शादी एक पवित्र बंधन है जो दो दिलों को, दो मनुष्यों को और उनके परिवारों को आपस में जोड़ता है। चाहे परिवार वालों की इच्छानुसार विवाह हो। चाहे लड़का और लड़की की अपनी मर्ज़ी से। जीवनसाथी ऐसा होना चाहिए जो जीवन में खुशियाँ लेकर आये। कई लोगों का सवाल रहता है कि उनकी कुंडली में प्रेम विवाह के योग हैं या नहीं। ऐसे में इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानें कुंडली में प्रेम विवाह जाँचने के आसान तरीके। इन संकेतों से आप जान पाएंगे कि आपकी किस्मत में प्रेम विवाह लिखा है या नहीं।
कुंडली में प्रेम विवाह योग
प्रेम विवाह के आसार चंद्र, मंगल और शुक्र ग्रह से लगाए जाते हैं। पुरुषों के कुंडली में यौन जीवन का कारक शुक्र ग्रह माना जाता है और स्त्रियों की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह को यौन जीवन का कारक माना जाता है। शुक्र प्रेम का कारक ग्रह कहलाता है। चंद्र ग्रह से प्रथम दर्शन में ही प्रेम और आकर्षण का पता चलता है। मंगल ग्रह साहस, हिम्मत, निर्भयता, और अन्य जोखिम पूर्ण भावनाओं का ग्रह है। जब पुरुषों और स्त्रियों की कुंडली में इन ग्रहों का विश्लेषण किया जाता है। तब बहुत ही आसानी से यह पता लगाया जा सकता है कि कुंडली में प्रेम विवाह योग है या नहीं।
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प्रेम विवाह के लिए ज्योतिष शास्त्र
लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज कैसे जानें ? यह सवाल देश के हज़ारों युवाओं के मन में है। इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानें वैदिक शास्त्र के कुछ ऐसे संकेत जिनसे आप अपनी कुंडली में प्रेम विवाह के योग पहचान सकते हैं।
- यदि जातक की जन्म कुंडली में मंगल सप्तम भाव या उसके स्वामी से संबंधित होता है तो प्रेम विवाह होने की संभावना होती है।
- जब शुक्र ग्रह शनि या राहु द्वारा दृष्ट हो अथवा शुक्र ग्रह की शनि या राहु से युति हो तो प्रेम विवाह के अवसर बनते हैं।
- यदि शुक्र लग्न भाव में स्थित ग्रह से संबंधित होता है तब भी कुंडली में प्रेम विवाह का योग होता है।
- इसी प्रकार मंगल ग्रह यदि पंचम भाव या उसके स्वामी से संबंधित होता है तो प्रेम विवाह का योग बनता है।
- चंद्र का लग्न भाव से संबंध हो या उसके स्वामी का सप्तम भाव में स्थित ग्रह से संबंध हो तब प्रेम विवाह होने की सम्भावना होती है ।
अच्छे जीवनसाथी की पहचान कैसे करें ?
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में प्रथम भाव, पंचम भाव और नवम भाव पर गुरु का प्रभाव हो। और शुक्र का अन्य शुभ ग्रहों के साथ योग हो। तब वह व्यक्ति सच्चा और आदर्श प्रेमी होता है। ऐसे व्यक्ति का प्रेम उच्च कोटि का होता है।
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र का मंगल और राहु के साथ संबंध होता है। उसका प्रेम वासनामय होता है। ऐसे व्यक्ति में भोग विलास में लीन होते हैं
प्रेम विवाह के ज्योतिष उपाय
भारत देश में जाति व्यवस्था और रूढ़ीवादी विचारधारा के कारण प्रेम विवाह में कई अड़चने आती हैं। कई बार घरवाले विवाह के लिए मंजूरी नहीं देते हैं। ऐसे में युवाओं का दिल टूट जाता है। अतः इन्स्टाएस्ट्रो लेकर आया है आपके लिए प्रेम विवाह के उपाए –
- शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले गुरुवार को विष्णु भगवान और माँ लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही माला से ’ॐ लक्ष्मी नारायण नमः’ मंत्र का जाप करें। इस उपाय को कम से कम तीन महीने तक करने से प्रेम विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाएँगी।
- वैदिक ज्योतिष में रत्नों का भी बहुत महत्व होता है कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनाने के लिए हीरा या ओपल रत्न धारण करना चाहिए।
- जिस कन्या के प्रेम विवाह में बाधा आ रही हो, वह हर गुरुवार को पीले रंग के और शुक्रवार को सफेद रंग के कपड़े पहनकर भगवान से प्रार्थना करें।
- रविवार के दिन एक पीले कपड़े में 7 सुपारी, 7 हल्दी की गठान, 7 गुड़ की डली, 70 ग्राम काले चने, 7 पीले सिक्के और एक यंत्र को बांधकर पोटली बना लें। माँ पार्वती की पूजा करें और इस पोटली को 40 दिन तक अपने पास रखें। बाद में किसी सुहागन स्त्री को यह पोटली दे दें। इस उपाय से कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. कुंडली में प्रेम विवाह योग कैसे पता चलता है ?
2. कैसे जानें लव मैरिज होगी या अरेंज ?
3. आदर्श जीवनसाथी को कैसे पहचानें ?
4. प्रेम विवाह के ज्योतिष उपाय क्या हैं ?
5. कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनाने के लिए किस भगवान की पूजा करनी चाहिए ?
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