ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म में कुल 12 राशियां होती हैं और साल में 12 महीने भी होते हैं प्रत्येक महीने में 1 राशि से दूसरी राशि में सूर्य देव गोचर करते हैं, उसी को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर सितंबर के महीने में कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति 2023 को विशेष रूप से उड़ीसा और बंगाल में मनाया जाता है। यह दिन लोगों के लिए बहुत आवश्यक होता है क्योंकि इस दिन पितृ तर्पण, पितरों का श्राद्ध, पितृ पूजा और पवित्र नदियों में स्नान करने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। कन्या संक्रांति 2023 के बारे में और भी बहुत कुछ है आइए आगे जानते हैं।
बंगाल और उड़ीसा में कन्या संक्रांति 2023 के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने भगवान शिव का त्रिशूल बनाया था और कन्या संक्रांति के उनका जन्मदिवस होता है इसलिए इस दिन पर उनकी पूजा का भी महत्व है। इस दिन सूर्य देव की भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भले ही कन्या संक्रांति पर सूर्य देव सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करते हैं लेकिन इसका प्रभाव प्रत्येक राशि पर पड़ता है। आइये जानते हैं कन्या संक्रांति मुहूर्त और कन्या संक्रांति 2023 के बारे में सबकुछ।
कन्या संक्रांति 2023 तिथि
कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2023 को रविवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।
कन्या संक्रांति पुण्य काल
कन्या संक्रांति पुण्य काल का समय 17 सितंबर 2023 को रविवार के दिन दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो जाएगा और शाम को 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त हो जायेगा। कन्या संक्रांति पुण्य काल की कुल समय अवधि 04 घंटे 42 मिनट रहेगी।
कन्या संक्रांति महा पुण्य काल
कन्या संक्रांति महा पुण्य काल 17 अगस्त 2023 को दोपहर में 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो जाएगा और 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो जायेगा। महा पुण्य काल मुहूर्त की कुल समय 02 घण्टे 03 मिनट रहेगी।
कन्या संक्रांति पूजा विधि और अनुष्ठान
- कन्या संक्रांति पर विशेष अनुष्ठान किए जाने का महत्व है और इस दिन भगवान विश्वकर्मा जिन्हें औजारों का देवता माना जाता है उनकी और सूर्य देव जो कन्या संक्रांति के दिन सिंह राशि से कन्या राशि में गोचर करते हैं उनकी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कन्या संक्रांति की पूजा विधि और अनुष्ठान के बारे में।
- कन्या संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। क्योंकि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल और काले तिल मिलाकर उससे स्नान करना चाहिए।
- इसके पश्चात एक तांबे के बर्तन में पुष्प, तिल, मिष्ठान मिश्रित जल लेकर उगते हुए सूर्य देव को ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र बोलते हुए हुए अर्पित करें।
- यदि आप इस दिन व्रत करना चाहते हैं तो जल देने के पश्चात सच्ची श्रद्धा के साथ अपने मन में व्रत करने का संकल्प लें। और व्रत करें।
- इसके पश्चात भगवान विश्वकर्मा की पूजा शुरू करें। अपने पूजा स्थान को साफ करें। एक चौकी लगाएं और वहां भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्थापित करें।
- इसके पश्चात घी का दीपक जलाएं और भगवान विश्वकर्मा को फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें और ‘ओम् आधार शक्तपे नम:, ओम् कूमयि नम:, ओम् अन्नतम् नम:, ओम् पृतिव्यै नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके पश्चात आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
- अब अपने घर के सभी औजारों को अच्छी तरह से साफ करें और उस दिन उनसे कोई कार्य न करें साथ ही यदि आप व्यापार करते हैं तो अपनी सभी मशीनों को साफ करें और उनकी पूजा करें। घी का दीपक जलाएं और भगवान विश्वकर्मा से अपने व्यापार में तरक्की के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।
- कन्या संक्रांति के दिन गंगा स्नान, पितृ पूजा, पितृ तर्पण और दान करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करा सकते हैं। और गंगा स्नान करके अपने सभी पापों को दूर कर सकते हैं। गरीबों को मिठाई, फल, वस्त्र, भोजन और जरूरत की सभी चीजें दान कर सकते हैं।
कन्या संक्रांति इतिहास और महत्व
हिन्दू धर्म में कन्या संक्रांति इतिहास भगवान विश्वकर्मा से जुड़ा हुआ बताया जाता है। कन्या संक्रांति का यह उत्सव कई तरह से महत्व रखता है। इस दिन सूर्य देव सिंह राशि से कन्या राशि में गोचर करते हैं। इसके अलावा कन्या संक्रांति पर गंगा स्नान, दान, पितृ तर्पण और पितृ पूजा करने का बड़ा महत्व माना गया है। भगवान विश्वकर्मा का कन्या संक्रांति के दिन जन्मदिवस मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है की भगवान शिव का त्रिशूल उनके द्वारा ही बनाया गया था और भी कई देवताओं के लिए उन्होंने बड़े- बड़े औजारों और भवनों का निर्माण किया था। आज के समय की बात करें तो उन्हें एक इंजीनियर कहा जा सकता है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है की भगवान विश्वकर्मा ने भगवान ब्रह्मा की आज्ञा का पालन करते हुए इस संसार का भी निर्माण किया था। उन्होंने कई बड़े- बड़े नगरों को भी स्थापित किया था जैसे भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारका और भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या। इसके अलावा कन्या संक्रांति मुहूर्त के अनुसार ही मनाई जानी चाहिए। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार चूंकि इस दिन सूर्य देव कन्या राशि में गोचर करते हैं इसलिए इसका प्रभाव प्रत्येक राशि पर भी पड़ता है जिसे हम नीचे जानेंगे।
कन्या संक्रांति का राशि चक्र पर पड़ेगा प्रभाव
कन्या संक्रांति उत्सव पर सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव के इस गोचर से प्रत्येक राशि पर कोई न कोई प्रभाव अवश्य पड़ेगा। आइए जानते हैं सूर्य का कन्या राशि में गोचर किस राशि पर क्या प्रभाव डालेगा।
1. मेष राशि
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मेष राशि के लिए सूर्य का कन्या राशि में गोचर बहुत शुभ होगा। मेष राशि के व्यक्तियों को इस दौरान प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होगी। इस दौरान आपके शत्रु भी दोस्त बन सकते हैं। यदि आप किसी परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं तो वह भी इस गोचर के बनने से आपके पक्ष में आने के अधिक चांस हैं।
2. वृषभ राशि
वृषभ राशि के लिए यह गोचर शुभ नहीं हैं। इस दौरान वृषभ राशि वालों को बहुत संभलकर रहने की आवश्यकता है। इस गोचर के दौरान वृषभ राशि वालों की सेहत खराब रहने की संभावना है। विशेष रूप से वृषभ राशि को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। करियर में बड़े अधिकारियों से लड़ाई हो सकती है।
3. मिथुन राशि
मिथुन राशि के ऊपर भी यह गोचर अच्छा प्रभाव नहीं ड़ाल रहा है। कन्या संक्रांति उत्सव पर मिथुन राशि के व्यक्तियों के घर में कलह हो सकती है, जिस वजह से मानसिक तनाव होने की संभावना होगी। इस दौरान किसी जमीन से जुड़े मुकदमे को लड़ने से बचने को कोशिश करें अन्यथा आपकी हार हो सकती है और आप अपनी पुस्तैनी जमीन से भी दूर हो सकते हैं।
4. कर्क राशि
कर्क राशि के लिए सूर्य का कन्या में गोचर शुभ फल लेकर आएगा। इस दौरान कर्क राशि को धन लाभ होने की अधिक सम्भावना है। सूर्य गोचर के सितंबर महीने में आप कोई भी बड़ी प्रतियोगिता में जीत सकते हैं और अच्छे परिणाम हासिल कर सकते हैं। यह गोचर आपकी नौकरी और व्यापार में भी तरक्की के मार्ग खोलेगा। बड़े लोगों से आपकी जान- पहचान होगी और लोगों में आपका सम्मान बढ़ने के योग बन रहें हैं।
5. सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य का यह गोचर अच्छा नहीं है। इस दौरान परिवार में आर्थिक कलह उत्पन्न हो सकती है और घर में धन की कमी के कारण मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है। इस दौरान अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है क्योंकि सूर्य का यह गोचर आपके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव ड़ाल सकता है।
6. कन्या राशि
कन्या राशि के लिए सूर्य के यह गोचर शुभ नहीं रहने वाला है। इस दौरान कन्या राशि धन- माल की समस्या से जूझ सकती है। कार्यक्षेत्र में भी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा इस दौरान अपने मान- सम्मान को बचा कर रखने की आवश्यकता कन्या राशि को होगी क्योंकि आपके सम्मान को ठेस पहुंच सकती है।
7. तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए यह गोचर यात्रा लेकर आया है। इस दौरान तुला राशि एक स्थान से दूसरे स्थान पर लम्बी यात्राओं के लिए जा सकती है। यह राशि अपने काम के सिलसिले की वजह से भी यात्राएं कर सकती है। इसके अलावा अपने कार्य में कुछ तनाव भी तुला राशि वाले महसूस कर सकते हैं, जिस वजह से बड़े अधिकारियों के साथ मनमुटाव हो सकते हैं।
8. वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लिए सूर्य का यह गोचर शुभ फल लेकर आया है। इस दौरान वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलने की संभावना है। मान-सम्मान में वृद्धि होगी और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलेगी। इनके बातचीत करने के तरीके से लोग इनसे प्रभावित होंगे।
9. धनु राशि
धनु राशि के व्यक्तियों के लिए यह गोचर शुभ होगा। इस दौरान धनु राशि के लोगों के व्यापार में वृद्धि होगी और नए अवसर प्राप्त होंगे। यदि आप नौकरी करते हैं तो आपका प्रमोशन होने की संभावना रहेगी। इस दौरान आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी और आपके सभी रुके हुए कार्य सफल होंगे।
10. मकर राशि
मकर राशि के लिए यह गोचर ज़रा भी शुभ नहीं है। इस दौरान मकर राशि के परिवार में कलह रहेगी जिस वजह से मानसिक तनाव रह सकता है। आप किसी के गलत और झूठे इल्जामों में फंस सकते हैं जिससे चिड़चिड़ा स्वभाव हो सकता है। जबान पर कण्ट्रोल न रहने की वजह से कार्यक्षेत्र में विवाद बढ़ने की संभावना रहेगी। इस दौरान धन की हानि भी आपको हो सकती है।
11. कुंभ राशि
कुंभ राशि के लिए यह गोचर शुभ नहीं रहेगा। कुंभ राशि वाले जातकों को इस गोचर में मानसिक परेशानियां घेर सकती हैं। कुंभ राशि का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा और ये किसी बड़े मुकदमे में फंस सकते हैं जिस वजह से घर में तनाव रह सकता है। इसके अलावा आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ सकता है।
12. मीन राशि
मीन राशि के लिए भी यह गोचर कुछ अच्छा नहीं लेकर आएगा। मीन राशि के जातकों के घर में कलह हो सकती है ,धन- माल की हानि हो सकती है। स्वास्थ्य खराब हो सकता है। विशेष रूप से मीन राशि को अपने शादीशुदा जीवन पर ध्यान देने की आवश्यकता रहेगी क्योंकि यह गोचर उनके वैवाहिक जीवन में भी तनाव उत्पन्न कर सकता है।
कन्या संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें?
- कन्या संक्रांति के दिन पेड़- पौधे लगाना शुभ होता है। आप इस दिन तुलसी, नीम, बरगद और पीपल का पेड़ लगा सकते हैं।
- कन्या संक्रांति के दिन पितृ पूजा और पितृ तर्पण करना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन अपने पितरों का ध्यान करें और उनके अनुष्ठान करें।
- आप इस दिन व्रत भी रख सकते हैं और अगले दान गरीबों में दान- दक्षिणा देकर व्रत को खोल सकते हैं।
- कन्या संक्रांति के दान का विशेष महत्व होता है इस दिन दान अवश्य करें। भोजन, वस्त्र और जरूरत की सभी चीजों का दान करना चाहिए। इससे भगवान की कृपा आप पर बनती है।
- गाय माता के लिए कुछ भी दान करना आपके लिए शुभ फल लाता है। इस दिन गाय माता की सेवा करें और उनके लिए अलग से हरा चारा, रोटी और गुड़ का दान किसी गौशाला में करें। आप चाहें तो गाय माता के लिए कुछ धन का भी दान कर सकते हैं।
- इस दिन गंगा नदी में स्नान अवश्य करें। पवित्र नदी में स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है। गंगा में स्नान करना कन्या संक्रांति का एक अनुष्ठान है।
- कन्या संक्रांति पर अपने घर के बड़े लोगों और विशेष रूप से अपने पितरों के बारे में कुछ भी गलत न बोले उनका अपमान न करें। यह न सिर्फ कन्या संक्रांति पर बल्कि अपने सम्पूर्ण जीवन में कभी न करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो पितृ दोष लगता है।
- इस सम्पूर्ण महीने में मांस, मदिरा और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार का क्रोध न करें, इसके अलावा अपने मन में किसी भी प्रकार का गलत भाव नहीं रखें।
- कोई भी गलत कार्य न करें और झूठ न बोलें। इसके साथ ही अपने घर की या किसी भी अन्य महिला का अपमान न करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. कन्या संक्रांति 2023 में कब है?
2. कन्या संक्रांति पर सूर्य क्या करेगा?
3. कन्या संक्रांति पर कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
4. भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?
5. क्या सूर्य प्रत्येक माह राशि परिवर्तन करते हैं?
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