
योगिनी एकादशी क्या है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष को जो एकादशी पड़ती है उसे योगिनी एकादशी कहते हैं। योगिनी एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के अलावा योगिनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं। सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन व्रत जरूर रखना चाहिए। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और कीर्तन करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी 2022 कब है?
योगिनी एकादशी 2022 की तिथि 24 जून और दिन शुक्रवार को है। योगिनी एकादशी के आरम्भ होने का शुभ समय रात 9 बजकर 40 मिनट है। समाप्त होने का शुभ समय 24 जून को रात 11 बजकर 15 मिनट है।
योगिनी एकादशी का महत्व-
हिन्दू धर्म के अनुसार योगिनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी पापों को दूर करती है और पुण्य फल प्रदान करती है। अगर आप योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं तो आपको 88 लोगों को भोजन करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। योगिनी एकादशी का व्रत जो पूरी विधि पूर्वक करता है उसे अच्छे फल का परिणाम मिलता है। योगिनी एकादशी की व्रत कथा सुनने और पढ़ने से आप पाप मुक्त हो जाते हो।
योगिनी एकादशी व्रत कथा-
योगिनी एकादशी व्रत कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक राजा हुआ करते थे। जिनका नाम राजा कुबेर था। उनके यहां एक माली था जिसका नाम हेम था। माली का कार्य रोज सुबह- सुबह भगवान शिव की पूजा के लिए फूल लाना था। एक दिन पत्नी के साथ घूमते हुए उसे फूल लाने में देर हो गयी थी। जिसके कारण वो देर से फूल लेकर आ पाया। राजा इस बात से क्रोधित होकर उसे श्राप दे दिया। माली को कोढ़ी होने का श्राप दिया था। माली इस श्राप के कष्ट से इधर उधर भटकता रहा। एक दिन उसे मार्कण्डेय ऋषि आश्रम मिला। जहा के ऋषि ने अपने योग के बल से उसके दुख की वजह पता चल गयी। तब ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत रखने को कहा। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से उसका कोढ़ चला गया और श्राप से मुक्ति मिल गयी। इसी कारण योगिनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है।
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