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एक ऐसी कथा जिसमें श्री राम ने हनुमान को दिया मृत्युदंड।

By June 23, 2022November 23rd, 2023No Comments
Lord Ram And Lord Hanuman

एक महान ग्रंथ रामायण-

रामायण हिन्दू धर्म का महान ग्रंथ है। रामायण की कथाएं अत्यधिक दिलचस्प हैं। इस ग्रंथ में श्री राम से जुड़ी कथाएं लिखी गयी हैं। इस ग्रंथ में श्री राम के प्रिय भक्त बजरंगबली हनुमान जी के बारे में भी बताया गया है। आज हम आपको बताएंगे श्री राम और बजरंगबली हनुमान से जुड़ी ऐसी दिलचस्प कथा। जो शायद आपने कभी नहीं सुनी होगी।
ग्रंथ रामायण में एक ऐसी कथा है। जिसमें श्री राम ने अपने प्रिय भक्त हनुमान को मृत्युदंड दे दिया था। यह सुनकर आप हैरान हो गए होंगे। पर यह सच है।
आइये जानते हैं। श्री राम ने हनुमान को क्यों दिया मृत्युदंड की सजा?

मृत्युदंड श्री राम ने हनुमान को क्यों दिया?

एक बार की बात है। ऋषि नारद का कहना था। भगवान राम का नाम खुद श्री राम से बड़ा है। इस मत के लिए एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमे महान संत,ब्राह्मण, ऋषि नारद और विश्वामित्र जैसे महान विद्वान थे। यह सब नारद जी के मत पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे। इसी सभा में हनुमान जी भी उपस्थित थे। जब चर्चा समाप्त हुई। तब ऋषि मुनि नारद ने हनुमान जी से सभी लोगों को प्रणाम करने के लिए कहा।

विश्वामित्र को छोड़कर हनुमान जी ने सभी लोगों का अभिनन्दन किया। विश्वामित्र यह देखकर क्रोधित हो उठे। विश्वामित्र को यह अपना उपहास लगा। गुस्से में उन्होंने भगवान श्री राम से हनुमान को मृत्युदंड देने का वचन लिया। श्री राम के गुरु विश्वामित्र थे। जिसके कारण श्री राम अपने गुरु की आज्ञा को मना नहीं कर पाए। श्री राम हनुमान जी से अत्यधिक प्रेम करते थे। फिर भी श्री राम को यह कठोर फैसला लेना पड़ा। हनुमान जी को श्री राम सजा देने आ रहे थे। तब नारद जी ने इससे बचने के लिए श्री राम का नाम जपने को बोला।

हनुमान जी ने मृत्युदंड से कैसे हुए मुक्त ?

नारद जी ने जैसा कहा। हनुमान जी ने ठीक वैसा ही किया। संकटमोचन हनुमान एक पेड़ के नीचे बैठकर श्री राम का नाम जपने लगे। हनुमान जी श्री राम का नाम जपते जपते खो गए। जब श्री राम उन पर तीर से प्रहार कर रहे थे। हनुमान जी का तीर से बाल भी बांका ना हुआ। यह देखकर सभी लोग हैरान हो गए। श्री राम अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए ब्रह्मास्त्र चला दिया। जिसके कारण पृथ्वी पर प्रलय आ गया था। यह सब देखकर ऋषि नारद ने विश्वामित्र को पूरी घटना की जानकारी दी। तब विश्वामित्र ने श्री राम से अपना वचन वापस ले लिया। इस घटना से यह भी सिद्ध हो गया। भगवान श्री राम का नाम स्वयं श्री राम से बड़ा है।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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