
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या होती है। इस प्रकार पूरे वर्ष में कुल बारह अमावस्या आती हैं। पौष माह की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत एवं अनुष्ठान किया जाता है। पौष अथवा पौषी अमावस्या के दिन स्नान, दान, जप, तप, पूजन, अर्घ्य आदि करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइये पढ़ते हैं पौष अमावस्या विधि और पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त –
पौष अमावस्या 2022
वर्ष 2022 में दो बार पौष अमावस्या तिथि है। एक बार वर्ष के शुरुआत में 02 जनवरी 2022 को पौषी अमावस्या थी। अब दिसंबर माह एक बार फिर पौष अमावस्या पड़ रही है। इस प्रकार वर्ष 2022 में कुल 13 अमावस्या पड़ेंगी।
वर्ष 2022 में कब है पौष अमावस्या ?
पौष माह की दूसरी अमावस्या 23 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 22 दिसंबर को शाम 07 बजकर 15 मिनट पर आरंभ होगी और 23 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 48 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में कई लोगों का सवाल रहता है कि कब है पौष अमावस्या ? इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष के अनुसार पौष अमावस्या 2022 23 दिसंबर 2022 को ही मनाई जाएगी।
पौष अमावस्या पर करें सूर्य देवता का पूजन –
मान्यता है कि पौष माह में सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए। पौष माह धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए शुभ माह माना जाता है।
इस माह में सूर्य देव की उपासना करने से जातक के ग्रह-नक्षत्र सही दिशा में स्थित होते हैं और कुंडली में शुभ फल प्रदान करते हैं। अतः इस दिन सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल का अर्घ्य दें।
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पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौष अमावस्या के दिन करें ये कार्य –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दू पंचांग की हर तिथि किसी न किसी रूप में शुभ होती है। हर तिथि पर विशेष फल प्राप्त करने के लिए उपाय भी बताये गए हैं। पौष अमावस्या विधि को करने से पितृ दोष समाप्त हो जाता है। तो आइये पढ़ते हैं इन्स्टाएस्ट्रो के अनुसार अमावस्या पर कैसे करें पितरों का श्राद्ध।
पौष अमावस्या के दिन करें ये काम –
- अमोघ फल की प्राप्ति के लिए पौषी अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी पर जाना संभव न हो, तो किसी तालाब अथवा कुंड में भी स्नान किया जा सकता है।
- स्नान के बाद नदी के तट पर ही सूर्यदेव को जल अर्पित करें। अर्घ्य देने के बाद तिल का तर्पण करें। इससे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
- गरीब, असहाय और ज़रुरतमंदों को दान दें। यदि संभव हो तो उन्हें भोजन भी कराएँ। इससे शुभ फल प्राप्त होता है।
- इस दिन व्रत रखें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- पौषी अमावस्या पर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से रखे गए व्रत के फलस्वरूप पूर्वजों को बैकुंठ लोक प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद कोई कष्ट नहीं सहने पड़ते।
- मान्यता है कि पौषी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में जल चढाने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।
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पौषी अमावस्या पर ध्यान देने योग्य बातें –
मान्यता है कि अमावस्या की रात्रि में कई तरह की बुरी शक्तियां धरती पर विचरण करती हैं। अतः अमावस्या की रात में भूलकर भी अकेले बाहर न जाएँ। खासकर वट अथवा पीपल के वृक्ष के नीचे ना जाये।
अमावस्या के दिन मांसाहारी भोजन, मदिरा आदि से परहेज़ करें। इस दिन सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें।
यह अमावस्या पितरों के तर्पण के लिए विशेष फलदायी है इसलिए इस दिन किसी बड़े-बुज़ुर्ग का अपमान ना करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. वर्ष 2022 में कब है पौष अमावस्या ?
2. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौष अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए ?
3. पौष अमावस्या पर सूर्य देवता का पूजन करने के क्या लाभ हैं ?
4. पौषी अमावस्या के नियम क्या हैं ?
5. पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त कब है ?
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