Get App
HindiHindu CultureMythological Stories

जाने रावण ने शनिदेव को क्यों बनाया बंदी?

By July 2, 2022November 23rd, 2023No Comments
Ravan And Shani

शनि देव-

हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक शनि देव हैं। उनकी दृष्टि जिस व्यक्ति पर पड़ती है। उस व्यक्ति का बुरा समय प्रारम्भ हो जाता है। शनि देव व्यक्ति के बुरे कामों और पापों का दंड देते हैं। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा की जाती है। शनि देव की दृष्टि से बचना असंभव है। आज हम आपको बताएंगे। शनि देव की कथा। जिसमे रावण ने शनि देव को बंदी बना लिया है। रावण और शनि देव की एक हैरान करने वाली कथा है। कहा जाता है। जब रावण ने शनिदेव को बंदी बनाया था। तब हनुमान जी ने शनिदेव को मुक्त कराया था। इसी कारण शनि देव हनुमान जी के भक्तों को परेशानी नहीं देते हैं।

रावण ने शनिदेव को क्यों बनाया बंदी?

राजा रावण के पुत्र का जन्म होने वाला था। रावण की यह चाहत थी। उसके पुत्र के बराबर कोई सृष्टि में नहीं हो। वह सबसे अधिक शक्तिशाली हो। रावण अत्यधिक बलशाली और विद्वान था। उसने अपने बल से सभी ग्रह को अपने हिसाब से कर लिया था। पर शनि देव रावण के वश में नहीं आ पाए। रावण चाहता था। सभी ग्रह सही स्थिति में हो। जिससे उसके पुत्र के जन्म के समय कोई परेशानी न हो। रावण का पुत्र इंद्रजीत दीर्घायु हो।

रावण ने शनिदेव को किया अपने वश में-

बलशाली रावण ने अपने बल और विद्या से शनि देव को इच्छा अनुसार स्थिति में ला दिया था। जिसके कारण शनि देव बंदी हो गए थे। शास्त्रों में कहा गया है। शनि देव की दृष्टि से बचना असंभव है। रावण के पुत्र इंद्रजीत का जब जन्म होने वाला था। तब शनिदेव ने अपनी दृष्टि को टेढ़ी कर दी थी। जिसके कारण इंद्रजीत की कुंडली में लक्ष्मण जी के हाथों मरने का योग बन गया था।

रावण को तब यह बात पता चली। रावण बेहद क्रोधित हो गया। उसने अपने गदे से शनि देव के पैरों पर प्रहार किया। जिसके कारण शनि ग्रह की चाल धीमी हो गई। इसी वजह से ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी है।
यह कथा थी रावण ने शनि देव को इसलिए बंदी बनाया था।

आप इस प्रकार की अधिक जानकारी चाहते हैं तो इंस्टाएस्ट्रो के साथ जुड़े रहे और हमारे लेख जरूर पढ़ें।

और पढ़ें: जानिये भगवान शिव और पार्वती के विवाह की कथा।

Get in touch with an Astrologer through Call or Chat, and get accurate predictions.

Jaya Verma

About Jaya Verma

I love to write, I participated as co-author in many books, also received prizes at national level for writing article, poetry and I got a letter of appreciation from hirdu foundation. I have 4 year of experience in this field.