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सकट चौथ: जानें पूजा विधि, व्रत कथा और अनुष्ठान

By December 14, 2022December 4th, 2023No Comments
Sakat Chauth

हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को संकष्टी चतुर्थी, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ, तिल चौथ, माघ चौथ, वक्रतुण्ड चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है।
माघ माह की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान श्री गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है।
आइये जानते हैं इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से सकट चौथ तारीख 2023 और सकट चौथ व्रत कहानी के विषय में।

कब है सकट चौथ 2023 ?

सकट चौथ तारीख 2023 – वर्ष 2023 में सकट चौथ का व्रत 10 जनवरी दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर प्रारंभ होगी। और 11 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर चारुर्थी तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 10 जनवरी 2023 को ही रखा जाएगा।
रात को चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत खुलता है। अतः इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 41 मिनट पर है।

December Calendar

सकट चौथ व्रत का महत्व

महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए सकट चौथ व्रत रखती हैं।
इस व्रत में वह अपने सुखी वैवाहिक जीवन की भी कामना करती हैं।
भगवान श्री गणेश के साथ इस व्रत में चौथ माता या सकट माता की भी पूजा की जाती है।
संकट चतुर्थी का व्रत करने से विघ्नहर्ता श्री गणेश जी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं।

Mothers and his parents

सकट चौथ व्रत पूजा विधि

घर के पूजा स्थल में एक चौक पर मिट्टी से बनी गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा पर उनकी प्रिय वस्तुएं – दूर्वा, पुष्प, आदि अर्पित करें। श्री गणेश के मंत्र “वक्रतुण्ड महाकाय” का जाप करें। भोग के लिए तिल और गुड़ से बने हुए लड्डू चढ़ाएं। अंत में सकट चौथ व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें और इस प्रकार सकट चौथ व्रत संपन्न हो जाएगा।

Lord Ganesha Murti

सकट चौथ पर चंद्रमा का महत्व

माघी चतुर्थी का व्रत चंद्र देव की पूजा के बाद ही संपन्न होता है। अतः माघ मास के सकट चौथ व्रत का पारण चंद्रमा पूजन के बाद ही करना चाहिए। संध्या के समय चंद्रोदय के बाद दूध मिले जल से चंद्र देव को अर्घ्य दें।

Moon

सकट चौथ व्रत के नियम

  • सकट चौथ व्रत के दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। इस दिन भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा की जाती है।
  • माघ मास की चतुर्थी के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान किया जाता है। सूर्य देवता को अर्घ्य देने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  • इसके बाद पूरे दिन निराहार रहकर व्रत किया जाता है। रात्रि में चंद्र देवता के दर्शन करके व्रत खोला जाता है।
  • चतुर्थी के दिन काले रंग के वस्त्र नहीं पहनना चाहिए।
  • ध्यान रहे कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय जल के छींटे अपने पैरों पर नहीं पड़ने चाहिए।

Married Couples doing Puja

सकट चौथ व्रत कहानी

आइये पढ़ते हैं सकट चौथ माता की कहानी –
किसी नगर में एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन साहूकार के पड़ोसी के घर सकट चौथ की पूजा हो रही थी और पड़ोसन सकट चौथ माता की कहानी पढ़ रही थी। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा कि वह क्या कर रही है। तब पड़ोसन बोली कि आज सकट चौथ का व्रत है। इस व्रत को करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सब कुछ मिलता है।
तब साहूकारनी ने निश्चय किया कि यदि वह माँ बन गई तो सवा सेर तिलकुट चढ़ाऊँगी और सकट चौथ का व्रत करुँगी।
गणेश श्री भगवान की कृपा से साहूकारनी गर्भवती हो गई। तब उसने निश्चय किया कि यदि पुत्र हो जाये, तो ढाई सेर तिलकुट चढ़ायेगी। कुछ दिन बाद साहूकारनी को पुत्र हो गया। तब वह बोली – “हे चौथ माता! यदि मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा, तो मैं सवा पांच सेर का तिलकुट करुँगी।”
कुछ वर्षो बाद साहूकार के बेटे का विवाह तय हो गया। लेकिन तब भी साहूकारनी ने तिलकुट नहीं किया। इस कारण से चौथ माता क्रोधित हो गई। और साहूकार के पुत्र का विवाह अधूरा रह गया।
जब साहूकारनी को यह सब पता चला तो उसने चौथ माता से माफ़ी माँगी और अपने पुत्र तथा बहू के लिए गणेश जी को तिलकुट चढ़ाया।
इससे भगवान श्री गणेश प्रसन्न हो गए। तभी से सारे नगर वासियों ने सकट व्रत करना प्रारम्भ कर दिया।

Til Ke Ladoo

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. सकट चौथ तारीख 2023 कब है?

सकट चौथ 10 जनवरी 2023 को है। इस दिन मंगलवार है। चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 41 मिनट है। इसके बाद ही व्रत पूर्ण होगा।

2. क्या है सकट चौथ व्रत का महत्व?

सकट चौथ व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान भी मिलता है। यह व्रत करने से विघ्नहर्ता श्री गणेश जी प्रसन्न होते हैं और संकटों से रक्षा करते हैं।

3. क्या हैं सकट चौथ व्रत के नियम?

सकट चौथ व्रत के दिन निराहार और निर्जला उपवास रखा जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। और संध्या के समय चंद्र देव को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए।

4. सकट चौथ में चन्द्र देवता का क्या महत्व है?

माघ मास के सकट चौथ व्रत का पूर्ण फल तब ही मिलता है जब चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। सकट चौथ व्रत का पारण चंद्रमा पूजन के बाद ही करना चाहिए। इस व्रत के चादर देव की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है।

5. सकट चौथ व्रत कथा क्या है?

सकट चौथ व्रत कहानी के अनुसार एक बार एक निःसंतान साहूकारनी ने पुत्र प्राप्ति के लिए सकट चौथ का व्रत किया था। और भगवान श्री गणेश को तिलकुट किया था। इस व्रत की कृपा से साहूकारनी को स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

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Yashika Gupta

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