17 दिनों तक चलने वाले गणगौर व्रत का आरंभ होलिका दहन के बाद यानी की बड़ी होली के दिन से ही शुरु हो जाता है। हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं के लिए इस व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है। आमतौर पर सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती है। इसके साथ ही अच्छा पति पाने के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ करती है। उत्तर भारत के कुछ प्रमुख राज्यों जैसे राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में गणगौर व्रत का महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस व्रत के अतुल्य महत्व के बारे में बताया गया है।
ज्योतिष से पूछिए 2023 में गणगौर कब है-
हिंदू पंचांग के अनुसार गणगौर व्रत चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल गणगौर व्रत का शुभारंभ 8 मार्च से शुरु हो चुका है। जो शुक्रवार 24 मार्च 2023 तक चलेगा।
जानिए गणगौर पूजा 2023 तिथि(Gangaur pooja 2023 date) के बारे में-
हिंदू पंचांग के अनुसार गणगौर पूजा शुभ मुहूर्त का आरंभ 23 मार्च को शाम 06 बजकर 20 मिनट पर तृतीय तिथि से हो रहा है। तो वही गणगौर पूजा 2023 तिथि का समापन 24 मार्च को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर है।
जानिए गणगौर पूजा विधि के बारे में-
यदि आप गणगौर पूजा विधि के बारे में सटीक जानकारी चाहते है। तो इंस्टाएस्ट्रो की वेबसाइट पर जाकर आपको गणगौर पूजा इन हिंदी सर्च करना पड़ेगा। जहां आपको गणगौर पूजा विधि की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। आइए जानते है गणगौर पूजा विधि के नियमों के बारे में।
- सबसे पहले गणगौर की मूर्ति का निर्माण करें। फिर इस मूर्ति को घर के किसी स्वच्छ स्थान पर रखे और एक सफेद कागज को मूर्ति के पास रख दें।
- तत्पश्चात अपने माथे पर केसर, कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं।
- हिंदू संस्कृति और ज्योतिष शास्त्र में सुहागन स्त्रियों के लिए हरी घास के किनारों से 8 तिल्लियो बनाने का निर्देश दिया जाता है। तो वह अविवाहित कन्याओं के लिए 16 तिल्लियां बनाने का निर्देश दिया जाता है।
- गणगौर पूजा की समाप्ति तक हरी घास के कुछ अंशों को अपने हाथों में रखे।
- इसके बाद गणगौर की मूर्ति के ललाट पर अपने हाथों से तिलक लगाएं।
- गणगौर मूर्तियों को प्रसाद स्वरूप फलों का भोग लगाएं।
- इस दिन विवाहित स्त्रियों को कागज पर मेहंदी, काजल, केसर और रोली की 8-8 छोटी बिंदियां बनानी चाहिए। तो वह अविवाहित कन्याओं को 16-16 बिंदु बनाने चाहिए।
- जवारे को पानी वाले कलश में डुबोएं और इस जल को गणगौर मूर्तियों के ऊपर छिड़के।
- इस दौरान गणगौर पूजा व्रत की कथा सुने। उसके बाद जवारा के पानी को अपने ऊपर और कथा सुनने आई महिला मित्रों पर छिड़के।
- तत्पश्चात देवी पार्वती और भगवान शंकर की आरती करे।
- देवी पार्वती और भगवान शंकर के मीठे गुने या चुरमे का भोग लगाएं।
- गणगौर पूजा शुभ मुहूर्त को देखकर गणगौर मूर्ति का विसर्जन किसी पवित्र नदी में कर दें।
कथा के माध्यम से जाने क्यों गुप्त रखा जाता है यह व्रत-
एक प्रचलित कथा के अनुसार माता पार्वती, भगवान शिव और नारद जी एक दिन पृथ्वी भ्रमण के लिए निकले। चलते चलते अचानक माता पार्वती को स्नान करने की इच्छा हुई। शिव की आज्ञा लेकर माता पार्वती नदी तट पर स्नान करने चली गई। जहां उन्होने नदी की रेत से भगवान शिव की मूर्ति बनाई और रेत की मिठाई बनाकर ही भगवान शिव को भोग लगाया। भगवान भोलेनाथ माता पार्वती की पूजा से बहुत प्रसन्न हुए। तत्पश्चात वहां भगवान शिव प्रकट हुए और माता पार्वती को वरदान देते हुए कहा। कि आज से जो भी स्त्री इस तरह गुप्त रूप से मेरा व्रत रखेगी। उनके पति को दीर्घायु प्राप्त होगी और उनकी सारी कामनाओं की पूर्ति होगी। तभी से इस व्रत को गणगौर व्रत के नाम से जाना जाने लगा।
गणगौर व्रत का महत्व-
भारतीय संस्कृति में पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ, हरतालिका तीज जैसे बहुत से व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है। लेकिन गणगौर व्रत की खासियत यह है कि यह व्रत करने वाली स्त्रियां अपने पति से इस व्रत को गुप्त रखकर करती है। इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से जानिए गणगौर व्रत करने का महत्व।
दांपत्य जीवन के लिए है लाभकारी-
गणगौर व्रत स्त्री और पुरुष दोनों के लिए ही समान महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है जो नवदंपत्ति इस दिन व्रत रखता है। उसके आगे का वैवाहिक जीवन खुशहाली में बितता है। उस दंपति के जीवन में कभी कोई कलह या झगड़ा नहीं होता।
कुंवारी कन्याओं के लिए भी है बहुत लाभकारी-
कुंवारी कन्याओं के लिए भी इस व्रत का महत्व उतना ही है जितना सुहागन स्त्रियों के लिए है। 16 सोमवार के व्रत की तरह ही अच्छे जीवनसाथी की तलाश में कुंवारी कन्याएं गणगौर का उपवास करती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में भी ऐसा बताया गया है कि जो कन्याएं इस दिन व्रत रखती है। उनका जीवनसाथी भी भगवान शिव की तरह पराक्रमी होता है।
सुहागन स्त्रियों के लिए है सौभाग्य का प्रतीक-
गणगौर का व्रत करना सुहागिन स्त्रियों के लिए अद्भुत लाभ के योग लेकर आता है। जैसे सुहागन स्त्रियों के पति की आयु में वृद्धि होती है। इनका वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है। गणगौर का व्रत करने वाली स्त्रियों पर माता पार्वती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
देता है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो महिलाएं इस व्रत का पालन पूरे विधि विधान के साथ करती है। उनको भविष्य में न केवल अच्छा जीवनसाथी मिलता है। बल्कि यह व्रत उनके बंद भाग्य के द्वार खोलता है। जिससे उन्हें करियर में सफलता मिलती है और परिवार में शांति का वातावरण बना रहता है।
माता पार्वती और भगवान शिव का मिलता है आशीर्वाद-
कहते है कि एक व्रत सौ तपस्या करने के बराबर होता है। यदि वह पूरी निष्ठा से किया जाए तो। गणगौर व्रत करना जातक को ठीक ऐसा ही लाभ देता है। क्योंकि यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ा है। माता पार्वती और भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते है। इसलिए यह व्रत व्यक्ति को उसके भाग्य से ज्यादा देता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. किसका प्रतीक है गणगौर?
2. गणगौर पर कौन से मिष्ठानों को बनाने की परंपरा है?
3. गणगौर की एक मुख्य उद्यापन विधि के बारे में बताइए?
4. गणगौर का अर्थ बताइए?
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गणगौर व्रत के ऐसे ही और रोचक किस्से और अनसुने पहलुओं को जानने के लिए आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।