Get App
CalendarFestivalsHindiHindu Culture

जानिए कालाष्टमी व्रत (2023) का महत्व और लाभ

By June 2, 2023December 14th, 2023No Comments
Kalaashtmi vrat

हिन्दू धर्म में कालाष्टमी 2023 का विशेष महत्व है। कालाष्टमी व्रत साल में 12 बार मनाई जाती है। कालाष्टमी साल के प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म के देवता भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की इस दिन पूजा होती है और व्रत रखा जाता है। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव का विधि अनुसार व्रत और पूजन करके यदि यह व्रत रखा जाता है, तो इससे भगवान काल भैरव प्रसन्न होकर भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

भगवान भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान भैरव को भारत के लोगों सहित विदेशों से भी लोग पूजने आते हैं। भगवान भैरव दुष्टों का अंत करने वाले और भक्तों का कल्याण करने वाले देवता माने जाते हैं। भगवान भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे पाप और सारे कष्ट दूर होते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत को करने की पूजा विधि, तिथियां और मुहूर्त।

Hindi CTR

कालाष्टमी व्रत साल में तिथियां और कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

1. शनिवार, 14 जनवरी 2023

माघ मास की कृष्ण अष्टमी 14 जनवरी 2023 को शाम 7 बजकर 23 मिनट पर आरंभ होगी और 15 जनवरी 2023 को शाम 7 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

2. सोमवार, 13 फरवरी 2023

फाल्गुन मास की कृष्ण अष्टमी 13 फरवरी 2023 को सुबह 9 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 14 फरवरी 2023 को सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी।

3. मंगलवार, 14 मार्च 2023

चैत्र मास की कृष्ण अष्टमी 14 मार्च 2023 को रात के समय 8 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 15 मार्च 2023 को शाम के समय 6 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी।

4. गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

वैशाख माह की कृष्ण अष्टमी 13 अप्रैल 2023 को सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 14 अप्रैल 2023 को सुबह 1 बजकर 34 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

5. शुक्रवार, 12 मई 2023

ज्येष्ठ माह की कृष्ण अष्टमी 12 मई 2023 को सुबह 9 बजकर 7 मिनट पर शुरू होगी और 13 मई 2023 को सुबह 6 बजकर 51 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

6. शनिवार, 10 जून 2023

आषाढ़ माह की कृष्ण अष्टमी 10 जून 2023 को दोपहर 2 बजकर 2 मिनट पर शुरू होगी और 11 जून 2023 को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

7. रविवार, 10 जुलाई 2023

श्रवण माह की कृष्ण अष्टमी 9 जुलाई 2023 को रात 8 बजे शुरू होगी और 10 जुलाई 2023 को शाम 6 बजकर 44 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

8. मंगलवार, 8 अगस्त 2023

भाद्रपद मास की कृष्ण अष्टमी 8 अगस्त 2023 को सुबह 4 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और 9 अगस्त 2023 को सुबह 3 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

9. बुधवार, 06 सितंबर 2023

आश्विन मास की कृष्ण अष्टमी 6 सितंबर 2023 को शाम को 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 7 सितंबर 2023 को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

10. शुक्रवार, 06 अक्टूबर 2023

कार्तिक मास की कृष्ण अष्टमी 6 अक्टूबर 2023 को सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और 7 अक्टूबर सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

11. रविवार, 16 नवंबर 2023

मार्गशीर्ष मास की कृष्ण अष्टमी 16 नवंबर 2023 को रात को 1 बजकर शुरू होगी और 17 नवंबर 2023 को सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

12. मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

पौष मास की कृष्ण अष्टमी 4 दिसंबर 2023 को रात को 9 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 5 दिसंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

कालाष्टमी पूजा विधि

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके सुंदर वस्त्र धारण करें। ध्यान रहे की काले रंग के कपड़े न हो।
  • इसके बाद काल भैरव का मन में ध्यान करें और अपने मन से संकल्प लें की आप कालाष्टमी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ पूर्ण करेंगे।
  • इसके बाद काल भैरव के मंदिर जाकर या घर पर ही काल भैरव की कोई मूर्ति और तस्वीर लगा कर उनकी पूजा करनी स्तुति करनी चाहिए।
  • अब थोड़ा सा गंगा जल लेकर अपने आप को और पूजा वाले स्थान को शुद्ध करें। और काल भैरव भगवान के चरणों में गुलाब गेंदा, चमेली और पारिजात के फूल अर्पित करने चाहिए।
  • अब काल भैरव भगवान को मिठाई, नारियल, गेरुआ, पान का पत्ता, धूप, चंदन और पुष्प चढ़ाएं। और अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें।
  • तत्पश्चात काल भैरव के सामने एक गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और उनकी आरती करें।
  • आरती करने के बाद 108 बार काल भैरव भगवान के मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें।
  • अब सभी भक्तजनों में भगवान काल भैरव की भोग से बची हुई मिठाई को बांट दें। प्रसाद को गरीबों लोगों में भी बांटे इससे आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी। कालाष्टमी पूजा विधि के अनुसार ही मनाएं।

Kalaashtmi Mata

कालाष्टमी का महत्व

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। भगवान भैरव जो शिव का ही दूसरा रूप हैं वह कालाष्टमी के दिन सामने आए थे। यदि कोई कालाष्टमी का व्रत पूरी श्रद्धा और अच्छे भाव के साथ करता है तो उसको इस व्रत का बहुत लाभकारी फल मिलता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति कभी बीमार नहीं होता है। चूंकि भगवान भैरव शिवजी का रूद्र रूप हैं इसलिए इस व्रत को करने से इंसान कभी भी डरता नहीं हैं और वह सभी मुसीबतों का डटकर सामना करता है। इस व्रत के एक नहीं बल्कि अनेक लाभ हैं कहते हैं कि, यदि कोई इस व्रत को करता है तो नकारात्मक शक्तियां उसके पास आने से भी डरती हैं। यह व्रत आपको नकारात्मक ऊर्जा से भी दूर रखता है।इसी प्रकार कालाष्टमी का महत्व अधिक है। भगवान भैरव की पूजा रात में करने का भी विशेष महत्व है, इसलिए पूजा रात में भी करनी चाहिए इससे अधिक लाभ मिलता है।

कालाष्टमी की कथा क्या है

बहुत समय पहले जब भगवान ब्रह्मा, भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान महेश तीनों में अधिक महान कौन है इसकी बहस छिड़ी हुई थी इस बात पर धीरे-धीरे लड़ाई बढ़ती चली गई, और लड़ाई इतनी बढ़ गई की इसको खत्म करने के लिए सभी देवताओं को बुलाकर एक बैठक की गई।

सभी देवताओं की मौजूदगी में हो रही इस बैठक में सबसे यही पूछा गया कि श्रेष्ठ कौन है? सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और उत्तर ढूंढा, लेकिन उस बात का समर्थन भगवान शिव और भगवान श्री हरि विष्णु ने तो किया, परंतु भगवान ब्रह्मा ने भोलेनाथ को अपशब्द कह दिए, इस बात पर महादेव को अधिक गुस्सा
आ गया।

महादेव के इसी गुस्से के कारण उनका एक स्वरूप काल भैरव प्रकट हुआ। भोलेनाथ के इस रूप को देखकर वहां मौजूद सभी देवता डर गए थे उस दौरान भगवान शिव ने वहां तांडव किया था। देवता उनके सामने नतमस्तक हुए तब जाकर उनका क्रोध शांत हुआ था।

shiv,vishnu and brahma

कालाष्टमी व्रत पर क्या करें

  • इस व्रत पर सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए।
  • अपने व्रत के संकल्प को पूर्ण करें व्रत बीच में ही नहीं छोड़ना है अन्यथा व्रत न करें।
  • किसी गरीब को कोई वस्त्र और कुछ खाना दान करें ऐसा करने से आपको काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
  • यदि आपको भगवान काल भैरव को अधिक प्रसन्न करना है तो संध्या काल में काल भैरव के मंदिर में जाकर सरसों के तेल का एक दिया जलाएं।
  • इस दिन किसी काले कुत्ते को एक चीनी की रोटी बना कर जरूर खिलाएं।
  • काल भैरव को तांत्रिकों का देवता भी कहा जाता है इसलिए उनकी रात के समय भी पूजा करनी चाहिए।

Make roti and feed it to the dog

कालाष्टमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए

  • कालाष्टमी 2023 के दिन तामसिक भोजन और मांसाहारी भोजन और शराब के पास भी नहीं जाना चाहिए। इससे पाप लगता है।
  • ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ऐसी चीजें न इस्तेमाल करें जो नुकीली होती हैं। ऐसा करना मना होता है।
  • अपने से बड़ों लोगों के आदर करना चाहिए और अपने गुरुओं का आदर करें। छोटे बच्चों से प्यार करें।
  • किसी भी जानवर को नहीं छेड़े खासकर की इस दिन काले कुत्ते को छेड़ने से पाप के भागीदारी बनते हैं।
  • ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार किसी भी प्रकार का गुस्सा और लड़ाई- झगड़ा नहीं करना चाहिए इससे व्रत का फल नहीं मिलता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. कालाष्टमी व्रत किस भगवान के लिए रखा जाता है?

कालाष्टमी व्रत भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। भगवान काल भैरव शिव भगवान का ही एक रूप हैं।

2. कालाष्टमी व्रत पर क्या खाया जा सकता है?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कालाष्टमी व्रत पर फल और दूध खाया जा सकता है। इस व्रत में अनाज नहीं खाया जाता है।

3. काल भैरव की पूजा किस समय की जा सकती है?

काल भैरव की पूजा दिन में भी होती है परंतु माना जाता है कि, काल भैरव तांत्रिकों के देवता भी होते हैं इसलिए इनकी पूजा रात को भी करनी चाहिए।

4. क्या इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति का सुख मिल सकता है?

इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।

5. कालाष्टमी व्रत में क्या दान करना चाहिए?

कालाष्टमी व्रत में गरीबों को दान करना चाहिए। आप इस व्रत में वस्त्र, फल और भोजन भी दान कर सकते हैं। आपको लाभ की प्राप्ति होगी।

और पढ़ें-  जानिए शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत का महत्व और लाभ

कालाष्टमी व्रत के बारे और जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।

Get in touch with an Astrologer through Call or Chat, and get accurate predictions.

Yogita Tyagi

About Yogita Tyagi