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Holi 2023: राशियों के अनुसार करें रंगों का प्रयोग मिलेगा लाभ

By February 13, 2023August 31st, 2024No Comments

दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत ही एक ऐसा देश है जहां त्योहारो की संख्या बहुत ज्यादा है। इसलिए भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां हर महीने कोई न कोई उत्सव होता है, इन्ही त्योहारों में से एक है होली का त्योहार। हिंदू धर्मशास्त्रों में होली के त्योहार के महत्व का काफी विस्तार से वर्णन किया गया है। रंगो का त्योहार कहीं जानी वाली होली लोगों के बीच काफी हर्षोउल्लास से मनाई जाती है। इस दिन लोग रंगो के माध्यम से अपने दोस्तों और रिशतेदारों के साथ अपने मन में छुपी भावनाओं को व्यक्त करते है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली होली इस साल 25 मार्च को पड़ रही है।

होली के संबंध में अक्सर लोगों के कुछ प्रश्न रहते है। जैसे होली कब है?, किस दिन पड़ रही है होली?, इस दिन क्या करे और क्या न करें, भारत में  कैसे मनाई जाती है होली? अगर आप भी जानना चाहते है कि 2024 में होली कब है?, होली क्यों मनाई जाती है? और इस बार होली महोत्सव का किस राशि के जातक पर शुभ अशुभ प्रभाव पड़ रहा है। इन सब प्रश्नो के उत्तर जानने के लिए आप इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से परामर्श कर सकते है। जहां आपको( Holi 2024)होली 2024 के बारें में सटीक जानकारी प्राप्त होगी।

जानिए 2024 में होली (Holi) कब है

होली का त्यौहार फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। 2024 में होली का त्यौहार 25 मार्च दिन सोमवार को है। पूर्णिमा तिथि की शुरुवात 24 मार्च को सुबह 12 बजकर 24 मिनट पर होगी और पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 25 मार्च को दोपहर 2 बजकर 59 मिनट पर होगी।

 

बहुत रोचक है होली (Holi) के पीछे की कहानी-

यूं तो भारतीय संस्कृति में कई त्योहारों का वर्णन मिलता हैं, इन्ही त्योहारों में से एक त्योहार है होली है। जो हिंदू धर्म में अपना एक विशेष स्थान रखता हैं। होली के पर्व को भगवान के प्रति आस्था और विश्वास का प्रतीक माना जाता हैं। होली के पीछे की कहानी का रहस्य जानने के लिए आपको भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी को जानना जरूरी है।

यह उस समय की बात है जब धरती पर असुरों का राज हुआ करता था और हिरण्यकश्यप असुरों के राजा थे, लेकिन उनकी पत्नि बहुत ही धार्मिक स्वभाव की थी। zzzzzz हिरण्यकश्यप के घर में एक ऐसे बालक का जन्म हुआ जो हमेशा कृष्ण भक्ति में लगा रहता था। हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल मंजूर नहीं थी कि उनका अपना पुत्र देवताओं का समर्थन करें। कृष्ण भक्ति से अपने पुत्र के मोह को भंग करने के लिए हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को भयंकर यातनाएं देना शुरू कर दी। लेकिन प्रहलाद पर इन यातनाओं का कोई असर नहीं होता था।

इसी के तोड़ के लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा। होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन प्रहलाद फिर से बच गया और होलिका अग्नि में भस्म हो गई। जबकि होलिका को भगवान शंकर से अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका के अग्नि में जलते ही उस दिन को होलिका दहन के नाम से जाना जाने लगा और होलिका दहन उत्सव का आरंभ हुआ। होलिका दहन के अगले दिन नगर वासियों ने रंगो की होली खेली और भक्त प्रहलाद की जयजयकार के नारे लगाएं। उस दिन से होली का त्योहार चलन में आया और हिंदू परंपरा के अनुसार हर घर में होली का पावन त्योहार मनाया जाने लगा।

और पढ़ें: Holika Dahan 2023: जानें होलिका दहन कब है और शुभ मुहूर्त

होली के रंगों का क्या है आपकी राशि से संबंध जाने इन रंंगों का महत्व-

इसे रंगो का त्योहार भी कहा जाता है। आमतौर पर लोगों की यह परेशानी रहती है कि होली के त्योहार पर कौन सा रंग खरीदना शुभ रहेगा?, होली का कौन सा रंग मेरी ग्रह दशा को ठीक करेगा? तो यहां पर इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से जाने कि होली पर कौन से रंग खरीदना और लोगों को लगाना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।

मेष, तुला और वृश्चिक राशि के लिए काफी भाग्यशाली है लाल रंग-

 हिंदू विधि विधान में लाल रंग को काफी शुभ माना जाता है। लाल रंग अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। लाल रंग व्यक्ति को ऊर्जावान बनाता है। हम लोग अक्सर लोगों को लाल रंग का टीका लगाते हुए और लाल रंग के कपडे उपहार में देते देखते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुला, मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। इसलिए इन राशि वालो को किसी भी शुभ कार्य में लाल रंग का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

सिंह, धनु और मीन राशि वालों को खेलनी चाहिए पीले रंग से होली-

 पीले रंग को भगवान का रंग माना जाता। साधु संत पीले रंग का ही ज्यादा प्रयोग करते है। सिंह, मीन और धनु राशि के जातकों का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। इसलिए इन्हें पीले रंग से होली खेलनी चाहिए और अपने परिचितो को पीले रंग की वस्तुएं उपहार में देनी चाहिए।

कर्क और वृषभ राशि के लोगों का जीवन गुलाबी बनाता है गुलाल का रंग-

 गुलाबी रंग प्यार का प्रतिनिधित्व करता है। कर्क और वृष राशि के लोगों को अपने रिश्ते में प्यार बढ़ाने के लिए गुलाबी रंग से होली खेलनी चाहिए। कर्क और वृष राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है इसलिए इस राशि के लिए गुलाल शुभ माना जाता है। 

कन्या और मीन राशि के लिए हरे रंग है बेहद शुभ-

 हरा रंग व्यक्ति को प्रकृति से जोड़ता है। हरा रंग शांति और संपन्नता दोनो का संगम है और यह व्यक्ति के लिए सौभाग्य लेकर आता है। अत: इस दिन कन्या और मीन राशि के लोगों को हरे रंग की होली खेलनी चाहिए  और हरे रंग चीजों का उपयोग करना चाहिए।

कुंभ और मिथुन राशि के जातकों के लिए समृद्धि लेकर आता है नीला रंग-

 नीला रंग शीतलता का कारक माना जाता है। यह जल और आकाश का प्रतिनिधित्व करता है। होली के दिन मकर और कुंभ राशि के जातक अगर नीले रंग से होली खेलते है तो उनके जीवन में धन धान्य की वृद्धि होती है। क्योंकि इस राशि का स्वामी ग्रह शनि है और शनि को नीला रंग बहुत प्रिय हैं। 

यहां जानिए होली क्यों मनाई जाती है-

पौराणिक कथाओं के अनुसार होली मनाने का कारण सिर्फ होलिका दहन की कथा से जोड़कर ही नहीं देखा जाता। बल्कि होली मनाने के कई और कारण भी है जो नीचे निम्नलिखित है

  • सच्चाई, विश्वाश और आस्था का प्रतिनिधित्व करती है।
  • भक्त के विश्वाश की जीत और भक्त का भगवान से रिश्ता जोड़ती है।
  • बुराई की नाशक और अच्छाई की साथी है होली।
  • व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और व्यक्ति के मन में निहित दुर्भावना को दूर करती है।
  • व्यक्ति के जीवन में यश, वैभव और समृद्धि लाती है।

भारत के हर राज्य में होली को अलग-अलग तरीके से मनाने का है चलन:

यूं तो होली का त्योहार लोगों के बीच सारे गिले शिकवे भुलाकर आपस में प्रेम की भावना को जगाने का त्योहार है। भारत के कई ऐसे राज्य भी है जहां दिलचस्प तरीके से होली मनाई जाती है। भारत में होली कैसे मनाई जाती है यह जानने के लिए भारत के कुछ प्रमुख राज्यों की चर्चा नीचे की गई है जो निम्नलिखित है

बहुत मशहूर है ब्रज की लट्ठमार होली-

ब्रज में यह त्योहार पूरे 7 दिनो तक मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण राधा जी के साथ होली खेलने छुपकर बरसाने जाते थे और अपने दोस्तो को भी साथ ले जाते थे। एक दिन राधा जी ने कृष्ण और उनके साथियों को पकड़ लिया और डंड़ो से उनकी धुनाई की। उस दिन से ब्रज में लट्ठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है। आज भी ब्रज में इसी तरह से होली खेली जाती है। जहां पुरूष लट्ठ की मार से बचने के लिए महिलाओं पर रंग डालकर उनको चकमा देते हैं।

कैसे मनती है दक्षिण भारत की होली-

दक्षिण भारत में होली के त्योहार को मुख्यत: कामदेव और देवी रती की कहानी से जोड़कर देखा जाता है। दक्षिण भारत के कुछ ही राज्यों में होली मनाने की परंपरा है। जैसे केरल, तमिलनाड़ु और हैदराबाद।

जाने बंगाल की होली को क्या कहा जाता है-

कोलकता में होली को डोल जत्रा और डोल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कोलकता में भगवान कृष्ण और राधा की शोभा यात्रा निकलती है। कृष्ण की प्रतिमा को फूलो से सजाया जाता है। फिर रंग खेलने का मुहूर्त शुरू होता है।

बहुत अद्भुत है उत्तराखंड की होली-

उत्तराखंड में बैठक और खड़ी दो तरह की होली खेली जाती है। बैठक होली की शुरूआत संगीत, गायन के साथ होती है और खड़ी होली में लोक गीत गाए जाते है। उसके बाद रंगों का कार्यकर्म शुरू होता है और लोग एक दूसरे को रंग लगाते है।

बहुत शाही है उदयपुर की होली-

इस दिन हाथी, घोड़ों को सजाकर उनके बीच रथों की रैली काफी शाही अंदाज से निकाली जाती है। इस होली को देखने के लिए हर जगह से सैलानीयों की भीड़ उमड़ पड़ती है। लोक नृत्य और संगीत का आयोजन उदयपुर की होली में चार चाँद लगाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. भारत में होली के उत्सव की शुरूआत कब से हुई?

भारत में होली का उत्सव चौथी सदीं की ईस्वी से मनाया जाता रहा है।

2. होलिका को और किस नाम से जाना जाता है?

हरदोई या हरिद्रोही नाम से भी होलिका को जाना जाता है।

3. रंगों का त्योहार होली में किन रंगों को प्राथमिकता दी जाती है?

होली के त्योहार में लाल, गुलाबी, हरा, नीला और पीले रंग को प्राथमिकता दी जाती है।

4. किस भगवान की पूजा होली के दिन की जाती है?

भगवान कृष्ण और श्री राधा की पूजा होली पर करना शुभ माना जाता है।

5. हिंदू धर्म में होली मनाने का कारण क्या है?

होली भगवान कृष्ण और भक्त प्रहलाद की कथा का सार है जो अच्छाई का प्रतिनिधित्व करती है।

6. 2024 में होली कब है?

2024 में होली 25 मार्च को पड़ रही है।

और पढ़ें: धनु संक्रांति : जानें महत्व, पूजा विधि और कथा

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