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दुर्गा अष्टमी 2022: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन के विशेष उपाय।

By September 12, 2022December 1st, 2023No Comments
durga Ashtmi

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दुर्गा अष्टमी को शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन धूमधाम से माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। यह दुर्गा पूजा के आठवें दिन पड़ती है। इसलिए इसे दुर्गा अष्टमी या दुर्गा पूजा अष्टमी भी कहते हैं। इसे मुख्य रूप से महा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक माह अष्टमी आती है उसे मासिक दुर्गाष्टमी के नाम से जानते हैं। यह दिन देवी दुर्गा का माना जाता है।
हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा को सबसे अधिक शक्तिशाली देवी माना गया है। उन्होंने राक्षस महिषासुर का वध किया था। दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जातक की परेशानियों का अंत होता है। इस दिन कुमारी पूजा और संधि पूजा का विशेष महत्व होता है।

Durga maa statue

दुर्गा महा अष्टमी 2022 की तिथि और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2022 में दुर्गा पूजा अष्टमी 3 अक्टूबर को दिन बुधवार को है। दुर्गा महाष्टमी आरम्भ होने का शुभ मुहूर्त 2 अक्टूबर 2022 को शाम 6 बजकर 50 मिनट है। दुर्गा पूजा अष्टमी समाप्त होने का समय 3 अक्टूबर को 4 बजकर 40 मिनट है।

दुर्गा महा अष्टमी क्यों मनाते हैं?

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार माना जाता है। इस दिन दुर्गा जी माता काली के रूप में प्रकट हुई थी और महिषासुर का अंत किया था। प्रातः काल सुबह माँ दुर्गा का पूजन किया जाता है। कहा जाता है इस दिन यह बुरे लोगों का संहार करती है। धरती से पापी लोगों को ख़त्म करती हैं। इसलिए दुर्गा महा अष्टमी को धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए नवरात्रि में अष्टमी का महत्व होता है।

Maa Kali

 

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महा अष्टमी में कुमारी पूजा का महत्व-

इस दिन विशेषकर कुमारी पूजा को महत्व दिया जाता है। कुमारी पूजा में छोटी बच्चियां और अविवाहित कन्याओं की देवी की तरह पूजा की जाती है। इन कन्याओं का मां दुर्गा की तरह सजाया जाता है और पूजा करते हैं। कुमारी पूजा को कई नामों से जाना जाता है कुमारिका पूजा और कन्या पूजा। इसमें नौ कन्याओं का उपस्थित होना आवश्यक होता है। यह मां दुर्गा का नौ अवतार मानते हैं।

देवी दुर्गा के नौ रूप-

  1. कुमारिका
  2. त्रिमूर्ति
  3. कल्याणी
  4. रोहिणी
  5. काली
  6. चंडिका
  7. शांभवी
  8. दुर्गा
  9. भद्रा

kanya puja ritual

महा अष्टमी में संधि पूजा का महत्व-

इस दिन संधि पूजा अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। यह संधि पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन मनाई जाती है। अष्टमी के अंत होने के 24 मिनट का समय और नवमी के आरम्भ होने के 24 मिनट को संधि कहा जाता है। यह समय दुर्गा पूजा के लिए अत्यधिक शुभ होता है। माना जाता है इस समय मां दुर्गा ने चंड और मुंड का वध किया था।

मान्यता के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा को पशु की बलि चढ़ाई जाती है। परन्तु पशु की बलि देना कानूनन अपराध है। पशु हिंसा को रोकने के लिए बलि देना अनुचित है। इसलिए मां दुर्गा को केला और कद्दू आदि अर्पित किया जाता है। इस दिन संधि काल के दौरान 108 दिए जलाने की परंपरा है।

goddess durga killing Mahishasur

दुर्गाष्टमी के दिन उपाय-

जैसे की पहले लेख में बताया जा चुका है। दुर्गाष्टमी को महा अष्टमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।

शनि का प्रभाव को कम करने के लिए पूजा-

  • अगर आपकी कुंडली में शनि का प्रभाव है।
  • अष्टमी और नवमी को शनि का प्रभाव सबसे अत्यधिक होता है।
  • इस दिन हमें शनि के प्रभाव से बचना चाहिए।
  • इसलिए विशेषकर मां दुर्गा की पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • देवी दुर्गा शनि के प्रभाव को कम करती हैं।
  • कुंडली से शनि प्रभाव या कुंडली में शनि का स्थान जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से अवश्य संपर्क करें।

पीपल के पत्ते का उपयोग-

  • महा अष्टमी के दिन 11 पीपल के पत्तों को लेकर उसमे श्री राम लिखना चाहिए।
  • इस पश्चात इन पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी को पहनाना चाहिए।
  • इससे जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।

संधि पूजन-

  • इस दिन मां दुर्गा को कद्दू हुए केला आदि चढ़ाया जाता है।
  • इससे मां दुर्गा के साथ माता सिद्धिदात्री भी खुश होती हैं।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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