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जाने आप धनतेरस में सोने चांदी के बदले इन सामग्रियों को भी खरीद सकते है।

By October 17, 2022October 29th, 2024No Comments
Gold And Silver

धनतेरस बहुत जल्द ही आने वाला है और लोगों ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हर कोई धनतेरस पर कुछ ना कुछ खरीदारी करना चाहता और कोई नई वस्तु लाकर हिंदू धर्म के पुरानी परम्परा को निभाना चाहता है। वैसे तो धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने का, सोने के बर्तन खरीदने की मान्यता है जो बहुत पुराने समय से चलते आ रहा है।इस महंगाई में अगर सोना-चांदी किसी के खरीदने की पहुंच से दूर है तो अन्य धातु या बहुत सी चीजें हैं जो खरीद सकते हैं। जैसे आप तांबे के बर्तन, पीतल के बर्तन, प्लेटिनम, झाड़ू, धनिये का बीज इत्यादि खरीद सकते है। इन बर्तनों को भी खरीदना सोना-चांदी के बराबर ही शुभ माना जाता है।

तांबे के बर्तन-

तांबे के बर्तन में खाना खाना सेहत के लिए अच्छा होता है और तांबे के बर्तन में खाने से वजन घटता है इस बर्तन में खाने से अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द भी दूर हो जाते हैं।

तांबे के बर्तन

पीतल के बर्तन-

पीतल का बर्तन धनतेरस पर खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि पीतल के बर्तनों का प्रयोग पूजा-पाठ में किया जाता है।

पीतल के बर्तन

प्लेटिनम-

यह बहुत शुभ और आकर्षक धातु है जिसकी चमक सूर्य और चंद्रमा को प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए धनतेरस पर इसे खरीदना सोने- चांदी की तरह ही शुभ माना जाता है।

platinum rings

झाड़ू-

झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना शुभ होता है क्योंकि झाड़ू धनतेरस के दिन लाने से घर की कठिनाइयां और आर्थिक संकट दूर हो जाता है।

झाड़ू

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धनिया का बीज-

धनिया को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस पर धनिया खरीदना शुभ माना जाता है। क्योंकि धनिया का बीज अपनी तिजोरी में रखने से धन में बढ़ोतरी होती हैं।

धनिया का बीज

धनतेरस की कहानी-

धनतेरस के दिन शाम में घर और आंगन में दीप जलाया जाता है इसके पीछे एक धनतेरस की कहानी है। इस कहानी के अनुसार बहुत समय पहले एक हेम नामक राजा थे। जिन्हें कोई पुत्र नहीं था तो उन्होंने देव की पूजा-पाठ की तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उस पुत्र के जन्म के बाद जब ज्योतिषियों ने उस बच्चे की कुंडली बनाई तो पता चला कि उस बच्चे की मृत्यु उसके विवाह के ठीक 4 दिन बाद हो जाएगी। यह सुनकर वह राजा बहुत दुखी और परेशान हुआ फिर उन्होंने बहुत सोचने समझने के बाद उस बच्चे को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी भी स्त्री की परछाई उस पर ना पड़े। ऐसे धीरे-धीरे समय बीत गया और वह बच्चा बड़ा हो गया। एक दिन उसने एक स्त्री देखी जिसे देखकर वह राजकुमार मोहित हो गया और धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया और उन दोनों का गंधर्व विवाह हो गया। विवाह के ठीक 4 दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने पहुंचा तो उस वक्त उसकी पत्नी उनसे रो-रोकर विलाप करने लगी उसकी विलाप सुनकर यमदूत का ह्रदय पिघल उठा लेकिन विधि के अनुसार उसको अपना काम करना पड़ा। जब यमदूत यमराज के पास पहुंचा तो यह सारी बातें यमराज से बताएं उसी समय यमराज ने कहा अगर कोई अकाल मृत्यु से बचना चाहता है तो मैं एक तरीका तुम्हें बताता हूं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात्रि में जो भी व्यक्ति मेरे नाम से पूजन करके दक्षिण दिशा में दिया जलाता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसी कारण से धनतेरस के दिन घर और आंगन के दक्षिण दिशा में शाम में दिया जलाया जाता है।

Diya

धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

धनतेरस की कहानी सुनने के बाद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की धनतेरस क्यों मनाया जाता है? कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र का मंथन हुआ था। समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी अमृत की कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को हम धनतेरस के रूप में जानते हैं और उस दिन धनतेरस मनाते हैं। जैन धर्म में धनतेरस को ध्यान तेरस भी कहते हैं क्योंकि भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान के बाद योग विरोध करते हुए दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त किए थे। तभी से वह दिन धनतेरस के नाम से प्रसिद्ध हो गया और उसके बाद से उस दिन से धनतेरस मनाया जाता है।

भगवान धनवंतरी

 

 

धनवंतरी के बारे में-

धनवंतरी हिंदू धर्म में एक देवता है जो एक महान चिकित्सक थे। जिन्हें देव पत्र प्राप्त हुआ था। हिंदू मान्यताओं में विष्णु भगवान के अवतार समझे जाते हैं। शास्त्रों में वर्णन किए हुए कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान यह हाथ में अमृत कलश लेकर कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि को प्रकट हुए थे। संसार में चिकित्सा के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था इनके प्रकट होने के उपलक्ष्य में धनतेरस मनाया जाता है। धनवंतरी को आरोग्य का देवता भी कहते हैं।

भगवान धनवंतरी

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