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विनायक चतुर्थी क्या है और विनायक चतुर्थी की व्रत कथा क्या है?

By May 30, 2022November 21st, 2023No Comments
Vinayak Chaturthi

विनायक चतुर्थी क्या है?

विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) गणेश जी को समर्पित है। इस विशेष दिन गणेश जी की पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है। प्रत्येक महीने को दो चर्तुथी पड़ती हैं। कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चर्तुथी संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में विनायक चतुर्थी को बहुत धूमधाम से पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश जी की पूजा शुभ कार्य से पहले की जाती है। इसलिए लोग विनायक चतुर्थी को त्योहार के रूप में मनाते हैं। विनायक चतुर्थी के दिन व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को विनायक चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस व्रत को रखने से आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत को करने से सफलता, सौभाग्य और सुख- समृद्धि प्राप्त होती है। सभी प्रकार के संकट और कष्ट दूर होते हैं।

विनायक चतुर्थी कब मनाई जाती है?

विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) ज्येष्ठ माह में मनाई जाती है। यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ेगी। ज्येष्ठ माह की अमावस्या जब समाप्त होती है तब पूर्णिमा का आरम्भ होता है। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा पूरी विधि से करने पर धन की प्राप्ति होती है। गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है।

और पढ़ें- भगवान की पूजा करने के विशेष नियम: इन नियमों से मिलेगा लाभ।

विनायक चतुर्थी 2022 की तिथि और समय-

ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी की तिथि 3 जून 2022 दिन शुक्रवार को है। विनायक चतुर्थी का आरम्भ होने का समय 2 जून 2022 दिन गुरुवार को रात 12 बजकर 17 मिनट है। विनायक चतुर्थी के समाप्त होने का समय 3 जून 2022 दिन शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट है। विनायक चतुर्थी व्रत रखने का शुभ दिन 3 जून को है।

विनायक चतुर्थी के पूजा करने का शुभ मुहूर्त-

विनायक चतुर्थी के पूजा करने का शुभ मुहूर्त 3 जून दिन शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर खत्म हो जाएगा।

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि-

  • विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान करके लाल या गुलाबी रंग के साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • पूरे मन से हाथ में फूल और अक्षत लेकर पूजा और व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।
  • गणेश जी की मूर्ति जी की स्थापना पीली चौकी पर ही करना चाहिए।
  • फिर फूल, अक्षत, दीप, माला अर्पित करना चाहिए।
  • गणेश जी के मस्तिष्क पर दूर्वा की 21 गाँठ चढ़ाये।
  • गणेश जी को मोदक या मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
  • आप गणेश चालीसा और गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • विनायक चतुर्थी के दिन घी के दीपक से पूजा करनी चाहिए।
  • विनायक चतुर्थी के दिन चन्द्रमा नहीं देखना चाहिए।
  • पूरे दिन व्रत रखकर विधि विधान से व्रत का समापन करना चाहिए।
  • विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करके प्रसाद वितरण करना चाहिए।

विनायक चतुर्थी व्रत कथा-

हिन्दू धर्म के अनुसार गणेश चतुर्थी की कुल चार कथाएं हैं। पहली कथा है जिसके बारे में हम जानते हैं गणेश और कार्तिकेय की पृथ्वी पर परिक्रमा वाली कथा है। दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव के द्वारा गणेश जी का सिर लगाने की कथा है। तीसरी कथा में भगवान शिव और पार्वती के चौपड खेलने की कथा है। चौथी कथा राजा हरिश्चंद्र और कुम्हार की है। आज हम आपको बताएँगे पहली कथा गणेश और कार्तिकेय की पृथ्वी की परिक्रमा की कथा।
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन गणेश और कार्तिकेय ,भगवान शिव और पार्वती के पास बैठे हुए थे। भगवान शिव और पार्वती देवताओं की समस्या से घिरे हुए थे। तब उन्होंने बोला कि इस समस्या का समाधान कौन करेगा। तब गणेश और कार्तिकेय दोनों ने अपने आप को समस्या का समाधान करने योग्य बताया। यह सुनकर शिव और पार्वती दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि इस समस्या को किसको दिया जाए। तब उन्होंने बोला कि जो पृथ्वी का पूरा चक्कर लगा कर सबसे पहले आएगा। उसे ही इस इस कार्य को दिया जाएगा। यह बात सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर चल पड़े। भगवान गणेश अपने माता पिता यानी शिव पार्वती का चक्कर लगाने लगे। सात चक्कर लगा गणेश जी अपने माता पिता चरणों में बैठ गए। यह देखकर भगवान शिव ने इसका कारण पूछा। गणेश जी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है। इसी कारण ही भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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