
मासिक दुर्गाष्टमी-
हिन्दू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन दुर्गा मां की पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है। मासिक दुर्गाष्टमी व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत से भक्तों को लाभ होता है। नवरात्री में पड़ने वाली दुर्गाष्टमी को महाष्टमी के नाम से जानते है। इस पर्व की मान्यता है। इस दिन व्रत रखने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा होती है। मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत विशेष लाभ देता है। एक वर्ष में 12 माह होते हैं। इस कारण प्रत्येक वर्ष 12 मासिक दुर्गाष्टमी पड़ती हैं।
माँ दुर्गा की पूजा करने से प्राकृतिक महामारी से भी रक्षा होती है। विवाहित स्त्रियों के लिए यह व्रत फलदायी होता है।
मासिक दुर्गाष्टमी जुलाई 2022 की तिथि-
यह पर्व शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। मासिक दुर्गाष्टमी जुलाई 2022 की तिथि 7 जुलाई दिन गुरुवार को है।
मासिक दुर्गाष्टमी 2022 के सम्पूर्ण माह की तिथि-
माह तिथि
पौष माह 10 जनवरी
माघ माह 8 फरवरी
फाल्गुन माह 10 मार्च
चैत्र माह 9 अप्रैल
वैशाख माह 9 मई
ज्येष्ठ माह 8 जून
आषाढ़ माह 7 जुलाई
श्रावण माह 5 अगस्त
भाद्रपद माह 4 सितंबर
आश्विन माह 3 अक्टूबर
कार्तिक माह 1 नवम्बर
मार्गशीर्ष माह 30 दिसंबर
मासिक दुर्गाष्टमी कथा-
ब्रह्मा का वरदान-
पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है। प्राचीन काल में दैत्य दंभ का एक पुत्र था। जिसका नाम महिषासुर था। महिषासुर के मन में बचपन से ही अमर होने की इच्छा थी। इस इच्छा की पूर्ति के लिए महिषासुर ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की। इस तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए। महिषासुर से वरदान मांगने को बोला। महिषासुर ने अमर होने का वरदान मांगा। जिसे सुनकर ब्रह्मा जी बोले। जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जन्म। यह संसार का नियम है। अमरता के वरदान का कोई अस्तित्व नहीं है।
यह सुनकर महिषासुर ने अन्य वरदान मांगते हुए बोला। अगर इस संसार में मृत्यु होना तय है। आप मुझे ऐसा वरदान दे। मेरी मृत्यु किसी स्त्री के हाथ से हो। इसके अलावा कोई मनुष्य, जानवर, दैत्य और देवता मेरा वध नहीं कर पाए। यह वरदान ब्रह्मा जी ने महिषासुर को दे दिया। महिषासुर यह वरदान पाकर अधिक शक्तिशाली हो गया। उसका अन्याय देवलोक और पृथ्वीलोक पर बढ़ता ही जा रहा था। अहंकारी महिषासुर ने पृथ्वी लोक पर आक्रमण कर दिया। जिसकी वजह से धरती पर विनाश आ गया। इसके पश्चात महिषासुर ने इंद्रलोक पर आक्रमण किया। भगवान इंद्र को पराजित करके स्वर्ग को कब्जे में ले लिया था।
महिषासुर का वध-
महिषासुर के हिंसा से परेशान होकर। सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए और मदद मांगी। तब त्रिदेव ने देवी शक्ति निर्माण की सलाह दी। त्रिदेवों की मदद से माँ दुर्गा का निर्माण हुआ। सभी देवी देवताओं ने माँ दुर्गा को अपने शस्त्र दिए। कहा जाता है। माँ दुर्गा का रूप इतना सुंदर था। महिषासुर ने उन्हें विवाह करने प्रस्ताव भेजा। जिससे मां दुर्गा क्रोधित हो गयी। युद्ध के लिए ललकार दिया।
माँ दुर्गा के युद्ध की ललकार सुनकर महिषासुर तैयार हो गया। महिषासुर वरदान को अपने अहंकार में भूल चुका था। माँ दुर्गा ने युद्ध में महिषासुर की सम्पूर्ण सेना का विनाश कर दिया था। जब महिषासुर को अपनी हार नजर आने लगी। तब उसने कई रूप धारण करके दुर्गा जी को छलने की कोशिश की। माँ दुर्गा के क्रोध के आगे उसकी एक ना चली। अंत में माँ दुर्गा ने अपने चक्र से महिषासुर का सिर काट, वध कर दिया। अतः युद्ध का अंत हुआ। यह युद्ध पूरे नौ दिन तक चला था। इसी कारण नवरात्र मनाए जाते हैं। माँ दुर्गा की पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है।
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