
रोहिणी व्रत क्या है?
जैन समुदाय में रोहिणी व्रत को पर्व के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक महीने में रोहिणी नक्षत्र वाले दिन यह व्रत होता है। यह व्रत महिला और पुरुष दोनों लोग रहते हैं। महिलाओं के लिए व्रत रखना अनिवार्य होता है। रोहिणी नक्षत्र के दिन यह व्रत मनाया जाता है। इसलिए इसे रोहिणी व्रत कहते हैं। रोहिणी व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र के समापन के साथ होता है।
रोहिणी व्रत 2022 तिथि और समय-
रोहिणी व्रत प्रत्येक माह मनाया जाता है। रोहिणी व्रत जून 2022 की तिथि की तिथि 27 जून दिन सोमवार को है। रोहिणी व्रत आरम्भ होने का शुभ समय 26 जून 2022 को दोपहर 1 बजकर 6 मिनट है। रोहिणी व्रत समाप्त होने का समय 27 जून को शाम 4 बजकर 2 मिनट है।
2022 रोहिणी व्रत की आने वाले माह में व्रत की सूची-
जुलाई माह – 24 जुलाई 2022 दिन रविवार।
अगस्त माह- 20 अगस्त 2022 दिन शनिवार।
सितंबर माह- 17 सितंबर 2022 दिन शनिवार।
अक्टूबर माह- 14 अक्टूबर 2022 दिन शुक्रवार।
नवंबर माह – 10 नवंबर 2022 दिन गुरुवार।
दिसंबर माह- 8 दिसंबर 2022 दिन गुरुवार।
रोहिणी व्रत पूजा विधि-
- रोहिणी व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
- घर की साफ़ सफाई करना आवश्यक है।
- ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- गंगा जल से युक्त जल से स्नान करें।
- अपने आप को शुद्ध करने के लिए आमचन का प्रयोग करें।
- सूर्य देव को जल का अर्घ्य देना चाहिए।
- रोहिणी व्रत के दौरान जैन धर्म में रात का भोजन नहीं किया जाता है।
- सूर्यास्त के पहले फलाहार आदि ग्रहण कर लेना चाहिए।
रोहिणी व्रत कथा –
रोहिणी व्रत कथा के अनुसार चम्पापुरी नाम का एक नगर था। वहाँ पर राजा माधवा अपनी रानी के साथ रहते थे। रानी का नाम लक्ष्मीपति था। इनकी 8 संतानें थी। जिसमें 7 बेटे और 1 बेटी थी। बेटी का नाम रोहिणी था।
एक बार राजा ने क ज्ञानी से पूछा कि उनकी बेटी का विवाह किससे होगा। ज्ञानी ने कहा कि तुम्हारी बेटी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक से होगा। राजा यह सुनकर अपनी बेटी का स्वयम्बर किया। रोहिणी ने अशोक के गले में वरमाला डाल दी। दोनों का विवाह हो गया। रोहिणी बहुत शांत शांत रहती थी। एक दिन हस्तिनापुर में एक मुनिराज आये। अशोक ने इसका कारण पूछा। तब मुनिराज ने बताया कि हस्तिनापुर में एक धनमित्र नामक एक व्यक्ति था। उसकी घर एक पुत्री पैदा हुई। उस लड़की के शरीर से हमेसा दुर्गन्ध आती रहती थी।
धनमित्र इस बात से चिंतित रहता था। एक बार उनके राज्य में अमृतसेन मुनिराज आये। यह समस्या लेकर धनमित्र उनके पास गया। मुनिराज ने उपाय बताया कि प्रत्येक माह रोहिणी नक्षत्र के दिन रोहणी व्रत रखे। रोहिणी व्रत वाले दिन आहार त्याग देना। पूरे विधि विधान से इस व्रत का पालन करना। इस व्रत को 5 वर्ष तक 5 माह तक अवश्य ही रखें। जिससे तुम्हारी समस्या हल हो जाये।
धनमित्र और उसकी पुत्री दुर्गंधा ने पूरे विधि पूर्वक इस व्रत का पालन किया। दुर्गंधा की मृत्यु के बाद रोहिणी ने उसके रूप में जन्म लिया। यह व्रत सारी समस्याओं को हल करता है।
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