार को प्रातः: 04 बजकर 37 मिनट को समाप्त हो जायेगी।
उदया तिथि और चंद्र देवता की पूर्णिमा की रात को ध्यान में रखते हुए पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 06 जनवरी 2023 को ही है। इस दिन व्रत, स्नान, दान और पूजा पाठ का विशेष महत्व है।
जानें पौष पूर्णिमा योग के बारे में
वर्ष 2023 की पहली पूर्णिमा – पौष पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। इस योग में किए गए सभी शुभ कार्य पूर्ण रूप से सफल होते हैं। साधक को हर कार्य में सिद्धि मिलती है। पौष पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 07 जनवरी को सुबह 12 बजकर 14 मिनट पर बनेगा। और शाम 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
इसके अतिरिक्त पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म योग भी बनेगा। सुबह 08 बजकर 11 मिनट तक ब्रह्म योग बना रहेगा। और उसके बाद से इंद्र योग रहेगा।
पौष पूर्णिमा पर भद्रा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2023 में पौष पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी है। 06 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया रहेगा। सुबह 07 बजकर 15 मिनट से भद्रा लग रही है। और दोपहर 03 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। भद्रा काल में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
जानें पौष पूर्णिमा पूजा विधि
- पौष पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। उसके बाद पूर्णिमा व्रत का संकल्प लें।
- पूर्णिमा पर्व के दिन साफ कपड़े पहने। सूर्यदेव को जल अर्पित करें और अर्घ्य दें।
- मंत्र जाप करें और गरीबों को कुछ दान जरूर दें।
- पूर्णिमा के दिन उपवास रखें। इसमें केवल फलाहार का सेवन करें।
- रात्रि के समय चन्द्रमा को अर्घ्य दें। और ध्यान या प्रार्थना करें। विधि विधान से पौष पूर्णिमा पूजा विधि करने के बाद व्रत खोलें।
- इस प्रकार साधक की प्रार्थना स्वीकार हो जाएगी।
पौष पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा तिथि को पूर्णत्व की तिथि माना जाता है। इस तिथि पर चन्द्रमा अपने सम्पूर्ण रूप में होता है।
पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्र समसप्तक होते हैं। इस तिथि के दिन वातावरण में विशेष ऊर्जा रहती है।
चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि के स्वामी होते हैं। अतः इस दिन चंद्र देव की उपासना करने से हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान, दान और ध्यान करने से विशेष फल की प्राप्ति होता है।
पौष पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय
- पूर्णिमा की आधी रात को घी का दीपक जलाकर माँ लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन लाभ होता है।
- मान्यता है कि मां लक्ष्मी पूर्णिमा तिथि के दिन ही धरती पर अवतरित हुई थीं। अतः उन्हें प्रसन्न करने के लिये इस दिन उनकी पूजा अवश्य रूप से करें।
- पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। फिर इसे सात कन्याओं में बांट दें। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
- धन प्राप्ति के लिए पौष पूर्णिमा के दिन 11 कौड़ियों पर हल्दी लगाकर मां लक्ष्मी के चरणों में चढ़ा दें। अगले दिन इन्हें एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें।
- पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. वर्ष 2023 में पौष पूर्णिमा व्रत कब रखा जाएगा ?
2. पौष पूर्णिमा का महत्व क्या है ?
3. पौष पूर्णिमा पूजा विधि क्या है ?
4. पौष पूर्णिमा योग क्या है ?
5. पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने का महत्व क्या है ?
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