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गण्डमूल नक्षत्र 2025: कब लगेगा, कौन से नक्षत्र होंगे प्रभावित?

By May 16, 2025May 23rd, 2025No Comments
Gandmool Nakshatra

ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों में से अश्विनी, आश्लेषा, मघा, जेष्ठा, मूल और रेवती को मिलाकर गण्डमूल नक्षत्र बनते हैं। मान्यता है कि इनमें जन्मे बच्चे परिवार को कष्ट दे सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह अशुभ हों, ऐसा नहीं है।

गण्डमूल क्षत्र 2025 (Gandmool Nakshatra 2025) के मुताबिक, इनका असर शुभ और अशुभ दोनों हो सकता है। उचित उपायों से इन नक्षत्रों के प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है। हालांकि नीचे हिन्दी में गंडमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra in Hindi) के बारे में और ज्यादा जानकारी दी गई है।

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क्यों होता है गण्डमूल नक्षत्र ?

क्या आप जानते हैं गंडमूल नक्षत्र क्या है और ये क्यों होता है? चलिए जानते हैं। जब किसी राशि का अंत और नक्षत्र का आरंभ एक साथ होता है, तब गण्डमूल नक्षत्र बनते हैं। जैसे कर्क के अंत और अश्लेषा की समाप्ति से अश्लेषा गण्ड, सिंह और मघा के मिलने से मघा मूल, वहीं वृश्चिक और ज्येष्ठा के अंत तथा धनु और मूल के आरंभ से ज्येष्ठा गण्ड व मूल मूल संज्ञक नक्षत्र का निर्माण होता है।

गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव

  • गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे खुद के साथ पूरे परिवार के लिए संकट का कारण बन सकते हैं। 
  • ऐसे लोगों को जीवनभर स्वास्थ्य समस्याओं और भाग्यहीनता का सामना करना पड़ता है। 
  • उनके माता-पिता और भाई-बहनों की जिंदगी में भी बाधाएं आती हैं।
  • दुर्घटनाओं का भय बना रहता है। 
  • ऐसे लोगों के परिवार में दरिद्रता आती है ।
  • ऐसे लोगों को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है।

गण्डमूल नक्षत्र के उपचार

  • गंडमूल नक्षत्र जैसे अश्विनी, मूल और मघा में जन्मे बच्चों की शांति पूजा जन्म के 27वें दिन की जाती है।
  •  तब तक पिता को उनका चेहरा नहीं देखना चाहिए। 
  • मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की नियमित पूजा और बुधवार या गुरुवार को भूरे कपड़े दान करने से अशुभ प्रभाव कम होता है।
  • अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती में जन्मे बच्चों के लिए शांति पूजा 37वें, 10वें या 19वें दिन की जाती है। 
  • साथ ही हरी सब्जियां, आंवला, पन्ना और भूरे बर्तन का दान शुभ माना गया है। 
  • अगर संभव न हो, तो चंद्र की वापसी पर यह पूजा की जा सकती है।

गण्डमूल नक्षत्र दोषकारी क्यों होता है ?

हिंदू ज्योतिष में गंडमूल नक्षत्र 2025 (Gandmool Nakshatra 2025), लग्न और राशि के संधि को बहुत अशुभ माना जाता है। ये नक्षत्र मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशियों की शुरुआत व अंत में आते हैं। 

 काल पुरुष चक्र के अनुसार, इन राशियों के प्रभाव शरीर, मन, बुद्धि और आयु पर होता है। गंडमूल नक्षत्रों के देवता भी कष्टकारी माने जाते हैं, जिससे जीवन में संघर्ष और बाधाएं बढ़ सकती हैं। आगे जानेंगे कि हिन्दी में गंडमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra in Hindi) के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

गण्डमूल नक्षत्र में क्या करें क्या नहीं 

गण्डमूल नक्षत्र 2025 के अनुसार इस दौरान कुछ खास बातों का जरूर ध्यान देना चाहिए। जो कि नीचे दिए गए हैं।

  • क्या करें-
  1. गंडमूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे के जन्म के 27वें दिन गंडमूल शांति पूजा करवानी चाहिए, जिससे अशुभ प्रभाव कम हो सके।
  2. गण्डमूल में जन्मे बच्चे के जन्म के 27 दिन तक पिता को बच्चे का चेहरा नहीं देखना चाहिए।
  3. जब तक बच्चे की उम्र 8 साल न हो जाए।
  4. उसके माता-पिता को ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
  • क्या न करें
  1. 27 दिन से पहले पिता को बच्चे का चेहरा न दिखाएं। 
  2. गण्डमूल नक्षत्र में अशुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
  3. धन के किसी भी तरह के नुकसान होने से बचना चाहिए।

 गण्डमूल नक्षत्र 2025 की तिथियां कब है?

गण्डमूल नक्षत्र 2025 के दौरान विवाह, नामकरण या किसी भी तरह का शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। क्योंकि यह समय शुभ कार्यों के लिए सही नहीं माना जाता है। आइए नीचे जनवरी से दिसंबर तक पड़ रहे गण्डमूल नक्षत्र कब है और उसकी तरीख क्या है नीचे देखें।

1.  जनवरी 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • जनवरी 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र चार बार लगेगा। 
  •  पहली बार यह 30 दिसंबर 2024 को सुबह 09:11 बजे शुरू होकर 1 जनवरी 2025 को सुबह 03:06 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरी बार 7 जनवरी को शाम 04:01 बजे शुरू होकर 9 जनवरी को शाम 07:28 बजे तक चलेगा। 
  • तीसरी बार यह 17 जनवरी को दोपहर 03:21 बजे से 19 जनवरी को शाम 07:31 बजे तक रहेगा। 
  • चौथी बार 26 जनवरी को शाम 06:53 बजे शुरू होकर 28 जनवरी को दोपहर 01:53 बजे तक प्रभावी रहेगा।

2. फरवरी 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • फरवरी 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र तीन चरणों में रहेगा।
  •  पहला चरण 4 फरवरी को रात 12:30 बजे शुरू होकर 6 फरवरी को रात 02:43 बजे तक चलेगा। 
  • दूसरा चरण 13 फरवरी की रात 09:44 बजे से 16 फरवरी की रात 01:25 बजे तक रहेगा।
  •  तीसरा चरण 23 फरवरी को रात 01:59 बजे शुरू होकर 24 फरवरी को रात 10:26 बजे समाप्त होगा। 
  • इन तिथियों में शुभ कार्यों से परहेज करना उचित रहेगा।

3. मार्च 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • मार्च 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र तीन बार प्रभावी रहेगा।
  • पहला चरण 3 मार्च को सुबह 10:11 बजे शुरू होकर 5 मार्च को सुबह 11:20 बजे तक चलेगा। 
  • दूसरा चरण 13 मार्च को सुबह 05:06 बजे से 15 मार्च को सुबह 08:32 बजे तक रहेगा।
  • तीसरा चरण 22 मार्च को सुबह 07:28 बजे से 24 मार्च को सुबह 04:38 बजे तक प्रभावी रहेगा।
  • इन तिथियों में शुभ कार्यों से बचना चाहिए।

4. अप्रैल 2025 गण्डमूल नक्षत्र

  • अप्रैल 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र चार बार लगेगा।
  •  पहला नक्षत्र 30 मार्च को शाम 07:33 बजे शुरू होकर 1 अप्रैल को रात 08:23 बजे तक रहेगा।
  • दूसरा चरण 9 अप्रैल को दोपहर 01:15 बजे से 11 अप्रैल को शाम 04:53 बजे तक प्रभावी रहेगा। 
  • तीसरा नक्षत्र 18 अप्रैल को दोपहर 01:18 बजे शुरू होकर 20 अप्रैल को सुबह 10:01 बजे तक चलेगा। 
  • चौथा चरण 27 अप्रैल को रात 03:26 बजे शुरू होकर 29 अप्रैल को सुबह 04:43 बजे तक रहेगा। 
  • इन तिथियों में कोई भी शुभ कार्य, विवाह, गृह प्रवेश या नामकरण संस्कार करने से बचना चाहिए।

5. मई 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • मई 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र तीन बार पड़ रहा है।
  • पहली बार 6 मई, सोमवार रात 9:27 बजे से 9 मई, गुरुवार रात 1:43 बजे तक रहेगा।
  • दूसरी बार 15 मई, बुधवार रात 9:02 बजे से 17 मई, शुक्रवार शाम 4:33 बजे तक रहेगा।
  • तीसरी बार 24 मई, शुक्रवार सुबह 9:39 बजे से 26 मई, रविवार सुबह 11:39 बजे तक गण्ड मूल प्रभावी रहेगा।

6. जून 2025 गण्डमूल नक्षत्र

  • जून 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र का योग चार बार बन रहा है।
  • पहली बार यह 3 जून सुबह 4:57 बजे से 5 जून सुबह 9:58 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरी बार 12 जून सुबह 6:50 बजे से 14 जून रात 1:18 बजे तक रहेगा। 
  • तीसरा योग 20 जून दोपहर 3:08 बजे से 22 जून शाम 5:26 बजे तक है। 
  • अंतिम बार यह 30 जून सुबह 11:30 बजे से 2 जुलाई शाम 4:57 बजे तक रहेगा।

7. जुलाई 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • जुलाई 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र का योग तीन बार पड़ रहा है। 
  • पहली बार यह 9 जुलाई मंगलवार शाम 5:32 बजे से 11 जुलाई गुरुवार सुबह 11:54 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरी बार 17 जुलाई बुधवार रात 9:28 बजे से 19 जुलाई शुक्रवार रात 11:11 बजे तक रहेगा। 
  • तीसरी बार यह 27 जुलाई शनिवार शाम 5:29 बजे से 29 जुलाई सोमवार रात 10:53 बजे तक प्रभावी रहेगा।

 8. अगस्त 2025 गण्डमूल नक्षत्र

  • अगस्त 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र तीन बार लगेगा। 
  • पहली बार यह 6 अगस्त, मंगलवार को सुबह 03:18 बजे से 7 अगस्त, बुधवार रात 10:43 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरी बार 14 अगस्त, बुधवार को सुबह 05:51 बजे शुरू होकर 16 अगस्त, शुक्रवार सुबह 06:14 बजे तक चलेगा।
  •  तीसरी बार यह 23 अगस्त, शुक्रवार रात 11:42 बजे से 26 अगस्त, सोमवार सुबह 04:46 बजे तक रहेगा।

9. सितंबर 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • सितंबर 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र चार बार पड़ेगा।
  •  पहला नक्षत्र 2 सितंबर, सोमवार को सुबह 10:47 बजे से 4 सितंबर, बुधवार सुबह 07:47 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरा 10 सितंबर, मंगलवार शाम 04:05 बजे से 12 सितंबर, गुरुवार दोपहर 03:12 बजे तक चलेगा। 
  • तीसरा 20 सितंबर, शुक्रवार सुबह 06:48 बजे से 22 सितंबर, रविवार सुबह 11:43 बजे तक होगा। 
  • चौथा और अंतिम गण्ड मूल 29 सितंबर, रविवार शाम 04:21 बजे से 1 अक्टूबर, मंगलवार दोपहर 02:16 बजे तक रहेगा। 
  • इन दिनों में शुभ कार्यों से परहेज की सलाह दी जाती है।

10. अक्टूबर 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • अक्टूबर 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र तीन बार लगेगा। 
  • पहली बार यह 8 अक्टूबर, मंगलवार रात 02:29 बजे से 10 अक्टूबर, गुरुवार रात 01:14 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरी बार 17 अक्टूबर, गुरुवार दोपहर 02:49 बजे से 19 अक्टूबर, शनिवार शाम 07:59 बजे तक होगा। 
  • तीसरी बार यह 26 अक्टूबर, शनिवार रात 10:13 बजे से 28 अक्टूबर, सोमवार शाम 07:38 बजे तक चलेगा।
  •  इन तिथियों में शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।

11. नवंबर 2025 गण्डमूल नक्षत्र 

  • नवंबर 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र तीन बार लगेगा।
  • पहला नक्षत्र 4 नवंबर, सोमवार सुबह 11:05 बजे से 6 नवंबर, बुधवार सुबह 10:31 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरा 13 नवंबर, बुधवार रात 11:07 बजे शुरू होकर 16 नवंबर, शनिवार सुबह 04:46 बजे तक चलेगा। 
  • तीसरा नक्षत्र 23 नवंबर, शनिवार सुबह 06:23 बजे से 25 नवंबर, सोमवार रात 02:27 बजे तक रहेगा। 
  • इन तिथियों में शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।

12. दिसंबर 2025 गण्डमूल नक्षत्र

  • दिसंबर 2025 में गण्ड मूल नक्षत्र चार बार लगेगा।
  •  पहला नक्षत्र 1 दिसंबर, रविवार शाम 05:19 बजे से 3 दिसंबर, मंगलवार शाम 05:45 बजे तक रहेगा। 
  • दूसरा 11 दिसंबर, बुधवार सुबह 06:56 बजे से 13 दिसंबर, शुक्रवार दोपहर 12:57 बजे तक चलेगा। 
  • तीसरा 20 दिसंबर, शुक्रवार शाम 04:42 बजे से 22 दिसंबर, रविवार सुबह 11:55 बजे तक रहेगा। 
  • चौथा और अंतिम नक्षत्र 28 दिसंबर, शनिवार रात 10:42 बजे से 30 दिसंबर, सोमवार रात 11:20 बजे तक प्रभावी रहेगा। 
  • इन दिनों में शुभ कार्यों से बचना उचित माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. गण्डमूल में पैदा हुए बच्चे कैसे होते हैं?

गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों में थोड़ी उग्रता देखने को मिलती है।

2. गण्डमूल में जन्मे बच्चे के लिए क्या उपाय करने चाहिए?

यदि चंद्रमा बुध नक्षत्र में हो तो बुध और चंद्रमा के मंत्र का जाप करें। चंद्रमा का मंत्र है श्री सोमाय नमः जिसका 108 बार जाप करना है, और बुध का मंत्र ओम श्री बुधाय नमः और ॐ बम बुधाय नमः का 108 बार जाप करना है।

3. गण्डमूल पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?

गंडमूल पूजा सामग्री में शहद, इत्र, गंगाजल, गुलाब जल, और अलग-अलग रंग के अबीर-गुलाल शामिल हैं। इसके अलावा, बुक्का (अभ्रक) और 27 गांवों के कंकड़, 27 कुओं से पानी, 27 पेड़ों की पत्तियां और छाल भी शामिल हो सकते हैं।

4. कौन से नक्षत्र अशुभ माने जाते हैं?

ज्योतिष में, अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, और रेवती नक्षत्रों को अशुभ या गंडमूल नक्षत्र माना जाता है।

5. सबसे भाग्यशाली नक्षत्र कौन सा होता है?

सभी नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है।

6. गण्डमूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं?

इन 27 नक्षत्रों में से जब चंद्रमा का गोचरीय संरक्षण छः नक्षत्रों अश्विनी ,अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल तथा रेवती नक्षत्र पर होता है तब इन नक्षत्रों को गंड मूल कहा जाता है।

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Pratibha Pathak

About Pratibha Pathak

इंस्टाएस्ट्रो में हिन्दी कंटेट राइटर। पत्रकारिता में अमरउजाला से सफर की शुरूआत की। यहां से कारवां बढ़ता हुआ पंजाब केसरी, इंडिया न्यूज से होते हुए इंस्टाएस्ट्रो में पहुंची। लगातार कुछ बेहतर और अलग करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सिखने की कोशिश। एस्ट्रोलॉजी, राजनीतिक और सॉफ्ट खबरों में रूचि।