साल 2023 में सावन के महीने में 18 जुलाई 2023 को अधिक मास लग रहा है। अधिक मास हर 3 साल में एक बार आता है। इसके अनुसार सावन मास शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को अधिक मास में पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। हर तीन साल में एक बार आने की वजह से हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व होता है। साल में पड़ने वाली 24 एकादशी में यह अधिक मास में पड़ने वाली विशेष पद्मिनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पद्मिनी एकादशी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होती है, इसलिए इस एकादशी पर सभी भक्तों को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत करना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी को पुरुषोत्तम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को करने से जातक को सुख- समृद्धि, धन वैभव प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार वैसे तो हर साल 24 एकादशियाँ पड़ती हैं लेकिन अधिक मास में 2 एकादशियों की संख्या बढ़ जाती है इसलिए यह 26 एकादशियाँ हो जाती हैं। इस साल आने वाली पद्मिनी एकादशी 2023 (Padmini Ekadashi 2023) को जो भी भक्त व्रत करेगा उससे भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे और मनोवांछित फल प्राप्त होंगे। तो आइए जानते हैं साल 2023 में किस तिथि को होगा पद्मिनी एकादशी व्रत, पद्मिनी एकादशी व्रत कथा, पद्मिनी एकादशी शुभ मुहूर्त, पद्मिनी एकादशी व्रत विधि और पद्मिनी एकादशी व्रत का महत्व क्या है।
तिथि और समय
पद्मिनी एकादशी शनिवार, 29 जुलाई 2023 को है। पद्मिनी एकादशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगा और 29 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 05 मिनट पर समाप्त हो जायेगा।
पद्मिनी एकादशी शुभ मुहूर्त और व्रत पारण समय
पद्मिनी एकादशी Padmini Ekadashi 2023 के दिन 29 जुलाई को सुबह 4 बजे के बाद से दोपहर के 11 बजे तक आप पूजा कर सकते हैं। इस व्रत का 30 जुलाई 2023 को 5 बजकर 40 मिनट व 58 सेकंड से 8 बजकर 23 मिनट व 30 सेकंड तक व्रत पारण का समय रहेगा। यह कुल समय अवधि 2 घंटे 42 मिनट की रहेगी इस दौरान आपको अपना व्रत खोलना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी पूजा विधि
- पद्मिनी एकादशी पूजा के लिए आपको सुबह जल्दी उठना पड़ता है। सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहा- धो कर शुद्ध हो जाएँ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। आप चाहे तो पीले या सफ़ेद रंग के वस्त्र पहन सकते हैं क्योंकि ज्योतिष अनुसार यह रंग बहुत शुभ होते हैं।
- अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें और जल अर्पित करने के पश्चात अपने सीधे हाथ में थोड़ा सा जल लेकर संकल्प मंत्र बोलकर संकल्प अपने व्रत करने का संकल्प लें और जल को जमीन पर आराम से अर्पित कर दें।
- अब आप एक सुन्दर फूलों वाली चौकी तैयार करें, अब उस चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें। प्रतिमा के पास एक कलश भी रखें। अब आप भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें।
- सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगा या पंचामृत से स्नान करवाएं। अब भगवान विष्णु के आगे फल और फूल अर्पित करें। शुद्ध गाय के घी की ज्योत जलाएं धूपबत्ती भी जलाएं।
- अब आपको प्रतिमा के सामने स्थान ग्रहण करके भगवान विष्णु के 108 मंत्रों का जाप करना है जाप पूरा होने के पश्चात आपको विष्णु कवच या विष्णु पुराण का पाठ करना है।
- इस व्रत में पद्मिनी एकादशी की कथा पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए विष्णु पुराण का पाठ करने के बाद पद्मिनी एकादशी व्रत कथा पढ़नी चाहिए। व्रत कथा पढ़े बिना व्रत पूरा नहीं किया जा सकता है।
- कथा के पश्चात आपको सभी लोगों में प्रसाद बांटना है और यह प्रसाद फलों को मिठाई के रूप में भगवान के आगे जो रखा गया है उसी को बांटना चाहिए।
- पूरे दिन व्रत करने के पश्चात रात के समय कीर्तन रखें या विष्णु भगवान का नाम लेकर जागरण कराएं। भगवान विष्णु को दिन के प्रत्येक पहर के अनुसार चीजें अर्पित करें जैसे प्रथम पहर में फल, दूसरे पहर में नारियल, तीसरे पहर में सूखे मावे, और चौथे पहर में पान सुपारी भी चढ़ाएं।
- अब अगले दिन की सुबह भगवान विष्णु की आरती गाकर इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और व्रत पारण शुभ मुहूर्त में व्रत पारण करें। भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे और आपका व्रत सम्पूर्ण होगा।
पद्मिनी एकादशी व्रत का महत्व
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पद्मिनी एकादशी चूंकि हर 3 साल में एक बार अधिक मास के महीने में आती है इसलिए भगवान विष्णु प्रसन्न करने का यह मौका बहुत शुभ होता है। भगवान विष्णु को यह दिन अति प्रिय होता है इसलिए इस व्रत का महत्व भी अधिक होता है। यदि कोई जातक पद्मिनी एकादशी व्रत विधि -विधान अनुसार करता है तो उस पर भगवान विष्णु की कृपा होती है और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य के बुरे कर्म खत्म हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को यश, कीर्ति, धन विद्या, सफलता, दिमाग प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के प्रत्येक भक्त को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। यदि संभव हो तो, पद्मिनी एकादशी व्रत के दिन आपको गंगा नदी के घाट पर दीप भी अवश्य जलाना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पद्मिनी एकादशी व्रत का महत्व और कथा भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई है। इस कथा के अनुसार त्रेता युग में एक राजा कृतवीर्य हुआ करते थे। राजा कृतवीर्य बहुत महान और पराक्रमी थे। लेकिन उनको विवाह के काफी वर्षों बाद भी कोई संतान प्राप्त नहीं हुई थी। राजा कृतवीर्य ने संतान प्राप्ति के लिए कई बहुत अधिक विवाह किये परन्तु इसका भी उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। राजा का राज्य बहुत विशाल था इसलिए राजा इस चिंता में डूबे रहते थे कि बाद उनके राज्य को कौन देखेगा? इसी चिंता में राजा ने अनेक बार दान, हवन, पूजा, सब कुछ कराया, लेकिन इसका भी उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ।
अब राजा कृतवीर्य अपना सब कुछ मंत्री के भरोसे छोड़कर अपनी सबसे प्रिय पत्नी रानी पद्मिनी के साथ कठोर तपस्या पर चल दिए। बहुत अधिक वर्षों तक तपस्या करने के पश्चात भी उनको कोई फल प्राप्त नहीं हुआ। सौभाग्य से एक दिन रानी पद्मिनी की मुलाकात सती अनुसुइया से हुई तब रानी पद्मिनी ने उन्हें अपनी सारी व्यथा सुनाई। अब सती अनुसुइया ने रानी पद्मावती को अधिक मास में पड़ने वाले व्रत के बारे में बताया। सती अनुसुइया द्वारा बताई गयी विधि के अनुसार रानी पद्मावती ने यह व्रत किया।
उनके व्रत के पूर्ण होते ही भगवान विष्णु प्रकट हुए और उनसे उनकी इच्छा पूछी। अब रानी पद्मावती ने कहा की, उन्हें एक सर्वगुण सम्पन्न पुत्र चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रभु मुझे ऐसा पुत्र दीजिये जो रूप, बल और गुणों में सबसे आगे हो उसे सभी लोकों में भगवान को छोड़कर कोई न हरा सके। भगवान विष्णु ने उनकी इच्छा पूरी की और उनको वैसा ही पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम कार्तवीर्य अर्जुन रखा गया।
पद्मिनी एकादशी पर क्या करें?
- पद्मिनी एकादशी 2023 व्रत पर शाम के समय आपको तुलसी के आगे एक घी का दीपक जलाना चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है, इसलिए इसका लाभ मिलता है।
- पद्मिनी एकादशी 2023 के दिन आपको दान भी करना चाहिए। व्रत रखने के पश्चात गरीब लोगों को भोजन कराएं उनसे उनका पसंदीदा भोजन पूछ कर उसे भोजन खिलाएं। साथ ही आप वस्त्र भी दान कर सकते हैं।
- इस दिन आपको तुलसी डालकर खीर बनानी चाहिए और भगवान विष्णु को उसका भोग लगाना चाहिए। तुलसी वाली खीर से भगवान विष्णु आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।
- पद्मिनी एकादशी के दिन आपको पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए इस दिन इस पेड़ की पूजा करने से आपको विशेष फल प्राप्त होता है।
- पद्मिनी एकादशी से अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए इसके पश्चात ही अपना व्रत खोलें। उससे पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं। आप 5 या 7 ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं।
पद्मिनी एकादशी पर क्या न करें?
- पद्मिनी एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का मांस मदिरा या तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, लाल मीर्च, तेज मसाले आदि का प्रयोग न करें।
- इस व्रत में किसी भी प्रकार का अन्न ग्रहण न करें और न ही जल पियें। लेकिन यदि आप निर्जला व्रत नहीं रख सकते हैं तो जल ग्रहण कर सकते हैं और एक समय फलाहार भी कर सकते हैं।
- किसी के लिए गलत विचार या गलत भावना अपने मन में या दिल में न रखें। अपने विचारों को शुद्ध रखें और अपने व्रत पर पूरा ध्यान दें। अपने मन को इधर उधर न भटकने दें।
- इस दिन या इससे पहले वाले दिन ब्रह्मचर्य को न तोड़ें। ब्रह्मचर्य का पालन करना इस व्रत के पहले वाले दिन से ही जरूरी होता है। इसलिए व्रत कर रहें हैं तो यह बात ध्यान रखें।
- काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार अपने अंदर न रखें। व्रत करते समय इन सभी को त्याग दें। कोई कुछ भी कहे उसके लिए भी अपने मन और दिमाग को शांत रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. पद्मिनी एकादशी कब है?
2. पद्मिनी एकादशी विशेष क्यों है?
3. पद्मिनी एकादशी को और क्या कहा जाता है?
4. पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से विशेष रूप से कौन सा फल प्राप्त होता है?
5. पद्मिनी एकादशी पर कौन से भगवान को पूजा जाता है?
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