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रक्षाबंधन का पर्व क्यों मनाया जाता है और रक्षाबंधन की पौराणिक कथा।

By August 10, 2022December 1st, 2023No Comments
रक्षाबंधन का पर्व

हिन्दू धर्म में कई तरह के पर्व पड़ते हैं। इनमें से रक्षाबंधन मुख्य पर्व के रूप में जाना जाता है। रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सभी लोग रक्षाबंधन को अत्यधिक धूमधाम से मनाते हैं। आइये जानते हैं। रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं? रक्षाबंधन 2022 की तिथि और रक्षाबंधन की पौराणिक कथा।

रक्षाबंधन क्या है?

इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। यह रिश्ता अत्यधिक पवित्र होता है। दुनियाभर में भाई-बहन के रिश्ते को सम्मान दिया जाता है। इसी रिश्ते के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व रक्षा का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है, भाई अपने बहन की रक्षा करते हैं और उसके दुःख-सुख में साथ खड़े रहते हैं। इसके लिए बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं।

रक्षाबंधन का अर्थ-

हिन्दू संस्कृति में रक्षाबंधन के पर्व का अत्यधिक महत्व है। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है। रक्षा और बंधन। इसका अर्थ है “एक ऐसा बंधन जो रक्षा प्रदान करता है।” रक्षा शब्द का अर्थ है रक्षा करना और बंधन शब्द से तात्पर्य एक गाँठ।

रक्षाबंधन 2022 की तिथि-

यह पर्व प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। जो अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार अगस्त महीने में पड़ती है। वर्ष 2022 में रक्षाबंधन 11 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं?

प्रत्येक भाई अपने प्रति एक कर्तव्य होता है। जिसका वह पालन करता है। इसके किया रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व सिर्फ सगे भाई बहन नहीं परंतु वह सभी लोग मना सकते हैं। जो भाई-बहन की मर्यादा का पालन करते हैं। इस पर्व के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती है। बहन भगवान से मनोकामना करती है। उसका भाई सदैव स्वस्थ और बहन की रक्षा करे।

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रक्षाबंधन की पौराणिक कथा-

पौराणिक कथा में रक्षाबंधन की कई कथाएं सम्मिलित हैं। हम आपको बताएँगे इंद्रदेव की रक्षाबंधन की पौराणिक कथा। एक बार असुरों के राजा बलि ने देवताओं पर हमला कर दिया। जिसकी वजह से देवताओं को अत्यधिक नुकसान हुआ। यह देखकर इंद्र देव की पत्नी सचि अत्यधिक परेशान हो गयी। इस समस्या के हल के लिए भगवान विष्णु के पास गई। भगवान विष्णु ने सचि को एक धागा दिया और कहा इसे अपने पति के कलाई पर बांध दें। सचि ने ठीक ऐसा ही किया। तब इंद्रदेव ने राजा बलि को पराजित कर दिया।
तब से युद्ध के पहले सैनिकों के उनकी पत्नी और बहनें उनके कलाई पर राखी बांधने लगी। जिससे सैनिक जीत कर वापस लौटे। इस पर्व को रक्षाबंधन के नाम से जानने लगे। यह थी रक्षाबंधन की पौराणिक कथा।

आप सभी को इंस्टाएस्ट्रो की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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