हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस पावन पर्व पर भगवान शिव की पूजा और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता है। भोलेनाथ को समर्पित ये तिथि विशेष महत्व रखती है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह हर माह पड़ने वाली शिव की रात अर्थात मासिक शिवरात्रि है। आइये जानते हैं इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषों से मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त और मासिक शिवरात्रि का महत्व।
पौष मासिक शिवरात्रि 2023
वर्ष 2023 की पहली मासिक शिवरात्रि पौष माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मासिक शिवरात्रि तिथि
है – 20 जनवरी, 2023। साथ ही पौष मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त इस प्रकार है – 20 जनवरी को सुबह 09 बजकर 59 मिनट से लेकर 21 जनवरी सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक।
वर्ष 2023 की मासिक शिवरात्रि तिथियां और पूजा मुहूर्त
पौष – शुक्रवार, 20 जनवरी सुबह 09:59 से 21 जनवरी सुबह 06:17 तक।
फाल्गुन – शनिवार, 18 फरवरी रात्रि 08:02 से 19 फरवरी शाम 04:18 तक।
चैत्र – सोमवार, 20 मार्च सुबह 04:55 से 21 मार्च सुबह 01:47 तक।
वैशाख – मंगलवार, 18 अप्रैल शाम 01:27 से 19 अप्रैल सुबह 11:23 तक।
ज्येष्ठ – बुधवार, 17 मई रात्रि 10:28 से 18 मई रात्रि 09:42 तक।
आषाढ़ – शुक्रवार, 16 जून सुबह 08:39 से 17 जून सुबह 09:11 तक।
श्रवण – शनिवार, 15 जुलाई
भाद्रपद – सोमवार, 14 अगस्त सुबह 10:25 से 15 अगस्त दोपहर 12:42 तक।
आश्विन – बुधवार, 13 सितंबर सुबह 02:21 से सुबह 04:48 तक
कार्तिक – गुरुवार, 12 अक्टूबर शाम 07:53 से 13 अक्टूबर रात्रि 09:50 तक।
मार्गशीर्ष – शनिवार, 11 नवंबर दोपहर 01:57 से 12 नवम्बर दोपहर 02:44 तक।
पौष – सोमवार, 11 दिसंबर सुबह 07:10 से 12 दिसंबर सुबह 06:24 तक।
जानें मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और साफ कपड़े पहने।
- फिर घर के पूजा स्थल में दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग पर गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद आदि चढ़ाएं और अभिषेक करें।
- फिर शिव जी को पुष्प, बेलपत्र आदि अर्पित करें। इस दिन महादेव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें।
- पूजा के दौरान ”ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का जाप निरंतर करते रहें।
- फिर भोलेनाथ और मां पार्वती को फल अथवा मिठाई का भोग लगाएं।
- अंत में धूप-दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
- इस प्रकार मासिक शिवरात्रि पूजा विधि संपन्न हो जाएगी।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत अत्यंत ही शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से साधक की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। जो साधक इस दिन व्रत रखता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे महादेव से स्वस्थ और समृद्ध जीवन का वरदान प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से असंभव और कठिन कार्य भी पूरे किए जा सकते है। अविवाहित महिलाएं मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। और विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में शांति बनाए रखने के लिए इस व्रत को करती हैं।
मासिक शिवरात्रि की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवरात्रि की मध्य रात्रि में भगवान शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने सबसे पहले शिवलिंग की पूजा की थी। यह दिन प्रत्येक माह में मनाया जाता है। और वर्ष में एक बार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। यह भगवान शिव और माँ पार्वती (शक्ति) के मिलन का पर्व माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि व्रत के नियम
- जो भक्त मासिक शिवरात्रि व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं, वे महाशिवरात्रि के दिन से इस व्रत को आरम्भ कर सकते हैं। और एक साल तक प्रत्येक माह की मासिक शिवरात्रि पर व्रत जारी रख सकते हैं।
- शिवरात्रि के पर्व में रात्रि के दौरान जागते रहना चाहिए। मान्यता है कि इससे महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। और आधी रात को शिव की पूजा करनी चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. मासिक शिवरात्रि व्रत कब रखा जाता है ?
2. मासिक शिवरात्रि की मान्यता क्या है ?
3. मासिक शिवरात्रि का महत्व क्या है ?
4. पौष मासिक शिवरात्रि तिथि कब है ?
5. मासिक शिवरात्रि पूजा विधि क्या है ?
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