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Karka Sankranti 2023: जाने कब है कर्क संक्रांति, किन 4 राशियों का चमकेगा भाग्य

By July 11, 2023December 15th, 2023No Comments
Karka Sankranti

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार साल 2023 में 16 जुलाई, रविवार को कर्क संक्रांति आ रही है। जब सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करते हैं उस समय को कर्क संक्रांति कहते हैं। कर्क राशि में गोचर करने के दौरान सूर्य देव दक्षिण दिशा में यात्रा की शुरुआत करते हैं। कर्क संक्रां​ति से शुरुआत करके सूर्य देव कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में एक- एक महीने के लिए प्रवेश करेंगे। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की इस यात्रा को दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो तभी से चातुर्मास की शुरुआत भी होती है। चातुर्मास 4 महीने का लगता है और ऐसा कहा जाता है की इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में चले जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कर्क संक्रांति के दौरान अन्न और दान किया जाना चाहिए। इस दौरान अन्न और वस्त्र दान करने से जातकों को बहुत लाभ मिलता है। जब सूर्य मिथुन राशि में रहता है उस दौरान उसका तत्व अग्नि होता है और कर्क राशि में गोचर के पश्चात सूर्य तत्व जल हो जाता है। इसलिए इस दौरान वर्षा का मौसम आता है। शरद ऋतु और सर्दियों के मौसम का आगमन भी कर्क संक्रांति के दौरान ही होता है। इस दौरान 4 महीनों तक भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और इस समय अवधि में पितृ तर्पण करना भी शुभ माना जाता हैं। आइए जानते हैं कर्क संक्रांति मुहूर्त कब है और कर्क संक्रांति मुहूर्त पर क्या करना चाहिए।

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तिथि और समय

कर्क संक्रांति सावन में कृष्ण चतुर्दशी तिथि 16 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी। इसके पश्चात 17 जुलाई 2023, सोमवार को सूर्य सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करेंगे।

कर्क संक्रांति पुण्य काल समय

कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2023 को है। कर्क संक्रांति पुण्य काल समय इस दिन दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 21 मिनट पर यह समाप्त होगा। इस प्रकार से दक्षिणायन की कुल समय अवधि 6 घंटे 54 मिनट की होगी। कर्क संक्रांति पुण्य काल में सूर्य को जल दें व् पूजा करें।

कर्क संक्रांति 2023 में महा पुण्य काल समय

कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2023 के दिन महापुण्य काल शाम के समय 05 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 07 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा।

पूजा विधि

  • चूंकि कर्क संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का अधिक महत्व है इसलिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करना चाहिए।
  • यदि आप गंगा नदी में या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा सकते तो अपने घर पर ही जल में थोड़ा सा गंगाजल मिला कर स्नान करें।
  • स्नान करने के पश्चात उगते हुए सूर्य देव को जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर अर्पित करना चाहिए। जल अर्पित करने के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का लगातार जाप करते रहें।
  • चूँकि इस दौरान विष्णु भगवान निद्रा में लीन हो जायेंगे इसलिए भगवान विष्णु की भी आराधना करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें साथ ही विष्णु कवच और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ होता है।
  • ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन गरीबों को, महात्माओं को, ब्राह्मणों को और जरूरतमंदों को कपडा, अन्न, तेल और उनकी जरूरत की चीजें दान करनी चाहिए।
  • इस समय अवधि के दौरान आपको जानवरों को भी खाने के लिए दान करना चाहिए। जैसे आप फल दे सकते हैं या गौशाला के लिए चारा दान कर सकते है।
  • कर्क संक्रांति पुण्य प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से इस दिन सूर्य देव के मन्त्रों या गायत्री मंत्रों का जप करना सबसे अच्छा होता है। सूर्य देव की पूजा करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

कर्क संक्रांति का महत्व

हिन्दू धर्म में कर्क संक्रांति का महत्व विशेष है। यह इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि, इस दिन से ही वर्षा ऋतु का आगमन होता है। यह तो सभी जानते हैं कि, वर्षा के होने से मनुष्य ही नहीं बल्कि धरती पर मौजूद समस्त प्रजातियों को कितना लाभ होता है। जिस समय सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और दक्षिण में यात्रा करेंगे उस दौरान गर्मी कम होती है और बारिश अधिक होने लगती है। इस दौरान यदि कोई भी जातक सूर्यदेव को जल देता है या उनकी आराधना करता है तो उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है।

बारिश के मौसम में कृषि करने वाले किसानों को अपनी फसल को बढ़ाने के लिए पानी मिलता है जिससे हम सब का पेट भी भरता है। इसलिए भी सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश जरूरी माना जाता है। कर्क संक्रांति के दिन बहुत से लोग पितृ तर्पण और पितृ पूजा भी कराते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है की, इस दिन पितृ तर्पण और पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। और घर से पितृ दोष खत्म होता है। इस दिन अधिक से अधिक दान करना अच्छा माना जाता है।

कर्क संक्रांति कथा

एक कथा के अनुसार, एक समय की बात है सूर्य देव सभी देवताओं के साथ निद्रा में लीन हो जाते हैं। उस अवधि के दौरान सम्पूर्ण सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव पर आ जाता है। उस दौरान भगवान शिव ही सृष्टि को चलाते हैं। इस प्रकार माना जाता है की इसलिए सावन माह के दौरान कर्क संक्रांति आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस समय में भगवान विष्णु, सूर्य देव और बाकी के सभी देवता निद्रा में चले जाते हैं इसलिए भगवान शिव इस दौरान सृष्टि को चलाते हैं।

कर्क संक्रांति पर क्या करें

  • कर्क संक्रांति पर दान पुण्य करना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन अनाज, अन्न या किसी के जरुरत वाली कोई चीज दान करनी चाहिए।
  • कर्क संक्रांति पर जानवरों और पक्षियों को दाना और पानी दान करना चाहिए। विशेष रूप से गाय को चारा खिलाना शुभ होता है। और पक्षियों को पानी भी देना चाहिए।
  • सूर्य देव की पूजा और सूर्य को जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इस समय अवधि के दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करें।
  • इस दौरान चर्तुथ अवधि शुरू हो जाती जिस वजह से विष्णु भगवान भी निंद्रा में होते हैं, इसलिए इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना भी जरुरी होता है।
  • कर्क संक्रांति को गंगा स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दौरान गंगा स्नान के लिए अवश्य जाना चाहिए इससे आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है। यदि आप नहीं जा सकते हैं तो घर में ही गंगाजल पानी में मिलाकर अवश्य स्नान करें।
  • पितृ तर्पण करने के लिए यह दिन विशेष होता है। इस दिन पितृ तर्पण से पितरों को शांति मिलती है और आपके घर में लगा हुआ पितृ दोष भी खत्म हो जाता है।

कर्क संक्रांति पर क्या न करें

  • कर्क संक्रांति के दौरान सूर्य देव दक्षिण दिशा में यात्रा करते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यह समय शुभ नहीं होता है कर्क संक्रांति के अनुष्ठान करते समय बहुत से कार्य नहीं करने चाहिए आइए जानते हैं क्या हैं वह कार्य जिन्हें नहीं करना चाहिए।
  • इस दौरान नकारात्मक शक्तियां अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं इसलिए पूजा पाठ को करना बंद नहीं करें। पूजा पाठ बढ़ा कर करना चाहिए
  • कर्क संक्रांति के अनुष्ठान करते समय कोई भी नया कार्य नहीं करें। ध्यान दें कि इस 6 महीने की अवधि तक कोई भी मंगल कार्य न करें। न ही कोई नया सामान खरीदना शुभ होता है।
  • इस दौरान दिन छोटे होने शुरू हो जायेंगे और रातें लम्बी होनी शुरू होगी। इसलिए अपने शुभ कार्य दिन के समय में ही पूरा करें। कोई भी शुभ कार्य इस दौरान रात में न करें।
  • विशेष रूप से कर्क संक्रांति के दिन या इसकी समय अवधि के दौरान भी किसी भी मंगल कार्य के लिए दान न करें। इस दौरान मंगल कार्य के लिए किया गया दान अशुभ होता है और काम बिगड़ सकता है।

कर्क संक्रांति का इन 4 राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव

सूर्य का मिथुन राशि से कर्क राशि में गोचर 4 राशियों के लिए सौभाग्य लेकर आएगा जिसका इनके जीवन में पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं कौन सी हैं वह 4 राशियां।

1. मेष राशि

मेष राशि वाले जातकों के लिए सूर्य का कर्क राशि में परिवर्तन होना बहुत अधिक लाभ लेकर आएगा। मेष राशि पर सूर्य राज करता है और सूर्य मेष राशि में पांचवे घर का स्वामी है। इसलिए इस दौरान मेष राशि के जातकों को उनकी पढ़ाई से लेकर नौकरी तक में सफलता प्राप्त होगी और जीवन में खुशहाली आएगी। सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की नौकरी वाले जातकों को सफलता मिलेगी साथ ही व्यापार करने वालों के व्यापार में उन्नति होगी। उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करें और नमस्कार करें।

2. तुला राशि

तुला राशि में सूर्य को ज्योतिषियों द्वारा ग्यारहवें घर का स्वामी बताया गया है। कर्क राशि में सूर्य का स्थान परिवर्तन होने से तुला राशि को बहुत अधिक लाभ होगा। इस गोचर से व्यापार में वृद्धि होगी और करियर में नयी संभावनाएं प्राप्त होंगी। इस दौरान आपको जीवन में कठिन चुनौतियों से सामना करने का और जीवन में खुद को आगे बढ़ाने का हौसला प्राप्त होगा। तुला राशि के जातकों का अपने परिवार और दोस्तों के साथ मनमुटाव खत्म होगा। सूर्यदेव को सुबह जल्दी उठकर प्रणाम करें और जल दें।

3. कर्क राशि

कर्क राशि में सूर्य दूसरे भाव का स्वामी माना गया है। सूर्य के कर्क राशि में गोचर से कर्क राशि का जीवन पहले से बेहतर परिस्थिति में होगा। इस दौरान जातक को यदि कोई स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याएं हैं तो वह खत्म होंगी और साथ- साथ व्यापार में भी तरक्की होगी। कर्क राशि में यदि किसी का विवाह होने में बाधाएं आ रही हैं, तो इस दौरान वह बाधाएं खत्म हो जाएगी। कर्क राशि को नौकरी में उच्च पद प्राप्त होगा और नौकरी में परिवर्तन होने की संभावनाएं भी हैं। सूर्योदय को देखें हाथ जोड़ें और जल अर्पित करें।

4. मिथुन राशि

मिथुन राशि वाले लोगों को कर्क राशि में सूर्य के गोचर बहुत अधिक लाभ होने वाला है। इस राशि वाले लोगों को उनके परिवार और उनके भाई बहनों की प्रत्येक काम में मदद मिलेगी। व्यापार में उन्नति होगी और नौकरीपेशा जातकों के वेतन में वृद्धि होने होने की संभावनाएं होंगी। सूर्य का यह गोचर मिथुन राशि के लिए विशेष रूप से सौभाग्य लेकर आएगा। इस दौरान आपके सभी लिए गए फैसले सदैव आपके हित में रहेंगे। सूर्योदय होते हुए उसे जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।

कर्क संक्रांति के उपाय

  • इस दिन गरीबों को दान पुण्य करें।
  • इस दिन आप एक पीपल का वृक्ष लगा सकते हैं, घर में नहीं तो किसी अन्य स्थान पर लगाएं।
  • इस दौरान सूरज की स्थिति को अपनी राशि में उच्च बनाने के लिए सूर्य रत्न धारण करना चाहिए।
  • इस दौरान सूर्य को प्रतिदिन जल अर्पित करें और सूर्य मंत्रों का जाप करें।
  • प्रतिदिन मंदिर जाएँ और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. कर्क संक्रांति की तिथि क्या है?

साल 2023 में कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2023 को पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन अधिक पूजा करनी चाहिए।

2. कर्क संक्रांति पर क्या करना शुभ होता है?

कर्क संक्रांति पर दान- पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन अन्न और वस्त्र दान करना चाहिए। अधिक लाभ प्राप्त होता है।

3. कर्क संक्रांति पर पुण्य काल का समय क्या है?

कर्क संक्रांति के दिन दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर पुण्य काल शुरू हो होगा और शाम को 7 बजकर 21 मिनट पर यह समाप्त होगा।

4. कर्क संक्रांति पर सूर्य कौन सी राशि से कौन से राशि में गोचर करता है?

इस दिन सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करते हैं और उस समय को कर्क संक्रांति कहते हैं।

5. कर्क संक्रांति के दौरान सूर्य किस दिशा में गोचर करते हैं?

कर्क संक्रांति के दौरान सूर्य दक्षिण दिशा में गोचर करते हैं और यह उनकी निद्रा में लीन होने की स्थिति मानी जाती है।

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