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जानें हिंदू धर्म में स्वास्तिक बनाने का महत्व, कैसे पाएं लाभ

By June 1, 2023December 14th, 2023No Comments

हिन्दू धर्म में स्वस्तिक चिन्ह का सबसे अधिक महत्व होता है। माना जाता है कि स्वास्तिक धन, वैभव और सुख समृद्धि का प्रतीक होता है। जब भी कोई शुभ काम का अवसर होता है जैसे कोई पूजा- हवन, शादी या किसी भी तरह के शुभ काम में स्वस्तिक चिन्ह को घर के मुख्य द्वार पर और घर के अंदर बनाया जाता है। शायद सभी जानते होंगे की जब घर में किसी नयी दुल्हन का गृह प्रवेश होता है तब भी उसे घर में ले जाने से पहले उसके दोनों हाथों से घर की दीवार के दोनों कोनों पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। क्योंकि हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब नयी विवाहिता घर आती है तो वह लक्ष्मी माता का रूप होती है।

स्वास्तिक के चिन्ह का ज्योतिष शास्त्रों में बहुत बड़ा महत्व बताया जाता है। स्वस्तिक का चिन्ह भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। जब घर में दिवाली का उत्सव होता है तो घर- घर में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। पूजा करने से पहले हल्दी या कुमकुम से गणेश भगवान और माता लक्ष्मी के आगे स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में कहा जाता है कि स्वास्तिक का चिन्ह हर मंगल कार्य में बनता है। स्वस्तिक चिन्ह बनाने से न सिर्फ भारत देश अपितु सम्पूर्ण संसार का लाभ होता है क्योंकि इसके अंदर ऐसी ऊर्जा होती है जो नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल देती है। आइए जानते है स्वस्तिक क्या है? और स्वास्तिक कैसे बनाएं?

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स्वस्तिक क्या है?

स्वस्तिक हिन्दू धर्म में गणेश भगवान का प्रतीक माना जाता है। यह जीवन में धन, वैभव और सुख समृद्धि स्वस्तिक में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो सीधे जाकर दायी और बायीं और मुड़ जाती हैं। इसके बाद ये दोनों रेखाएं अपने सिरों से आगे की और मुड़ती हैं। यही होता है स्वस्तिक चिन्ह जिससे मनुष्य अत्यधिक लाभ पाता है।

स्वस्तिक चिन्ह प्रतीक

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार स्वस्तिक चिन्ह को कई ऐसी धार्मिक चीजों का प्रतीक बताया गया है जिनका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है और वह बहुत शक्तिशाली होती हैं। आइए जानते है स्वस्तिक चिन्ह किस-किस का प्रतीक होता है।

1.चारों दिशाओं का प्रतीक

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार स्वस्तिक चिन्ह चारों दिशाओं पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण का प्रतीक होता है। स्वस्तिक चिन्ह चारों दिशाओं में होता है यह दिशाओं के महत्व को बताता है। स्वस्तिक चिन्ह अग्रि, सोम, इंद्र, वरुण चारों दिशाओं के देवताओं की जब पूजा होती है, तब बनाया जाता है। और यदि कोई जातक सप्तऋषि तारा मंडल के ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है तब भी स्वस्तिक बनाया जाता है। इसलिए स्वस्तिक को सभी दिशाओं का प्रतीक कहा जाता है।

Direction Sign

2. चारों वेदों का प्रतीक

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक का चिन्ह हिन्दू धर्म के चारों वेदों का प्रतीक होता है। यह चार वेद ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद, सामवेद हैं। कहा जाता है कि, उन्हें चारों वेदों में हिन्दू धर्म के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान होता है।

3. पुरुषार्थ और मार्ग का प्रतीक

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म के चार सिद्धांत होते हैं धर्म, मोक्ष, काम एवं अर्थ होते हैं। इन चार सिद्धांतों को भी स्वस्तिक इंगित करता है। इसके अलावा चार मार्ग होते हैं ज्ञान, कर्म, मार्ग और भक्ति इन मार्गों का भी स्वस्तिक चिन्ह का प्रतीक होता है।

4. जीवन चक्र का प्रतीक

स्वस्तिक मनुष्य के जीवन चक्र और उसकी मृत्यु का प्रतीक होता है। जीवन चक्र के दौरान इंसान का जन्म, बालपन किशोरावस्था, जवानी और बुढ़ापा शामिल है या ऐसे भी कह सकते हैं कि बालपन, किशोरावस्था, जवानी और बुढ़ापा जीवन चक्र में शामिल हैं जिनका प्रतीक स्वस्तिक है।

5. व्यक्ति के जीवन के आश्रमों का प्रतीक

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब जातक के जीवन की शुरुआत होती है तो वह अपने जीवन को चार आश्रमों की तरह जी सकता है। वह आश्रम इस प्रकार है, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। यह चारों आश्रम का प्रतीक स्वस्तिक होता है।

6. युग, समय और गति का प्रतीक स्वस्तिक चिन्ह

स्वस्तिक चिन्ह की चारों फैली हुई रेखाएं नरक, त्रियंच, मनुष्य और देव गति का प्रतीक भी होती हैं। इसी प्रकार दिन में 4 बार समय बदलता है सुबह, दोपहर, शाम, रात इसलिए स्वस्तिक चिन्ह समय का भी प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सृष्टि में 4 युग हैं, द्वापरयुग, त्रेतायुग, सतयुग और कलयुग इन सभी युगों का प्रतीक भी स्वस्तिक है।

Swastika symbol symbolizing era, time and speed

7. योग जोड़ का प्रतीक स्वस्तिक चिन्ह

स्वस्तिक चिन्ह के आकार को गणित के धन चिन्ह की तरह माना जाता है, इसलिये स्वस्तिक चिन्ह को गणित में होने वाले जोड़ योग का प्रतीक भी समझा जाता है।

स्वस्तिक कैसे बनाएं

यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है कि स्वस्तिक कैसे बनाएं या किस चीज से बनाये तो स्वास्तिक बनाने के लिए हल्दी और कुमकुम का उपयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हल्दी से बना हुआ स्वास्तिक अधिक लाभकारी होता है। लेकिन कुमकुम से बनाया हुआ स्वस्तिक भी शुभ होता है। स्वस्तिक को घर के अंदर या घर के बाहर जहाँ भी आप बना रहें है उसे ईशान या उत्तर कोण दिशा में बनाना चाहिए। या दिशा स्वास्तिक बनाने के लिए शुभ होती हैं। यदि आपके घर की सुख शांति खत्म गयी है और आप इससे परेशान हो चुके हैं तो तो आपको अपने घर की देहली पर हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए। यदि आपके घर में कोई मांगलिक कार्य है जैसे किसी का विवाह है तो कुमकुम से स्वस्तिक बनाना शुभ होता है। ‘

Swastik making with hand

स्वास्तिक के लाभ

  • यदि घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम होता है तो कुमकुम के द्वारा स्वास्तिक बनाना चाहिए। स्वास्तिक को अपने घर के बाहर वाली चौकट पर बनाकर छोड़ दें। इससे घर में जो खुशियां आयी हैं उनको किसी की बुरी नज़र नहीं लगती है। और घर में गणेश भगवान माता लक्ष्मी का वास रहता है।
  • अपने घर में पांच धातु के स्वास्तिक को प्राण प्रतिष्ठा कराने के बाद घर के देहली में रख दें, ऐसा करने से आपके घर की सभी मुसीबतें खत्म होती हैं। और भगवान का वास घर में होता है।
  • यदि आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है और आपके घर में धन की कमी हो गयी है तो, चांदी रत्न में नवरत्न लगवा लें और पूर्व दिशा में स्वास्तिक को स्थापित कर दें। ऐसा करने से आपके घर में लक्ष्मी माता का प्रवेश होता है और धन सम्बन्धी सभी मुश्किलें हल होती हैं।
  • यदि आपके व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है और आपका मन हमेशा परेशान रहता है तो इसका हल भी स्वस्तिक के पास है। अपने कार्यस्थल पर जाकर हल्दी से उत्तर दिशा की और एक स्वास्तिक का चिन्ह बनवा लें। यह स्वास्तिक व्यापार में तरक्की के लिए अत्यधिक लाभकारी होगा। ऐसा करने से जातक दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करता है।
  • अपने पूजा स्थल पर हल्दी से एक छोटा सा स्वास्तिक चिन्ह बनाएं और उस पर एक घी का दीपक जला कर रख दें। ऐसा नियमित रूप से सुबह के समय करें और अपनी मनोकामना मांगें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। और सभी देवताओं का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है।
  • लक्ष्मी माता और गणेश भगवान के मंदिर जाकर गाय के गोबर से एक उल्टा स्वास्तिक बना लें और उसके आगे बैठ कर अपनी मनोकामना माता लक्ष्मी और भगवान गणेश से पूरी करने की प्रार्थना करें। जब यह मनोकामना पूरी हो जाये तो स्वस्तिक को सीधा बना दें उसे उल्टा न छोड़े।
  • यदि आपके घर में पितरों की पूजा हो रही है तो आपको उसमें हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। आपके घर में हो रही पितरों की सारी समस्याएं हल होंगी।
  • यदि आपको रात को नींद नहीं आती है और आप पूरी रात बेचैन रहते हैं तो आपको शाम के समय अपनी तर्जनी ऊँगली से अपने घर के उस स्थान पर जहाँ आप सो रहे हैं स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। आपको एक अच्छी और पूरी नींद मिलती है। इसी प्रकार स्वास्तिक के लाभ अनेक हैं।

स्वास्तिक के उपयोग

  • स्वास्तिक के उपयोग हिन्दू धर्म में लगभग प्रत्येक घर में किये जाते हैं। स्वस्तिक को जब बनाया जाता है जब घर में कोई पूजा या कोई मांगलिक कार्य होता है।
  • स्वास्तिक का बनाना एक शुभ कार्य होता है। इससे घर में लक्ष्मी माता का वास होता है।
  • यह भगवान गणेश का प्रतीक है इसलिए स्वास्तिक बनाने से भगवान गणेश का भी जातक को आशीर्वाद मिलता है।
  • घर के मांगलिक कार्यों में स्वास्तिक बनाना शुभ होता है इसे घर के आंगन और द्वार की चौखट पर बनाया जाता है।
  • स्वास्तिक के घर में बने होने से बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती हैं और घर को बुरी नज़र कभी नहीं लगती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. गले में स्वास्तिक का लॉकेट पहनने से क्या होता है?

यदि आप गले में कोई लॉकेट और हाथ में स्वास्तिक की अंगूठी पहनते हैं तो इसे पहनने से आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनती है।

2. स्वास्तिक को घर की किस दिशा में लगाना चाहिए?

स्वास्तिक को घर की उत्तर पूर्व दिशा में लगाएं। यह दोनों दिशाएं शुभ होती हैं।

3. स्वास्तिक कौन से भगवान का प्रतीक है?

स्वास्तिक भगवान गणेश का प्रतीक है जब भगवान गणेश की पूजा की जाती है तो स्वास्तिक भी बनाया जाता है। इसका विशेष फल जातक को प्राप्त होता है।

4. स्वास्तिक बनाने से क्या होता है?

स्वास्तिक से घर में सुख, समृद्धि और संपन्नता आती है। घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं रहता है। और जीवन में खुशियां आती हैं

5. स्वास्तिक बनाने के लिए क्या इस्तेमाल करें?

स्वास्तिक बनाने के लिए रोली, हल्दी और कुमकुम का इस्तेमाल करना चाहिए। मंगल कार्य में कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और पूजा- हवन में हल्दी का स्वास्तिक बनाएं।

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