हिन्दू धर्म में श्रीमद् भगवद् गीता-
हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ श्रीमद् भगवद् गीता है। महाभारत में कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को श्रीमद् भगवद् गीता का ही संदेश दिया था। भगवत गीता में कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग को सुंदर रूप से बताया गया है। श्रीमद् भगवद् गीता को गीता उपनिषद के नाम से भी जाना जाता है। गीता में 18 अध्याय हैं। इन 18 अध्यायों में 700 श्लोक हैं। जिसमे से भगवान श्रीकृष्ण ने 554 श्लोक, 85 श्लोक अर्जुन ने और 1 श्लोक धृतराष्ट्र ने और 40 श्लोक संजय जी की सम्मिलित हैं।
महाभारत का संक्षेप वर्णन भगवद् गीता में किया गया है। मानव कभी-कभी अपनी समस्याओं को लेकर अपने लक्ष्य और कर्तव्य से भटक जाता है। उसी प्रकार महाभारत के युद्ध में अर्जुन अपने लक्ष्य से भटक गए थे। युद्ध में आने वाली समस्याओं से भयभीत हो गए थे।इसी तरह मानव भी अपनी जिंदगी में आने वाली समस्याओं से डर कर भटक जाते हैं। श्रीमद् भगवद् गीता एक ऐसा ग्रंथ है। जिसमे कुछ ऐसे उपदेश दिए गए हैं जो हमें जीने की कला सिखाते हैं। हमें एक बेहतर इंसान बनने की तरफ प्रोत्साहित करते हैं।
श्रीमद् भगवद् गीता के प्रमुख सार-
- मनुष्य को किसी भी स्थिति में घबराना नहीं चाहिए और ना ही मनुष्य को अपने कर्तव्य पथ से विचलित होना चाहिए।
- परिवर्तन ही संसार का नियम है यही शाश्वत सत्य है।
- खाली हाथ आए थे और खाली हाथ चले जाओगे। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न ना हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण बनेगी।
- क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है न मरती है।
- जो हुआ वो अच्छा हुआ। जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है। हो होगा वो भी अच्छा होगा। तुम भूतकाल का पश्चाताप मत करो। भविष्य की चिंता मत करो।
- जिसे तुम मृत्यु समझते हो। वही तो जीवन है।
- न यह शरीर तुम्हारा है न तुम शरीर के हो। यह शरीर अग्नि,जल ,वायु ,पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है। इसी में मिल जाएगा।
- जो कुछ भी तू करता है उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से तू सदा जीवन मुक्त का आनंद करेगा।
- जीवन का एकमात्र सत्य मृत्यु है।
- व्यक्ति अपने कर्मों को कभी छोड़ नहीं सकता है।
- मनुष्य की इंद्रियों का नियंत्रण ही कर्म और ज्ञान का निचोड़ है।
- कर्म करो फल की चिंता मत करो।
निष्कर्ष-
श्रीमद् भगवद् गीता के सार हमें यह बताते हैं कि हमें जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करना चाहिए। भविष्य की चिंता न करते हुए आज में जीना चाहिए। श्रीमद् भगवद् गीता का ज्ञान बहुत अनमोल है। हमें श्रीमद् भगवद् गीता को मन से पढ़ना चाहिए। यह हमारा धार्मिक ग्रंथ है। श्रीमद् भगवद् गीता में लिखे हुए उपदेशों का पालन करना चाहिए।