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देवशयनी एकादशी 2023- निद्रा में चले जायेंगे भगवान विष्णु, नहीं होंगे मंगल कार्य

By June 8, 2023December 14th, 2023No Comments
Devshyani Ekadashi 2023

देवशयनी एकादशी 2023 का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली देवशयनी एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में देवशयनी एकादशी के दिन से ही अगले 4 महीने तक यानी कि देवउठान एकादशी तक कोई भी मंगल कार्य नहीं किया जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी के दिन से 4 माह बाद तक किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

देवशयनी एकादशी 2023 के बाद के जो 4 महीने का समय होता है उस समय को चातुर्मास कहा जाता है। इस समय के दौरान आपने महसूस किया होगा कि कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं किया जाता है जैसे विवाह या कुआँ पूजन आदि। क्योंकि इस दौरान भगवान विष्णु अपनी निद्रा में चले जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दौरान कोई भी ऋषि महात्मा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाते हैं। वह अपने एक निश्चित स्थान पर बैठ कर कर तपस्या और ध्यान करते रहते हैं और 4 महीने बाद ही बाहर निकलते हैं हैं। आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी तिथि और देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त के बारे में।

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देवशयनी एकादशी तिथि और समय

देवशयनी एकादशी का व्रत इस साल 29 जून को 2023 को किया जायेगा। देवशयनी एकादशी का समय 29 जून को सुबह 03 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो जाएगा। अगले दिन 30 जून 2023 को सुबह 2 बजकर 42 मिनट पर यह व्रत समाप्त हो जायेगा।

देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी पर विष्णु जी की पूजा समय सुबह 10 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक करने का सबसे शुभ मुहूर्त है।
देवशयनी एकादशी के बाद 30 जून 2023 को व्रत को खोलने का समय दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 04 बजकर 36 मिनट पर समाप्त हो जायेगा।

देवशयनी एकादशी पूजा विधि

  • देवशयनी एकादशी पूजा विधि के अनुसार करें इसलिए इस दिन सुबह सूर्यौदय से पहले उठ जाएँ और स्नान करके पीले या केसरिया रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्यदेव को देखते हुए तुलसी में जल अर्पित करें।
  • अब अपने मन में यह संकल्प करना चाहिए कि देवशयनी एकादशी के व्रत को आप पूरे विधि-विधान के साथ सम्पूर्ण करेंगे।
  • अब अपने पूजा स्थल को साफ करके वहां थोड़ा गंगा जल ड़ाल कर उस स्थान को पवित्र कर लें। इसके बाद यहां विष्णु भगवान की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें।
  • अब भगवान विष्णु की मूर्ति का गंगा जल में थोड़ा गाय का दूध मिला कर उससे अभिषेक करें। और विष्णु भगवान पर पीले रंग के फूल अर्पित करें।
  • अब भगवान विष्णु को मिठाई, फल और भोग के लिए बनाया गया घर का प्रसाद इसके साथ ही तुलसी को भी अर्पित करें। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार तुलसी को भगवान विष्णु के भोग में शामिल करना आवश्यक माना गया है।
  • इसके पश्चात पूजा की थाली में एक घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं साथ ही इसमें कुछ मिठाई और चन्दन रखें।
  • अब सभी लोग जो व्रत रख रहे हैं या पूजा कर रहे हैं वह लोग इस थाली से एक साथ भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु पुराण का पाठ करें।
  •  देवशयनी एकादशी के पूरे दिन भगवान विष्णु को ध्यान में रखें और उनके कुछ मंत्रों का जाप करते रहें। कम से कम दिन में 108 बार विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करने से लाभ मिलता है।
  • यदि हो सके तो इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर जाकर एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं और उनकी स्तुति करें। मंदिर में भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना पूरी करने की दुआ करें मंदिर 12 बजे से पहले ही जाएँ।
  • इस दिन यदि कर सकें तो पुरे दिन का निर्जला व्रत करें नहीं तो एक समय कुछ खा सकते हैं साथ ही रात के समय भगवान विष्णु का कीर्तन या जागरण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी हिन्दू धर्म में मनाई जाती है। इस दिन कुछ लोग धार्मिक नदियों में स्नान करने के लिए भी जाते हैं। इस व्रत में दान देने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन चाहे कोई व्रत करें या न करे उसे इस दिन चावल किसी भी साबुत अनाज को ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस व्रत को विधि के अनुसार रखने से व्यक्ति के बुरे कर्मों का फल बहुत हल्का हो जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के अंदर एक सकारात्मकता उत्पन्न हो जाती है और कहा जाता है कि इस व्रत से जातक के शुभ कर्म इतने बढ़ जाते हैं की वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।

देवशयनी एकादशी कथा

एक युग में एक चक्रवाती सम्राट मांधाता राज करता था। वह स्वभाव से बहुत ही अच्छा और हमेशा सत्य वचन बोलने वाला था। राजा अपनी प्रजा का अत्यधिक ध्यान रखता था। राजा ने कभी भी अपनी प्रजा को किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। राजा की सारी प्रजा उससे खुश थी। अचानक राज्य में 3 वर्ष से अधिक हो जाने के पश्चात भी कोई बारिश नहीं हुई। जिससे राज्य पूरी तरह सुख गया था वहां अकाल पड़ने लगा और प्रजा के पास खाने की कमी होने लगी। राजा से अपने राज्य की ये हालत देखी नहीं जाती थी अतः एक दिन राजा के सब्र का बांध टूट गया और वह अपनी सेना को लेकर जंगल की तरफ चल दिया। जंगल में राजा की मुलाकात ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि से हुई। राजा ने अंगिरा ऋषि से प्रसन्न किया की शास्त्र बताते हैं कि यदि कोई राजा अपने राज्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करता है और वह कोई पाप कर्म नहीं करता तो उसकी प्रजा को दुःख नहीं भोगना पड़ता। जब मैंने कोई पाप नहीं किया तो मेरी प्रजा दुखी क्यों हैं? और मेरे राज्य में अकाल क्यों पड़ गया है? इसका मुझे आप उत्तर बताइए। अंगिरा ऋषि ने कहा कि, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को पूरी विधि के अनुसार करो। यह एकादशी का व्रत करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और इस व्रत के प्रभाव से सभी उपद्रवों का नाश हो जाता है। तुम इस व्रत को अपने मंत्रियों, सेना और प्रजा के साथ विधि के अनुसार करो तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

राजा वापस लौट गए और अपनी सारी प्रजा मंत्रियों के साथ मुनि के के द्वारा बताई गई विधि को अपनाकर यह व्रत पूर्ण किया। इस व्रत के पूर्ण होने के बाद राजा के राज्य में बहुत तेजी के साथ वर्षा होने लगी और प्रजा में ख़ुशी की लहार दौड़ गयी। सारा राज्य फिर से धनी हो गया। अंत इस व्रत को प्रत्येक व्यक्ति को विधि के अनुसार करना चाहिए और देवशयनी एकादशी कथा पढ़नी चाहिए।

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देवशयनी एकादशी पर क्या करें

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य को अर्घ अर्पित करें।
  • इस दिन विष्णु भगवान के नाम से संकल्प लेकर व्रत रखें और उसका पालन करें।
  • देवशयनी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त पर ही करें इससे विशेष फल मिलेगा।
  • पीले और सफ़ेद रंग के कपडे पहनें क्योकिं पीला रंग विष्णु भगवान का पसंदीदा रंग है।
  • पति और पत्नी एक साथ इस व्रत को रखें दोनों की मनोकामना पूरी होती हैं। जोड़े से व्रत रखने पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • भगवान विष्णु के मंदिर जाकर घी का दीपक जरूर प्रज्वलित करें। व्रत सफलतापूर्वक पूर्ण होता है।
  • व्रत वाले दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्र धारण करवाएं और उनके सिर पर पीला मुकुट लगाएं।
  • अपने आस पास की किसी धार्मिक नदी में स्नान करें।
  • इस दिन फलों यदि निर्जला व्रत नहीं कर सकते तो फलों को ग्रहण करके यह व्रत करें।
  • व्रत को पूर्ण हो जाने के बाद भगवान विष्णु को हाथ जोड़ कर प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद लें।

देवशयनी एकादशी को क्या नहीं करना चाहिए

  • देवशयनी एकादशी के दिन चावल और कोई भी साबुत अनाज नहीं खाना चाहिए।
  • देवशयनी एकादशी के दिन किसी भी प्रकार से मांसाहारी भोजन, मदिरा और तामसिक भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास लग जाता है और चतुरमार्श में किसी भी प्रकार का कोई मंगल कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ धारण और उपनय संस्कार।
  • इस व्रत के 4 महीनों तक नकारात्मकता अधिक हो जाती है इसलिए अपने व्रत और पूजा पाठ को विधि अनुसार करना चाहिए ताकि बुरी शक्तियां आपके ऊपर हावी न हो पाएं।
  • इस व्रत के दिन क्रोध न करें और न ही किसी भी प्रकार का कोई लड़ाई झगड़ा करें ऐसा करने से व्रत सफल नहीं होता है।
  • अपने अंदर के 5 दोष काम, क्रोध, मोह, लोभ, ईर्ष्या को त्याग कर व्रत करें अच्छा लाभ मिलेगा।
  • अपने मन में किसी के लिए द्वेष भावना न आने दें और किसी दूसरे की बुराई न करें।
  • अपने विचारों को शुद्ध करें। अच्छा ही सोचें।
  • जो लोग इस दिन व्रत करते हैं उनको अगले 4 महीनों तक बस एक समय ही अन्न ग्रहण करना चाहिए और रात को पलंग पर नहीं जमीन पर सोना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान मूली, शहद, बैंगन न खाएं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. देवशयनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी के से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए देवशयनी एकादशी मनाई जाती है।

2. क्या देवशयनी एकादशी के दिन व्रत भी रख सकते हैं?

इस दिन व्रत रखा जाता है। देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने से आपके अंदर सकारात्मकता बढ़ती है जिसके बाद नकारात्मक ऊर्जा आपके ऊपर हावी नहीं हो सकती।

3. साल 2023 में देवशयनी एकादशी कब है?

साल 2023 में देवशयनी एकादशी 29 जून की है। यह हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है।

4. क्या देवशयनी एकादशी पर माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है?

माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं इसलिए भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।

5. भगवान विष्णु निद्रा से कब जागते हैं?

भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी पर निद्रा से जागते हैं जो इस साल 23 नवंबर 2023 गुरुवार के दिन आएगी। इस एकादशी से सभी मंगल कार्य होने लगते हैं।

और पढ़ें:- जानिए वर्ष 2023 में चंद्र दर्शन व्रत करने का महत्व और लाभ

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