Get App
HindiMythological Stories

जानें गुरु द्रोणाचार्य और एकलव्य के रिश्ते की कटु सत्य कथा।

By July 2, 2022November 23rd, 2023No Comments
Guru Dronacharya

एकलव्य और गुरु द्रोणाचार्य के बारे में-

महाभारत का एक पात्र एकलव्य है। एकलव्य स्वयं सीखी हुई धनुर्विद्या के लिए जाने गए। एकलव्य एक निषाद पुत्र थे। एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखना चाहते थे। द्रोणाचार्य शाही परिवार के गुरु थे। प्राचीन काल में शाही परिवार के गुरु को किसी अन्य व्यक्ति को शिक्षा देने की अनुमति नहीं देती थी।
महाभारत के अनुसार एकलव्य जब द्रोणाचार्य के पास शिक्षा लेने गए। तब गुरु द्रोणाचार्य ने किया एकलव्य को शिक्षा देने से इनकार किया था।

क्यों गुरु द्रोणाचार्य ने किया एकलव्य को शिक्षा देने से इंकार-

आइये जानते हैं। क्यों गुरु द्रोणाचार्य ने किया एकलव्य को शिक्षा देने से इंकार। महाभारत की एक कथा के अनुसार। गुरु द्रोणाचार्य धनुर्विद्या में अर्जुन को संसार में सबसे सर्वेष्ठ बनाना चाहते थे। उन्हें सिर्फ शाही परिवार के सदस्यों को शिक्षा देने की अनुमति थी। इसलिए गुरु द्रोणाचार्य ने किया एकलव्य को शिक्षा देने से इंकार किया था।

एकलव्य और गुरु द्रोणाचार्य की कथा-

गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने से मना कर दिया था। एकलव्य ने अपने मन में द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान लिया था। उसने अपने घर पर द्रोणाचार्य की मूर्ति स्थापित की। रोज मूर्ति के सामने धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। कुछ वर्षों बाद अभ्यास करते करते धनुर्विद्या में निपुण हो गया। एकलव्य इतना निपुण हो गया था। वह अपनी आँखे बंद करके भी निशाना लगा सकता था।
अर्जुन को जब यह पता चला। तब अर्जुन एकलव्य के पास गए। एकलव्य की धनुर्विद्या में निपुणता देखकर अर्जुन ने प्रश्न पूछा। हे तुम्हे धनुर्विद्या की शिक्षा किसने दी। एकलव्य ने उत्तर दिया। मेरे गुरु द्रोणाचार्य हैं। यह सुनकर अर्जुन हैरान हो गए। अर्जुन को लगा कि गुरु द्रोणाचार्य ने उनको धोखा दिया है। क्योंकि एकलव्य को लगा धनुर्विद्या द्रोणाचार्य ने सिखाई है।

गुरु द्रोणाचार्य और एकलव्य की कहानी से प्राप्त शिक्षा-

  • एकलव्य की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है।
  • किसी भी कार्य को लगन से करने से सफलता जरूर मिलती है।
  • इस कथा में गुरु और शिष्य के रिश्ते को दर्शाया गया है।
  • द्रोणाचार्य के मना करने पर भी एकलव्य ने अपने शिष्य होने का फ़र्ज़ अदा किया था।
  • इससे यह ज्ञान मिलता है, हमें अपने फर्ज को बखूबी निभाना चाहिए।

आप इस प्रकार की अधिक जानकारी चाहते हैं तो इंस्टाएस्ट्रो से जुड़े रहे और हमारे लेख जरूर पढ़ें।

और पढ़ें: जानें रावण ने शनिदेव को क्यों बनाया बंदी?

Get in touch with an Astrologer through Call or Chat, and get accurate predictions.

Jaya Verma

About Jaya Verma

I love to write, I participated as co-author in many books, also received prizes at national level for writing article, poetry and I got a letter of appreciation from hirdu foundation. I have 4 year of experience in this field.