मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की ग्यारस तिथि को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत करना चाहिए। इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और साधक की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। महाभारत के दौरान कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
मोक्षदा का अर्थ क्या है ?
हिन्दू धर्म में मोक्षदा का अर्थ होता है – मोह का नाश करने वाली। अतः इस एकादशी में व्रत करने से मानव जीवन के सभी मोह का नाश हो जाता है।
मोक्षदा एकादशी 2022
वर्ष 2022 में मोक्षदा एकादशी का व्रत 3 दिसंबर, शनिवार को रखा जाएगा।
3 दिसंबर, 2022 को एकादशी तिथि 5 बजकर 40 मिनट पर प्रारम्भ होगी। और 4 दिसंबर, 2022 को 5 बजकर 35 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिष के अनुसार मोक्षदा एकादशी 3 दिसंबर को ही मनाना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी कथा क्या है ?
प्राचीन काल में चंपकनगर राज्य में वैखानस नाम का एक राजा रहता था। एक बार राजा ने सपने में देखा कि उनके पिता नर्क में कष्ट भुगत रहे हैं। यह बुरा सपना देखकर राजा का मन करुणा से भर गया। अगले दिन राजा ने अपने राज्य के विद्वान् ब्राह्मणों को बुलाया जो चारों वेदों के ज्ञाता थे। राजा ने उन्हें अपनी व्यथा सुनाई। राजा ने ब्राह्मणों से प्रार्थना की और उनसे मार्गदर्शन माँगा। राजा की बात सुनकर ब्राह्मणों ने बताया कि उनकी नगर की सीमा पर एक जंगल है जो पर्वतों से घिरा हुआ है। वहां पर्वत मुनि रहते हैं जो एक महान तपस्वी हैं। वह तीनों लोकों के ज्ञानी हैं। ब्राह्मणों ने राजा को पर्वत मुनि की शरण में जाने के लिए कहा।
ब्राह्मणों के कहने पर राजा पर्वतमुनि के आश्रम में गया। महान तेजस्वी और तपस्वी पर्वतमुनि को राजा ने अपनी दुख भरी कहानी बताई। राजा की बात सुनकर पर्वतमुनि ध्यानमग्न हो गए। और कुछ समय बाद आंखें खोल कर उन्होंने राजा को बताया कि उनके पिता पूर्व जन्म के पापों के कारण नर्क में यातना भुगत रहे हैं। दुखी हुए राजा ने ऋषि से इसका निवारण पूछा। तब पर्वतमुनि ने राजा को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में मोक्षदा एकादशी पर नियमपूर्वक व्रत करने को कहा।
ऋषि की बात सुनकर राजा ने अपने परिवार के साथ मोक्षदा एकादशी का की पूजा और व्रत किया। फलस्वरूप राजा के पिता को मोक्ष प्राप्ति हो गयी।
तभी से मोक्षदा एकादशी को पितरों की शांति के लिए अत्यंत ही फलदायी व्रत माना जाने लगा।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
आइये जानते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का महत्व –
किसी भी एकादशी पर व्रत और अनुष्ठान करना अत्यंत ही फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि एकादशी के दिन विधि विधान से पूजा और उपवास करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए किया जाता है। मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने से साधक के पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी के दिन गीता का ज्ञान
कहते हैं कि मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। श्रीमद भगवत गीता एक महान ग्रंथ है जिससे मनुष्य को जीवन में प्रेरणा मिलती है। भगवत गीता में हर समस्या का समाधान लिखा हुआ है इसे पढ़ने से अज्ञानता दूर होती है।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें। और व्रत का संकल्प लें। फिर घर के मंदिर में श्री हरि विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें तुलसी की मंजरी अवश्य अर्पित करें। मिष्ठान और फलों का भोग लगाएं।
फिर मोक्षदा एकादशी कथा सुनें और भगवान का कीर्तन करें। अंत में आरती के लिए घी का दीपक जलाएं।
मोक्षदा एकादशी के दिन गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ अवश्य करना चाहिए।
हाथ में चंदन की माला लेकर श्री कृष्ण दामोदराय नमः मंत्र का जाप भी करें।
मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा-पाठ के पश्चात् गरीबों को दान दक्षिणा दें।
इस विधि से आपको मोक्षदा एकादशी व्रत का सम्पूर्ण फल मिलेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. मोक्षदा एकादशी 2022 कब है ?
2. मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है ?
3. मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती क्यों मनाई जाती है ?
4. मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि क्या है ?
5. मोक्षदा का अर्थ क्या होता है ?
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