ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि का देवता माना गया है। इसके अलावा बुध ग्रह को तर्क क्षमता और कौशल संचार प्रदान करने वाला ग्रह भी कहा जाता है। अतः: किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए व्यक्ति में इन तीनों चीजों का मेल होना आवश्यक है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस साल बुध ग्रह कर्क राशि में वक्री होने जा रहे है। जो कई राशियों के लिए भाग्य का द्वार खोलेंगे। तो कुछ राशियों के लिए दुर्भाग्य भी लेकर आ रहे है। इसके साथ ही व्यक्ति की जन्म कुंडली में बुध के वक्री होने से व्यक्ति की कुंडली के 12 घरों में शुभ अशुभ योग का निर्माण भी हो रहा है।
इस साल कर्क राशि में बुध वक्री होने जा रहे है-
8 जुलाई बुधवार को बुध कर्क राशि में वक्री होंगे। जो कर्क राशि के व्यक्तियों के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है। जिससे कर्क राशि वालों को व्यापार में लाभ होगा और अवसर के नए मौके मिलेंगे।
ज्योतिष की भाषा में जानिए बुध वक्री क्या है-
जब ग्रह व्यक्ति की राशियों में गोचर करते है। तो उस अवस्था को ग्रहों का गोचर या राशि परिवर्तन भी कहा जाता है। अत: इन 9 ग्रहों का गोचर व्यक्ति की कुंडली में दो अवस्थाओं में होता है। एक विपरीत अवस्था में और दूसरा सीधी अवस्था में। अपनी गति से विपरीत दिशा में गोचर करने वाले ग्रह को वक्री कहा जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ अपनी गति से सीधी अवस्था चलने वाले ग्रह को मार्गी कहा जाता है। इस साल की जुलाई माह में कर्क राशि में बुध वक्री होंगे।
जाने क्या बताती है बुध वक्री तिथियां-
बुध वक्री तिथियां वह तिथियां जो साल के 12 महीनों में 12 राशियों में अलग अलग अवस्था में विराजमान होने की तारीख को दर्शाती है। नीचे बुध वक्री तिथियों का स्पष्टीकरण दिया गया है।
-बुध की वक्री चाल का आरंभ साल 2022 से ही हो गया था। जिसकी समाप्ति इस साल के पहले महीने यानी 18 जनवरी को 9 बजकर 15 मिनट पर हुई थी।
– तो वहीं 21 अप्रैल 2023 को ठीक 9 बजकर 15 मिनट पर बुध पुन: मेष राशि में वक्री हुए थे।
-24 अगस्त 2023 को रात्रि के 12 बजकर 15 मिनट पर बुध सिंह राशि में वक्री होने जा रहे है।
-प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार बुध का यह आरंभ काल 13 दिसंबर 2023 को 9 बजकर 15 मिनट तक धनु राशि में रहेगा।
ज्योतिषी से जाने कि बुध वक्री कब समाप्त होने वाला है-
प्राय: ज्योतिषियों में इस बात पर मतभेद देखने को मिलता है कि बुध वक्री कब समाप्त होगा। लेकिन यहां बुध वक्री के समाप्त होने की कुछ तिथियां दी गई है। एक बार नजर डालते है इन तिथियों पर।
-जनवरी 18 के बाद 15 मई को मेष राशि में बुध का समाप्ति काल कहा जा रहा है।
-ठीक ऐसे ही अगस्त 24 को बुध वक्री का आरंभ काल शुरू हो रहा है। जो 16 सितंबर शनिवार की रात को सिंह राशि में समाप्त होगा।
-हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र में दक्षता हासिल कर चुके ज्योतिषियों का मानना है। कि 2 जनवरी 2024 का वृश्चिक राशि में बुध का समाप्ति काल होगा।
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क्या होता है बुध वक्री प्रभाव और यह क्या बताता है-
जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता है बुध ग्रह को बुद्धि, संचार कौशल आदि का प्रतीक माना गया है। बुध वक्री प्रभाव बताता है। कि किसी व्यक्ति के जीवन में बुध ग्रह की दशा का क्या प्रभाव रहने वाला है। जिसे अक्सर व्यक्ति के जीवन के शुभ और अशुभ समाचारों से जोड़कर देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी बुध वक्री के प्रभाव से प्रभावित होने वाली अच्छी और बुरी चीजों के बारे में बताया है।
बुध वक्री प्रभावित करता है इन चीजों को-
बुध वक्री से प्रभावित होने वाले कारको की जानकारी नीचे दी गई है।
अच्छे प्रभाव-
यदि कुंडली में शुभ स्थिति में हो बुध-
वैदिक ज्योतिष के अनुसार अगर व्यक्ति की कुंडली में बुध वक्री की शुभ स्थिति है। तो यह व्यक्ति के लिए समृद्धि और धन धान्य के रास्ते खोलता है।
बुध वक्री प्रभावित करता है व्यक्ति की रचनात्मक कला-
यह तो सभी जानते है कि बुध को बुद्धि, वाणी कौशल का देवता माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यदि बुद्ध की वक्री चाल आपकी कुंडली के अधिकतर घरों में अच्छी हो। तो यह व्यक्ति की रचनात्मक कौशल निखारने का काम भी करता है।
बढ़ाता है ज्ञान-
बुध का वक्री स्वरूप व्यक्ति की ज्ञान क्षमता में वृद्धि करता है। क्योंकि हमारे धर्म शास्त्रों में इस ग्रह को बुद्धि का कारक माना गया है।
करता है हिचकिचाहट खत्म-
बुध का वक्री होने व्यक्ति के मन से हिचकिचाहट को खत्म करता है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति खुलकर अपनी बात कह पाता है और जीवन के पथ पर आगे बढ़ता है।
बुरे प्रभाव-
व्यक्ति रहता है व्याकुल-
बुध का वक्री स्वरूप अगर व्यक्ति की कुंडली में बुरी अवस्था में हो। तो व्यक्ति किसी न किसी बात को लेकर हमेशा व्याकुल रहता है। उसके मन में हमेशा संशय की स्थिति बनी रहती है।
धन धान्य की होती है हानि-
बुद्ध वक्री के बुरे प्रभाव में एक अन्य प्रभाव यह भी है। कि यह व्यक्ति की धन धान्य में हानि को दर्शाता है। क्योंकि बुध को बुद्धि का कारक कहा गया है और बिना बुद्धि के मनुष्य के पास कुछ नहीं टिकता।
व्यक्ति के मन में उत्पन्न करता है नकारात्मक भाव-
वक्री बुद्ध व्यक्ति की रचनात्मकता को उससे दूर कर देता है। जिस कारण मनुष्य के मन में कुछ न कर पाने जैसी नकारात्मक बाते उत्पन्न होने लगती है।
दर्शाता है निर्णय लेने की अक्षमता-
बुद्ध वक्री के बुरे प्रभाव के कारण व्यक्ति कोई भी निर्णय लेने में स्वयं को अक्षम्य महसूस करता है। जिस कारण उसे पूरे जीवन तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
जन्म कुंडली में बुध के वक्री होने का क्या है मतलब-
जातक की जन्म कुंडली में बुध वक्री दो अवस्थाओं का वर्णन करता है। यदि जन्म कुंडली में बुध वक्री अच्छी अवस्था में हो तो यह अच्छा फल देता है। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति को घर, कारोबार, नौकरी अन्य चीजों में बस सफलता ही मिलती है। यदि जन्म कुंडली में बुध वक्री बुरी अवस्था में हो तो यह बुरा फल देता है। जैसे व्यक्ति को अचानक धन हानि होना, दांपत्य जीवन में कलह का सामना करना, व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से कमजोर पड़ना आदि।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. बुध के अशुभ प्रभाव के बारे में बताइए?
2. कौन सी राशि में बुध उच्च स्थिति में होता है?
3. में कैसे पता करूँ कि मेरा बुध कमजोर है?
4. कौन सा भाव बुध के लिए शुभ माना जाता है?
5. बुध वक्री क्या है?
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