हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं।अधिकमास या मलमास पड़ता है तो इसकी संख्या बढ़कर छब्बीस हो जाती है। कार्तिक की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा एकादशी है।ऐसा माना जाता है की इस एकादशी को करने से बड़े-बड़े पापो का नाश हो जाता है।
रमा एकादशी की व्रत कथा-
रमा एकादशी की कहानी ग्रंथो में कुछ इस प्रकार बताया गया है की पौराणिक युग में मुचकुंद नामक एक प्रतापी राजा थे ,उनकी एक सुंदर कन्या थी , जिसका नाम चंद्रभागा था। इनका विवाह राजा चन्द्रसेन की बेटे शोभन के साथ किया गया।शोभन शारीरिक रूप से अत्यंत दुर्बल था। वह एक समय भी बिना अन्न के नहीं रह सकता था। एक बार दोनों मुचुकुंद के राज्य में गये।उसी दौरान रमा एकादशी व्रत की तिथि थी। चंद्रभागा को यह सुन चिंता हो गई ,उसके पिता के राज्य में तो एकादशी के दिन पशु भी अन्न, घास ग्रहण नहीं कर सकते है तो मनुष्य की तो बात ही अलग है। उसने यह बात अपने पति को बताई और कहा की अगर आप को कुछ खाना है तो इस राज्य से दूर किसी अन्य राज्य में जाकर भोजन ग्रहण करना होगा। पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने निर्णय लिया की वह भी रमा एकादशी का व्रत रहेंगे ,एकादशी का व्रत प्रारम्भ हुआ।
शोभन का व्रत बहुत कठिनाई से बीत रहा था, व्रत होते रात बीत गयी लेकिन सूर्योदय तक शोभन का प्राण न बचा। विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसके बाद चंद्रभागा अपने पिता के घर में रहने लगी और पूजा- पाठ करने लगी।
दूसरी तरफ शोभन को एकादशी व्रत का पुण्य मिलता है और वो मरने के बाद देवपुर का राजा बनता है ,जिसमें असीमित धन और ऐश्वर्य होता है। एक दिन सोम शर्मा नामक ब्राह्मण देवपुर के पास से गुजर रहे थे,उन्होंने शोभन को देखा वह शोभन को पहचान जाते है और फिर शोभन सारी कहानी बताता है और कहता है की लेकिन यह सब अस्थिर हैं कृपा कर मुझे इसे स्थिर करने का उपाए बताये। शोभन की बात सुनकर सोम शर्मा उससे विदा लेकर शोभन की पत्नी से मिलने चले जाते है और शोभन के देवपुर का सत्य बताते हैं। चंद्रभागा यह सुन बहुत खुश होती है और कहती है की आप मुझसे शोभन को मिलवा दो आप को भी पुण्य मिलेगा। तब सोम शर्मा बताते है की वो अभी स्थिर है तब चंद्रभागा कहती है की पुण्य से सब स्थिर कर दूंगी।
सोम शर्मा अपने मंत्रो एवं ज्ञान के द्वारा चंद्रभागा को दिव्य बनाते है और शोभन के पास भेजते है। शोभन पत्नी को देख कर खुश हो जाता है.तब चंद्रभागा उससे कहती है मैंने पिछले आठ वर्ष से नियमित ग्यारस का व्रत किया है। मेरे उन सब जीवन के पुण्य का फल मे आपको अर्पित करती हूँ उसे ऐसा करते ही देव नगरी का ऐश्वर्य स्थिर हो जाता है। और सभी आनन्द से रहने लगते हैं।
रमा एकादशी क्यों मनाई जाती हैं ?
हिन्दू शास्त्र में माता लक्ष्मी को रमा भी कहा जाता है इसलिए कहते हैं कि कार्तिक मास की इस एकादशी को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। ग्रंथों के अनुसार माँ लक्ष्मी के नाम पर ही इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है,जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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रमा एकादशी का महत्व-
हिन्दू ग्रंथो के अनुसार रमा एकादशी व्रत कामधेनु के चिंतामणि के समान फल देता है इसे करने से व्रती अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस व्रत को करने से कभी धन की कमी नहीं होती है।
एकादशी का नाम पड़ा रमा एकादशी क्यों?
हिन्दू ग्रंथो के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ने वाली यह एकादशी माँ लक्ष्मी के नाम पर रखा गया है। माँ लक्ष्मी को रमा भी कहा जाता है ,इसीलिए इसे रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
रमा एकादशी पूजा विधि–
रमा एकादशी का व्रत दशमी तिथि की संध्या से ही शुरू हो जाता हैं। इस दिन सूर्यास्त से पहले भोजन कर लेना चाहिए। इसके बाद एकादशी तिथि ब्रह्म मुहर्त में उठकर स्नान करने के बाद साफ़ कपड़े पहने के बाद पूजा की सामग्री एकत्रित करना चाहिए। इसके बाद भगवान कृष्ण की मूर्ति पर तस्वीर पर गंगाजल से छिड़काव करे और सिंदूर व अक्षत से टिका करे। इसके बाद देसी घी का दीपक जलाए और फूलो से मंदिर को सजाये। रमा एकादशी पर भगवान कृष्ण की पूजा करने का विधान है। क्युोकि कृष्णजी को माखन पसंद हैं इसलिए उनको भी यही भोग लगाए।धूप -दीप से भगवान की पूजा करने के बाद विष्णु सहस्नान का पाठ करना उतम होता है। शाम के समय श्री कृष्ण की फिर से पूजा करें और भोग लगाएं। इसके बाद भोग को सभी में भोजन बांट दे। अगले दिन पूजा पाठ और दिन दक्षिण देकर ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन कराया और फिर खुद पारण करें।
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रमा एकादशी के पूजा के द्वारा आप अपने भविष्य के और भी बेहतर बना सकते। इस पूजा से भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी। अपने भविष्य को बेहतर रूप से जानने के लिए इंस्टास्ट्रों के ज्योतिषी से संपर्क करें।