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हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व और ज्योतिष उपाय।

By May 8, 2023December 14th, 2023No Comments
Jyestha Amavasya 2023

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन कई प्रकार की पूजा होती हैं। जैसे इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है और इस दिन शनि देव को भी पूजा जाता है, वहीं दूसरी तरफ महिलाएं इस दिन वट सावित्री का व्रत करती हैं इस व्रत में महिलाएं बरगद के पेड़ को पूजती है, उसके चारों तरफ चक्कर लगा कर अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं और बरगद के पेड़ के नीचे शनिदेव का दिया जलाती हैं। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और सूर्य देव की भी इस दिन विशेष रूप से पूजा की जाती हैं।

ऐसी मान्यता है की इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। इसलिए इस दिन गंगा के किनारे लोग गंगा स्नान करते हैं। इससे व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और यदि किसी की कोई मान्यता है तो वह भी पूरी होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में 12 अमावस्या होती हैं हर महीने कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन अमावस्या कहलाता है। जिसमें ज्येष्ठ अमावस्या को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है और अब हम इस लेख में बताएंगे ज्येष्ठ अमावस्या कब है।

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ज्येष्ठ की अमावस्या कब है?

तिथि 19 मई 2023 शुक्रवार के दिन ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाएगा। वहीं इस व्रत की शुरुआत 18 मई 2023 से ही हो रही है यह व्रत 18 मई 2023 में रात को 9 बजकर 42 मिनट पर शुरू हो रहा है। और यह व्रत अगले दिन 19 मई को रात को 9 बजकर 22 मिनट पर खत्म हो रहा है।

19 May

अब जानते हैं की ज्येष्ठ अमावस्या का मुहूर्त –

19 मई को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक का समय सबसे शुभ माना गया है। इस समय पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी और जीवन में तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे। ज्येष्ठ अमावस्या मुहूर्त में पूजा करने से अधिक लाभ मिलता है।

 ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व

  •  ज्येष्ठ अमावस्या के दिन विशेष रूप से पितृ पिंड दान किया जाता है ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  •  ज्येष्ठ अमावस्या के दिन देवता खुश होते हैं उनकी पूजा करके विशेष आशीर्वाद मिलता है। घर में सुख शांति बनी रहती है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देवता का जन्मदिवस होता है, उनकी पूजा और व्रत करके महिलाएं मनचाहा वरदान मांगती हैं और मान्यता है की उनकी इच्छा पूरी होती है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन विष्णु भगवान और सूर्य देवता की पूजा भी की जाती है। इस दिन उनकी पूजा करने से सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन गंगा घाट पर भारी भीड़ होती है इसके पीछे की मान्यता यह है कि इस दिन लोग भारी मात्रा में गंगा नहाते हैं और अपने सारे कष्टों और परेशानी से मुक्ति पाते हैं।

Jyestha Amavasya Puja

ज्येष्ठ अमावस्या का ज्योतिषी महत्व

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस बार ये दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन शनि देव की जन्म तिथि है।
ज्योतिष शास्त्र कहते हैं कि इस दिन जिन लोगों की राशि में शनि देव विराजमान हैं उनको ये व्रत और शनि देव की पूजा करने से विशेष लाभ होगा।
कुंवारी कन्याएं भी अगर ये व्रत करेंगी तो उनको मन चाहा वर मिलेगा।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन क्या करना से होता शुभ और अशुभ

शुभ

  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन बरगद और पीपल के वृक्ष के नीचे दिया जलाना चाहिए जिससे सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन गरीब लोगों को दान करें इससे शनिदेव की भी कृपा होगी क्योंकि इस दिन शनि जयंती भी है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन गंगा स्नान को वेद शास्त्रों में महत्वपूर्ण बताया है सुबह उठ कर गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पाप खत्म होते हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करना चाहिए, और उनके नाम कोई हवन या पूजा कराना चाहिए इससे पितृ दोष दूर होता है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन महिलाओं को व्रत करने से उनको मनचाहा फल मिलता है और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, उनके पति की लंबी आयु होती है।

Peepal ke Ped Ke Niche Diya Jalana

अशुभ

  • वेद शास्त्रों के अनुसार इस दिन चावल नहीं खाया जाता है।
  • अपने बालों को नहीं काटना चाहिए, इससे दोष लगता है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्यक्ति को मांस और मदिरा और किसी भी तरह के तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
  • ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है, इसलिए इस व्रत में जूठ बोलने से भी बचना चाहिए।

जानिए ज्येष्ठ अमावस्या व्रत विधि

  • इस व्रत में महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अच्छे नए कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करें।
  • कोई 7 तरह के अनाज लाकर उन्हें थोड़े थोड़े एक प्लेट में रखें। साथ ही देवी सावित्री की एक मूर्ति भी रखें।
    किसी वट वृक्ष पर जाए और वहां जाकर एक दीपक जलाएं और एक कलावा लेकर वट वृक्ष के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करते हुए वृक्ष पर कलावा बांध दें।
  • कुमकुम से वृक्ष पर तिलक लगाए और ज्योत करें। उसके बाद एक लोटा जल वट वृक्ष पर चढ़ाएं।
    उसके बाद मंदिर में या घर में ही देवी सावित्री का ध्यान करके ये कथा पढ़े और व्रत को पूरा करें। इस तरह से ज्येष्ठ अमावस्या व्रत विधि पूरी करें।

Crops And Pulses

ज्येष्ठ अमावस्या उपाय

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर करिये ये कुछ ज्योतिष उपाय

  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन काले कुत्ते को रोटी देनी चाहिए इससे विष्णु देव की कृपा अपने भक्तों
    पर बनी रहती है।
  • अपने पितरों की रोटी और खीर बना कर अलग निकल दें और उसको गाय को देने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • चिड़िया और अन्य पक्षियों को दाना और पानी भर कर अपनी छत पर रखें।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रत रखने से विष्णु भगवान की कृपा बनती है।
  • इस दिन विष्णु पुराण और विष्णु कवच के साथ विष्णु मंत्रों का भी जाप करना चाहिए। कम से कम 108 ये जाप करना चाहिए।
  • इस दिन सूर्योदय से पहले पीपल के वृक्ष के तने में जल देना चाहिए, इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। और पितृ दोष खत्म हो जाता है। ये ज्येष्ठ अमावस्या उपाय करने से जीवन के और घर के सारे संकट दूर होते हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या की कथा-

इस व्रत के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है जिसमें से एक सत्यवान सावित्री की कथा हम यहां बताने जा रहे हैं। राजा अश्वपति की एक पुत्री थी जिनका नाम सावित्री था। उनके विवाह के लिए राजा अश्वपति एक योग्य वर ढूंढ रहे थे। उसी दौरान सावित्री ने धुत्मेसन के पुत्र सत्यवान की सत्यता और उनकी वीरता के बारे में सुना और वो उन पर मोहित हो गई। सावित्री ने अपने पिता से कह कर सत्यवान से विवाह करने की इच्छा जताई। लेकिन यह बात जब नारद मुनि को पता लगी तो उन्होंने राजा से कहा कि, “राजन सत्यवान का 1 वर्ष बाद मृत्यु का योग है। नारद मुनि की बात सुनकर राजा विचलित हो उठे और उन्होंने सत्यवती को बहुत समझाया, लेकिन सत्यवती नहीं मानी और उन्होंने सत्यवान से विवाह कर लिया।

विवाह करने के पश्चात सत्यवती ने नारदमुनि से पूछा कि, उनकी पति की मृत्यु होने में कितना समय शेष है।
पति की मृत्यु होने से 3 दिन पहले सावित्री ने व्रत रखना शुरू किया। जिस दिन सत्यवान की मृत्यु होनी थी उस दिन वह लकड़ी काटने के लिए जंगल जाने लगा साथ में सावित्री भी चलने लगी। जब वह जंगल जाकर लकड़ी काटने लगा तो कुल्हाड़ी लगने से उसकी मृत्यु हो गई।

उसके बाद सावित्री ने देखा कि दक्षिण दिशा की ओर दूर से भैंसे की सवारी पर यमराज सवार होकर आ रहे हैं। यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगते हैं, उनके पीछे- पीछे सावित्री भी चलने लगती हैं, यमराज उसके पीछे आने का कारण पूछते हैं तो सावित्री कहती है की “मुझे भी साथ लेकर चलो अब मेरा भी यहां कुछ नहीं है। जिसके बाद यमराज सावित्री को जीवन मरण के बारे में समझाते हैं। और फिर वहां से जानें लगते हैं। सावित्री फिर उनके पीछे जाती है। फिर यमराज उससे कोई एक वरदान मांगने को कहते हैं तो सावित्री कहती है, की उसे संतान प्राप्ति का वरदान चाहिए तो यमराज उसको वहीं वरदान देते हैं। लेकिन बिना पति के ये वरदान संभव नहीं हो सकता। इसलिए मजबूरी में यमराज को सावित्री के पति के प्राण लौटा कर जाना पड़ता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या इस साल 2023 में शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस्या एक ही दिन के आ रहे हैं?

हां इस बार दोनों ही दिन एक साथ पड़ रहे हैं इसका विशेष लाभ होगा।

2. क्या वट सावित्री के व्रत को कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं?

इसे ज्यादातर महिलाएं रखती हैं, और देखा गया है कुंवारी लड़कियां भी ये व्रत अच्छा वर पाने की चाहत में रखती हैं।

3. इस दिन शनिदेव को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है?

इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामना पूरी करते हैं।

4. क्या इस व्रत में ज्येष्ठ अमावस्या की कथा कहना जरुरी होता है?

हाँ इस व्रत में यह कथा पढ़नी आवश्यक होती है। महिलाएं दोपहर के समय वट वृक्ष की पूजा करके अपने घर आकर यह कथा पढ़ती हैं। और अपने व्रत को पूरा करती हैं।

5 . क्या इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्त हो सकते हैं?

हाँ, इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है। इस दिन गंगा के किनारे जाकर लोग पितृ तर्पण करते हैं, और पितरों की पूजा करते हैं। ताकि उनके घर से पितृ दोष खत्म हो जाये।

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