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Jitiya Vrat 2025: जानिए जितिया व्रत 14 सितम्बर को है या 15 सितम्बर को?

By September 2, 2025No Comments
jitiya vrat by instaastro

जितिया, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं, माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए रखा जाने वाला एक कठिन व्रत है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और निर्जला (बिना पानी के) रहकर पूरा किया जाता है। आइए जानते हैं कि जितिया व्रत 2025 (Jitiya vrat 2025) में कब है और इसका क्या महत्व है।

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जितिया व्रत 2025 में कब है?

इस साल जितिया व्रत 2025 (Jitiya vrat 2025) रविवार, सितम्बर 14, 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह एक ऐसा व्रत है जिसे माएं अपनी संतानों के लिए बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ रखती हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि जितिया कब है (Jitiya kab hai) तो यह तिथि याद रखें।

2025 जीवित्पुत्रिका मुहूर्त कब है?

जीवित्पुत्रिका व्रत 14 सितंबर, 2025 को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 14 सितंबर को सुबह 05:04 बजे से शुरू होगी। व्रत का पारण अगले दिन, 15 सितंबर को सूर्योदय के बाद किया जाएगा, जब अष्टमी तिथि समाप्त होगी। जितिया कब है (Jitiya kab hai) अब आप जान चुके होंगे।

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जितिया यानि जीवित्पुत्रिक व्रत क्यों मनाया जाता है?

जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं।
इस व्रत को रखने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसके कारण यह माना जाता है कि जो माताएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं, उनकी संतान को जीवन में कोई कष्ट नहीं होता और वे हमेशा सुरक्षित रहती हैं। इसलिए (Jivitputrika vrat kab hai) हमारे लिए जानना अधिक जरूरी हो जाता है।

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जितिया व्रत कैसे मनाया जाता है?

यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और इसके नियम बहुत सख्त होते हैं। व्रत की शुरुआत ‘नहाए-खाए’ से होती है और अंत ‘व्रत के पारण’ के साथ होता है।

1. नहाए-खाए (पहला दिन):

व्रत की शुरुआत नहाए-खाए की रस्म से होती है। इस दिन माताएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं। इसके बाद, वह शुद्ध शाकाहारी भोजन करती हैं। इस भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं होता। इस दिन मुख्य रूप से दाल-चावल, रोटी और कुछ हरी सब्जियां खाई जाती हैं। इस रस्म के बाद ही व्रत की शुरुआत मानी जाती है।

2. निर्जला व्रत (दूसरा दिन):

यह व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और कठिन दिन होता है। इस दिन माताएं पूरे 24 घंटे बिना पानी पिए और बिना कुछ खाए रहती हैं। इस दिन के लिए जितिया पूजा कब है (Jitiya puja kab hai) यह जानना बहुत जरूरी है। शाम के समय पूजा की जाती है। इस पूजा में जीमूतवाहन, चील और सियारिन की मूर्तियों की पूजा होती है। व्रत की कथा भी इसी दिन सुनी जाती है।

3. पारण (तीसरा दिन):

व्रत का समापन पारण के साथ होता है। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। (Jitiya ka paran kab hai) यह जानना इसलिए आवश्यक है क्योंकि पारण के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है। पारण के समय माताएं कुछ खास पकवान खाती हैं। इसमें खीर, पूड़ी और कुछ मीठी चीजें शामिल होती हैं।

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जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा

इस व्रत के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है, जो व्रत के महत्व को बताती है। यह कहानी चील और सियारिन की है।

प्राचीन काल में, एक जंगल में एक चील और एक सियारिन रहती थी। दोनों बहुत अच्छी दोस्त थी। एक बार, उन्होंने पास में रहने वाली माताओं को जीवित्पुत्रिका व्रत रखते हुए देखा। उन्होंने भी अपनी संतानों के लिए यह व्रत रखने का फैसला किया।

जब व्रत का दिन आया, तो दोनों ने व्रत रखा। पूरे दिन निर्जला रहकर, उन्होंने भगवान जीमूतवाहन की पूजा की। लेकिन सियारिन को बहुत भूख लगी और वह व्रत नहीं सह पाई। उसने चोरी-छिपे जाकर कुछ खा लिया, लेकिन चील ने पूरी ईमानदारी से व्रत का पालन किया।

अगले दिन, जब चील और सियारिन अपने-अपने बच्चों से मिलने गईं, तो चील के सभी बच्चे जीवित थे, लेकिन सियारिन के सभी बच्चे मर गए थे। यह देखकर सियारिन बहुत दुखी हुई। तब चील ने उसे बताया कि यह सब उसके पापों का फल है। तुमने व्रत का पालन नहीं किया और लालच में आकर चोरी-छिपे खा लिया। मैंने सच्चे मन से व्रत रखा, इसलिए मेरे बच्चे जीवित हैं।

यह सुनकर, सियारिन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने जीमूतवाहन से अपने पापों के लिए माफी मांगी। तभी से यह माना जाता है कि इस व्रत का फल उसी को मिलता है, जो इसे पूरी ईमानदारी और सच्ची श्रद्धा से करता है। यही कारण है कि (Jivitputrika vrat kab hai) यह जानना ही काफी नहीं, बल्कि इसे सच्चे मन से करना भी जरूरी है।

जितिया व्रत का महत्व

जीवित्पुत्रिका व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक माँ के अटूट प्रेम और त्याग का प्रतीक है। यह व्रत हमें सिखाता है कि माता का प्यार और बलिदान कितना महान होता है। यह व्रत माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। जितिया का पारण कब है (Jitiya ka paran kab hai) और जितिया पूजा कब है (Jitiya puja kab hai) की सही तिथि जानने के साथ-साथ, इस व्रत के सच्चे भाव को समझना सबसे जरूरी है।

सारांश

जितिया व्रत 2025 (Jitiya Vrat 2025) 14 सितम्बर को मनाया जाएगा। जीवित्पुत्रिका व्रत माताओं द्वारा संतान की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। यह एक कठिन तीन-दिवसीय निर्जला व्रत है, जिसकी शुरुआत नहाए-खाए से होती है। इसकी कथा मां के सच्चे प्रेम और त्याग का महत्व बताती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. जितिया का क्या अर्थ है?

जितिया का अर्थ है ‘अपनी संतान को जीवित रखने वाला व्रत’, जो माताओं द्वारा अपनी संतानों की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए रखा जाता है।

2. जितिया का पारण कब है?

व्रत का पारण अगले दिन 15 सितंबर को सूर्योदय के बाद किया जाएगा। पारण के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है।

3. क्या जितिया व्रत में पानी भी नहीं पी सकते?

हां, व्रत वाले दिन माताएं पूरे 24 घंटे निर्जला (बिना पानी पिए) रहती हैं।

4. जितिया पूजा में क्या नियम होते हैं?

जितिया पूजा में माताएँ निर्जला उपवास करती हैं, स्नान-पूजन करती हैं, कथा सुनती हैं और संतान की लंबी आयु हेतु प्रार्थना करती हैं।

5. जीवित्पुत्रिका व्रत का दूसरा नाम क्या है?

जीवित्पुत्रिका व्रत को आम तौर पर जितिया के नाम से जाना जाता है। किसी जगह इसे जोतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

6. जितिया व्रत कितने दिनों तक चलता है?

यह व्रत तीन दिनों तक चलता है: पहले दिन नहाए-खाए, दूसरे दिन निर्जला व्रत, और तीसरे दिन पारण।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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