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Bohag Bihu 2023: जानें असम के मुख्य पर्व की सम्पूर्ण जानकारी।

By April 13, 2023December 6th, 2023No Comments

बोहाग बिहू,भारत के असम राज्य का एक प्रसिद्ध त्योहार है। जिसे असम के लोग बड़े ही हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। बोहाग बिहू अप्रैल माह के मध्य मनाया जाता है। इसे असम के नववर्ष का आरंभ भी कहा जाता है। तथा अन्य जगहों पे भी इसे अलग-अलग नामों से मानते हैं। और इसे सप्ताह के सात दिन मनाया जाता है। इन दिनों अच्छे-अच्छे पकवान बनतें हैं और बड़े ही धूम-धाम से यह त्योहार मनाया जाता हैं। बोहाग बिहू, फसलों की कटाई के समय मनाया जाता है। यह त्योहार फसल की कटाई का प्रतिक होता है। प्रथा है कि सुबह से ही लोग इस त्योहार की तैयारियों में जुट जाते हैं और गाय को प्रसाद खिलाने हेतु लौकी और बैंगन की सब्जियों को सजाते हैं। गाय के लिए नयीं रस्सी व अन्य पूजा में प्रयोग होने वाले सामग्री को तैयार करते हैं।

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बोहाग बिहू कब मनाते हैं ?

बिहू का त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है। पहला जनवरी माह में मनाया जाता है जिसे भोगाली बिहू हैं। दूसरा अप्रैल माह में मनाया जाता है जिसे बोहाग बिहू कहते हैं। और तीसरा अक्टूबर माह में मनाया जाता है जिसे रोंगाली बिहू कहते हैं। इस त्योहार को उत्तर भारत के भिन्न-भिन्न जगहों में दूसरे नामों से मानतें हैं। इस त्योहार को अप्रैल माह के तीन दिन, बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है जिनके तिथि अक्सर 14 से 16 अप्रैल तक होता है। पर्व के तीन दिनों को गोरू बिहू, मनुरोह बिहू और जम्बोरी बिहू के नाम से जानते हैं।

बोहाग बिहू 2023 कब है?

इस वर्ष का बोहाग बिहू का त्योहार 14 अप्रैल से 16 अप्रैल तक मनाया जाएगा। हालांकि बोहाग बिहू का त्योहार पूरे सप्ताह भर होता है पर मुख्य तीन दिन ही होते हैं।

बोहाग बिहू को कैसे मनाया जाता है?

नए वर्ष की शुरुआत होते ही बिहू के उत्सव की तैयारियां शुरू हो जातीं है और त्योहार चैत्र के महीनें से शुरू हो जाता है और साथ ही किसान, फसलों की कटाई भी उसी दिन शुरू कर देतें हैं। पूजा के पहले गाय को अच्छे से कच्चे उड़द और कच्चे हल्दी का लेप लगा कर नहलातें हैं। स्वयं भी कच्चे उड़द और कच्चे हल्दी के लेप से नहातें हैं व खुद को शुद्ध और पवित्र करते हैं। और अब बिहू के पर्व के दिन की शुरुआत गाय की पूजा करके करते हैं और मान्यताओं की मानें तो पूजा के बाद से शुभ मुहूर्त शुरू हो जाता है। और इस दिन से ही शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो जातें हैं। लोगों में इस मुहूर्त की बड़ी मान्यता होती है।

बोहाग बिहू का उत्सव-

बिहू के त्यौहार का उत्सव में सर्वप्रथम किसान गायों को उड़द की दाल और हल्दी का लेप लगा कर नहलाने से शुरू करते हैं। उनके लिए नयीं रस्सी लातें हैं और उन्हें अच्छे से सजाते हैं। घर की महिलाएं अच्छे-अच्छे व्यंजन बनानें में जुट जातीं हैं। लज़ीज पहवनों में पिठा, चिरा, कच्चे नारियल से बनें लड्डू, तिल के लड्डू,फिश फ्राई, मंगशों आदि जैसे पकवान बनाएं जाते हैं। उत्सव का महत्वपूर्ण, बिहू नृत्य बड़े ही उल्लास के साथ किया जाता और बिहू का लोकगीत भी जाया जाता हैं।

बोहाग बिहू का महत्व-

भारत जैसा देश जहां अलग-अलग संस्कृतियां हैं और उन संस्कृतियों में भिन्न-भिन्न त्योहार हैं। यहां हर दिन ही त्यौहार होता है और इसलिए ही भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है। बिहू का महत्व हमें ज्यादातर असमी लोगों में देखने के लिए मिलता है। यह त्योहार किसानों और उनके पशुओं के बीच के आपसी प्रेम का प्रतीक माना गया है और उनको ही समर्पित किया जाता है।

किसानों के साथ उनके पशु ही खेतों में मेहनत करते हैं और यह त्योहार, किसानों के लिए एक जरिया ही होता है जिससे वो अपनी खुशी अपने पशुओं के साथ सांझा करते हुए दिखते हैं। इस त्योहार के द्वारा किसान अपने पशुओं के महत्व दर्शाते हैं। बोहाग बिहू असमी नव वर्ष का प्रतीक है। बोहाग बिहू को पुरानी परम्पराओं के साथ मनाया जाना ही, महत्वपूर्ण बनाता है। साथ ही बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू का महत्व सबसे ज्यादा होता है। यह नए साल की पहली फसल की कटाई को दर्शाता है।

बोहाग बिहू मनाने का इतिहास-

माना जाता है कि हजारों साल पहले उत्तर-पूर्वी भागों में रहने वाले कृषि जनजाति ने पहली बार इस पर्व को मनाया था। बिहू के त्योहारों का इतिहास लगभग 3500 ईसा पूर्व के आस-पास का है। प्राचीन काल के किसानों की एक जनजाति द्वारा पहली बार इस त्यौहार को मनाया गया था। और तब से इस त्योहार को देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है।

बोहाग बिहू के त्योहार के रोचक तथ्य-

  • बोहाग बिहू के त्योहार व उत्सव के समय असामी लोग अपने पारंपरिक कपड़े पहनते हैं।
  • पारंपरिक गीत झूमर को भी लोग गाते हैं।
  • उत्सव के समय असामी लोग सांझ के समय भिन्न-भिन्न तरह के कार्यक्रम को करते हैं और खुशियों की भेंट लोग एक-दूसरे को देते हैं।
  • बिहू का यह त्योहार असामी लोगों में खास इसलिए है क्योंकि मान्यता है की इस त्योहार में लोग अपने मन के द्वेष भावना निकल कर सभी को बधाइयां देते हैं और साथ मिलकर खाना भी खाते हैं।
  • इस वर्ष बोहाग बिहू का त्योहार 14 अप्रैल से 16 अप्रैल को मनाया जाएगा और मेरी ओर से भी आप सभी को बिहू के इस पर्व की बहुत सारी बधाइयां, त्योहार की खुशियां आपके घर हमेशा रहे यही मेरी कामना है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. बिहू किस राज्य में मनाया जाता है?

असम राज्य में बिहू का पर्व मनाया जाता है और यह त्योहार फसल की कटाई के समय मनाया जाता है।

2. बिहू कैसे मनाया जाता है?

साल भर में तीन बारी बड़े ही हर्ष के साथ बिहू का पर्व मनाया जाता है। बिहू के बारे में और जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें।

3. बोहाग बिहू 2023 में कब होगा?

इस वर्ष बोहाग बिहू 14 अप्रैल से 16 अप्रैल तक मनाया जाएगा।

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Harsh Kumar

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