
हिन्दू धर्म में जो भी एक व्यक्ति के रहने की नियम बनाएं गए हैं सभी के पीछे कोई न कोई कारण बताया गया है। जो ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि कोई व्यक्ति सनातन धर्म के नियमों के अनुसार अपना जीवन जीता है तो उसका जीवन बहुत ही सुन्दर और हसीं ख़ुशी के साथ व्यतीत होता है। उसे कभी जीवन में कोई बीमारी नहीं होती है और उसकी आयु लम्बी होती है। इन नियमों का पालन जो व्यक्ति करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन्हीं नियमों में से एक नियम है पुरुषों का सिर पर शिखा या चोटी रखने का नियम।
आखिर क्यों जब से हिन्दू धर्म की शुरुआत हुई है तभी से सिर पर चोटी या शिखा को रखा जाता है? पुराने समय के ऋषि और मुनियों द्वारा चोटी रखने का प्रचलन था। उस समय में छोटे से छोटा बच्चा चोटी रखता है। उस समय में मानों मतलब चोटी का रखना इतना महत्वपूर्ण होता था जैसे पानी को पीना जरूरी होता है उसके बिना जीवन नहीं हैं। आज भी मंदिरों में ज्योतिषी और कई अन्य लोग चोटी रखते आ रहे हैं और हिन्दू धर्म के नियमों का पालन कर रहे हैं। आज हम आपको इस लेख द्वारा बताएंगे शिखा का महत्व क्या है और चोटी रखने के फायदे क्या हैं? जानने के लिए आगे पढ़ें।
चोटी रखने का महत्व
हिन्दू धर्म में 16 संस्कार होते हैं उनमें से एक बच्चे का मुंडन संस्कार होता है। जब एक बच्चा जन्म लेता है तो बच्चे के जन्म के पहले साल, तीसरे साल या फिर पांचवें साल में मुंडन संस्कार होता है। मुंडन संस्कार जब होता है तो बच्चे की सिर की चाँद पर थोड़े बालों को रखा जाता है और बाकि के सभी बाल काट दिए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इसी संस्कार को मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह सिर पर चोटी रखने वाले संस्कार को उपनयन संस्कार और यज्ञोपवीत में भी कराया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार यज्ञोपवीत संस्कार, उपनयन संस्कार, यज्ञ, पूजा, या किसी भी धार्मिक कार्य में चोटी रखना महत्वपूर्ण माना गया है। यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तब भी सिर पर घर के लोग शिखा छोड़ते हैं। यदि कोई अपने सिर पर चोटी छोड़ता है तो चोटी रखने का वैज्ञानिक महत्व है और चोटी रखने का महत्व ज्योतिष में भी हैं।
ज्योतिष महत्व
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सिर पर शिखा रखने से यदि आपकी कुंडली में राहु की बुरी नजर नहीं पड़ती है साथ ही यदि चन्दन का तिलक लगा लेंगे तो राहु की बुरी दृष्टि पूरी तरह कुंडली से खत्म हो जाएगी। ज्योतिष में चोटी रखने का एक और महत्व बताया गया है वह यह है कि व्यक्ति के शरीर में 10 द्वार होते हैं जिनमें से एक द्वार से उसकी आत्मा बाहर जाती है। यह द्वार आपकी 2 आँखे, आपके 2 कान, आपकी नाक के 2 नाथू, आपका मुँह, आपके दोनों निजी अंग और एक आपका सिर। वैदिक संस्कृति के अनुसार यदि आपकी आत्मा आपके सिर से निकलती है तो इसका अर्थ है कि, व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हुई है परन्तु यह तभी संभव है जब आप जन्म से अपने सिर पर चोटी रखेंगे और साथ ही आपके कर्म इतने ऊँचे होंगे की आप मोक्ष को पा सकें।
वैज्ञानिक महत्व
विज्ञान भी चोटी रखने का महत्व बताता है। विज्ञान के अनुसार शिखा रखने से आपका मन और मस्तिष्क शांत रहता है और दिमाग तेज काम करता है क्योंकि शिखा व्यक्ति के मस्तिष्क के केंद्र पर रखी जाती है। विज्ञान के अनुसार शिखा रखने से सहस्रार चक्र जागृत हो जाता है। और सहस्रार चक्र मनुष्य के अंदर उसके मन और बुद्धि को शांत रखता है जिससे उसके अंदर क्रोध नहीं आता है। इसके द्वारा इंसान का मन और बुद्धि नियंत्रित रहते हैं। शांति रहने से व्यक्ति के अंदर कई तरह की बीमारियों के पनपने की संभावना भी नहीं रहती है।
कितनी बड़ी हो चोटी
वैदिक संस्कृति के अनुसार हिन्दू धर्म में चोटी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए। चोटी सहस्रार चक्र के अनुसार रखी जानी चाहिए और सहस्रार चक्र का आकार गाय के खुर के बराबर होता है। इसलिए चोटी का आकार भी गाय के खुर के बराबर ही रखा जाना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें की चोटी रखने की शुरुआत खुद से नहीं करनी चाहिए इसके लिए आपको किसी ज्योतिषी से सलाह लेनी आवश्यक है। खुद से चोटी रखने से हो सकता है आपको इससे लाभ की जगह गंभीर परिणाम भुगतने पड़ जाएँ।
चोटी रखने के फायदे
अब हम आपको बताएंगे की चोटी रखने के फायदे क्या हो सकते हैं विज्ञान और ज्योतिष दोनों में चोटी रखने के कई फायदे बताए गए हैं। जानने के लिए आगे पढ़ें।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब किसी के सिर की चाँद पर बाल होते हैं तो उनका हमारे शरीर की नाड़ियों और संधियों के साथ सीधा संपर्क होता है। सनातन धर्म के एक धर्मग्रंथ के सुश्रुत संहिता के अनुसार सिर के इस स्थान को ‘अधिपतिमर्म’ कहा जाता है। यदि किसी वजह से किसी व्यक्ति को उसके अधिपतिमर्म पर चोट लग जाती है तो स्थिति इस हद तक खराब हो जाती है कि वह मर भी सकता है। चोटी रखने से यह खतरा कम हो जाता है।
- चोटी रखने से मृत्यु के पश्चात जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। परंतु ध्यान रहे की चोटी के साथ साथ मनुष्य को अपने कर्मों पर भी ध्यान देना चाहिए। बिना अच्छे कर्मों के मोक्ष नहीं पाया जा सकता है।
- सिर पर शिखा रखने से दिमाग शांत रहता है और मन में चिंता नहीं रहती है। पढ़ने वालों छात्रों और छात्राओं को चोटी रखनी चाहिए। इससे उनकी बुद्धि तेज रहती है।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार चोटी रखने से हमारे शरीर में सात चक्र जाग्रत होता है जिससे हमारे अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सिर पर शिखा रखने के बाद उसमें गांठ लगा कर रखें उसे खुला नहीं छोड़ना चाहिए। शिखा में गांठ लगाकर रखने से नकारात्मकता दूर होती है। और चोटी अपनी जगह स्तर रहती है।
चोटी रखने के नियम
अभी तक हमने आपको बताया की चोटी रखने का वैदिक संस्कृति और विज्ञान में क्या महत्व है इसके फायदे क्या हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्रों में चोटी रखने के कुछ नियम भी बनाए गए हैं, इन्हीं नियमों का आपको पालन करके चोटी रखनी चाहिए। यदि आप सिर्फ फैशन के लिए चोटी रखते हैं तो इसका आपको कोई लाभ नहीं होगा लेकिन अशुभ जरूर होगा। आइए जानते हैं वैदिक संस्कृति में चोटी रखने के क्या नियम बताए गए हैं।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार चोटी रखते समय उसे अपने सिर की चाँद पर ही रखें। अपने सिर के सारे बाल कटवा देने चाहिए। और बस चोटी ही सिर पर होनी चाहिए।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार चोटी का आकार केवल गाय के खुर जितना लम्बा और चौड़ा रखना चाहिए। गाय के खुर जितनी शिखा ही शुभ होती है।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब आप किसी प्रकार की पूजा कर रहे हो कुछ दान दे कर रहे हो या 16 संस्कारों में कोई संस्कार कर रहे हो तब अपनी चोटी में आपको गांठ अवश्य लगानी चाहिए। यह शुभ होता है।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब आप नित्य क्रिया करने के लिए जाएँ तो चोटी की गांठ को खोल दें। वहां जाते समय उसमें गांठ लगाना अशुभ होता है।
- चोटी रखने के साथ अपना व्यवहार अच्छा रखें। अपने मन में किसी के लिए गलत भाव नहीं आने दें और बड़े लोगों का आदर छोटे लोगों को प्यार करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. चोटी रखने की उम्र कितनी होनी चाहिए?
2. क्या चोटी रखने का अधिकार सिर्फ ज्योतिषियों का होता है?
3. जिस स्थान पर चोटी रखी जाती है उसको क्या कहते हैं?
4. चोटी में गांठ लगाने का कारण क्या है?
5. शिखा को कैसे और कब बांधे?
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शिखा रखने वाले जातकों को क्या करने से बचना चाहिए, जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।