मंगल- शुक्र ग्रह का योग-
ज्योतिष शास्त्र में किसी इंसान की कुंडली ग्रह के अनुसार देखी जाती है। जब आपस में ग्रह मिलते हैं तो योग बनता है। यह योग किसी की कुंडली में शुभ समाचार लेकर आते हैं किसी की कुंडली में अशुभ।
आज हम आपको बताएँगे मंगल-शुक्र योग के बारे में। हमारे सौरमंडल में दो तरह के ग्रह पाए जाते हैं एक होता है ‘स्थलीय ग्रह’,दूसरा होता है ‘गैसीय ग्रह’।
स्थलीय ग्रह वो है जिनका आभासीय तल होता है और गैसीय ग्रह गैस से बने होते हैं। मंगल ग्रह शरीर के रक्त पर प्रभाव डालता है वही शुक्र ग्रह यौन इच्छा और कामवासना को दर्शाता है।
अब हम आपको बताएँगे मंगल-शुक्र योग के बारे में। जब मंगल-शुक्र ग्रह जब आपस में मिलते हैं। जो योग बनता है उसे व्यभिचारी योग कहते हैं। ये योग स्त्री के लिए बहुत हानिकारक साबित होता है। इस योग में स्त्री गलत काम करने लगती है। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव स्त्री पर पड़ता है।
व्यभिचारी योग क्या है?
इस योग में चाहे महिला हो या पुरुष वो अपनी कामवासना की वजह से गलत कामों में लिप्त हो जाते हैं और अपने जीवनसाथी को धोखा देते हैं। इसे व्यभिचारी योग कहते हैं। जब ये योग किसी स्त्री की कुंडली में आता है तो पूरे परिवार को बिखेर देता है।इसमें स्त्री पूरी तरह से कामवासना में चूर हो जाती है।जिससे समाज में मान- प्रतिष्ठा सब खो देते हैं।उसे अपने चरित्र पर दाग लगने का डर भी नहीं रहता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है उसे अपने परिवार, जीवनसाथी और अपने बच्चों पर भी ध्यान नहीं होता है। यह योग मंगल और शुक्र ग्रह की वजह से होता है। ये योग जिस स्त्री की कुंडली में होता है वो दूसरे पुरुष के साथ अवैध संबंध बनाती हैं।
कैसे बनता है ये योग ?
इस योग का कारण मंगल और शुक्र ग्रह है। जब किसी की कुंडली में सातवें भाव में राहु और सूर्य का सम्बन्ध बनता है तो व्यभिचारी योग उत्पन्न हो जाता है। इसकी वजह से लोग अपनी विवाह सम्बन्ध को छोड़कर दूसरा संबंध स्थापित करते हैं। यदि किसी स्त्री की कुंडली में शुक्र ग्रह मेष ,सिंह,धनु, वृश्चिक राशि में तथा मंगल,राहु,केतु और शनि के साथ योग करता है तो वह स्त्री अधिक यौन संबंध बनाती है।
जब चन्द्रमा सातवें स्थान पर होता है और शुक्र ग्रह दसवें स्थान पर तब भी व्यभिचारी योग बनता है। इसमें महिला के चरित्र खराब होता है। यह योग काफी खराब होता है। इसमें स्त्रियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस योग से बचने के उपाय-
- इस योग से बचने के लिए महिलाओं को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- व्यभिचारी योग से बचने के लिए प्रत्येक सोमवार शिव-पार्वती जी का व्रत रखना चाहिए।
- शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए जिससे इस योग का असर स्त्री के ऊपर से कम होता है।
- बड़ों का आदर और उनकी देखभाल करनी चाहिए।
- पीपल के पेड़ के सात बार चक्कर लगाने से इस योग से रहत मिलेगी।
- दान करना चाहिए।
- हरतालिका तीज का व्रत रखने से स्त्री पर इस योग का नाश होता है।
- पीपल के पेड़ पर हल्दी से पूजा चाहिए।