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Amalaki Ekadashi 2023: आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त, तिथि और व्रत विधि

By February 13, 2023December 6th, 2023No Comments
Amalaki Ekadashi 2023

हिंदू धर्म में एकादशी और एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। पूरे साल में 24 एकादशी मनाई जाती है। जो महीने में 2 बार आती है। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को एकादशी का उत्सव मनाया जाता है। प्रत्येक महीने में अलग-अलग एकादशी मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की 11 वीं तिथि को एकादशी के दिन के नाम से जाना जाता है। इन्ही एकादशी में से एक है आमलकी एकादशी जो इसी साल की मार्च माह में है। ज्योतिष शास्त्र में आमलकी एकादशी के व्रत, महत्व और जातक के जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताया गया है।

आमतौर पर लोगों की यह परेशानी रहती है कि आमलकी एकादशी(Amalaki Ekadashi) क्या है ? , आमलकी एकादशी कब है ? , आमलकी एकादशी के लिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या है ? अगर आप भी इन सवालो के जवाब जानना चाहते है तो जुड़ जाइए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी के साथ और अपने सभी प्रश्नों के उत्तर पाइए।

जानिए आमलकी एकादशी कब है (Amalaki Ekadashi 2023 kab hai)?

आमलकी एकादशी को आमलका एकादशी और अमल एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को आमलकी एकादशी आती है। इस साल आमलकी एकादशी 3 मार्च 2023 शुक्रवार को मनाई जाएगी। आमलकी एकादशी के प्रारंभ होने का समय सुबह 6: 39 मिनट से शुरू है और समाप्ति समय सुबह 9: 11 मिनट तक है।

3 March 2023

आइए जानते है आमलकी एकादशी व्रत कथा के बारे में-

पौराणिक कथाओं के अनुसार कई हजार साल पहले वैदिश नाम का एक नगर हुआ करता था। वैदिश राज्य का शासन राजा चैत्ररथ नाम के चंद्रवंशी राजा के हाथ में था। इस नगर में हिंंदू वर्ण के चारों वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र आपस में प्यार से और बिना भेदभाव के रहते थे। वैदिश राज्य में किसी प्रकार की बुराई का कोई स्थान देखने को नहीं मिलता था। सब लोग आस्तिक और भगवान विष्णु की भक्ति में मग्न रहते थे। हर बार की तरह राजा चैत्ररथ ने नगर में आमलकी एकादशी का जागरण करवाया। जिसमें सब नगर वासियों ने आगमन किया और रात भर जागकर भगवान विष्णु का आरती करी और भजन गाए।

बहेलिया का जागरण में आना-

जब एकादशी का जागरण चल रहा था उसी समय वहां एक बहेलिया आया। वह बहेलिया स्वभाव से पापी था जो जीव हत्या करके अपने और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। ऐसे ही भूख-प्यास से व्याकुल वो बहेलिया इस जागरण में चला आया और मंदिर के एक कोने में बैठकर जागरण देखने लगा। अगली सुबह सारे नगरवासी जागरण खत्म होते ही अपने घर को चले गए। बहेलिया भी अपने घर चला गया। कुछ समय बाद बहेलिए की मृत्यु हो गई।

Baheliya Ka Jagran

राजा विदूरथ के घर बहेलिए का पुनर्जन्म-

यह आमलकी एकादशी के जागरण का ही प्रभाव था कि कुछ समय बाद राजा विदूरथ के घर बहेलिया ने फिर से जन्म लिया जिसका नाम वसुरथ पड़ा। वसुरथ अत्यंत ओजस्वी राजा बना और 10 हजार ग्राम का स्वामी भी।

म्लेच्छ द्वारा वसुरथ पर आक्रमण-

एक बार की बात है जब राजा वसुरथ जंगल में शिकार खेलने के लिए गए थे। शिकार करते हुए वह रास्ता भूल गए और एक पेड़ के नीचे आराम करने लगें। तभी कुछ पहाड़ी म्लेच्छ वहां आए और राजा को मारने के लिए दौडे। क्योंकि वह राजा को अपने परिवार का हत्यारा मानते थे।

Attack on Vasurtha

म्लेच्छ का आक्रमण और राजा वसुरथ के शरीर से एक दिव्य स्त्री का जन्म-

म्लेच्छ के प्रहार उन्हीं पर उलटे पड़ गए क्योंकि राजा वसुरथ को उन शस्त्रों से कुछ नहीं हो रहा था। उसी वक्त राजा वसुरथ के शरीर से एक स्त्री का जन्म हुआ। जो दिखने में सुंदर, टेढ़ी भृकुटी वाली कोई दिव्य शक्ति थी। जिसने सभी म्लेच्छों को मौत के घाट उतार दिया। राजा को जब होश आया तो उसने अपने आस-पास मलेच्छों के मृत शरीर का पाया। राजा अचंभे में पड़ गया यहां मेरी सहायता किसने की।

राजा वसुरथ को अपना पुनर्जन्म याद आना-

इस घटना पर राजा वसुरथ को बहुत आश्चर्य हो रहा था। तभी वहां एक आकाशवाणी हुई। जिसने राजा वसुरथ को उसके पिछले जन्म का बहेलिया रूप और आमलकी एकादशी में उसके आगमन की कथा सुनाई। जिसे सुनने के बाद राजा वापस अपने राज्य आ गया और हंसी-खुशी प्रजा की सेवा करने लगा।
महर्षि वशिष्ठ ने राजा से कहा कि यह आमलकी एकादशी के व्रत का ही प्रभाव है जो आप इतने बड़े संकट से बच गए और आज यहां है। वास्तव में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनना किसी भी मनुष्य को भगवान विष्णु के करीब लाता है।

Lord Vishnu

शास्त्रों में आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) का महत्व-

हिंदू धर्म शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में भी आमलकी एकादशी व्रत के महत्व का वर्णन किया गया है। आमलकी एकादशी(Amalaki Ekadashi) का महत्व जानने के लिए नीचे लिखे कथनों को पढ़े-

आमलकी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के रूके हुए कार्य पूरे होते है।
आंवले के पेड़ की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आंवले का पेड़ भगवान विष्णु द्वारा स्थापित किया गया था। इसलिए इस पेड़ में देवताओं का वास होता है।
कई वैज्ञानिक कारणों से भी आंवले का पेड़ लाभकारी है। यह प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होता है और मनुष्य के शरीर में ब्लड़ सर्कुलेशन अच्छा करता है।
आमलकी एकादशी व्रत करने से मनुष्य को विष्णु लोक में जगह मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आमलकी एकादशी व्रत विधि-

अगर आप इस बात से परेशान है कि आमलकी एकादशी व्रत विधि कैसे की जाती इसमें कौन से नियमों का पालन करना चाहिए तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। नीचे कुछ उपायों का वर्णन है जो आप आमलकी एकादशी पर कर सकते है

इस दिन शुभ मुहूर्त में उठना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
आंवले के फल का सेवन करें। इसके अलावा आंवले का उबटन लगाए, आंवले के जल में स्नान करें और आंवले का दान करने से आपको लाभकारी परिणाम मिलेंगे।
आंवले के वृक्ष की पूजा करें क्योंकि इसमें भगवान का वास माना जाता है।
सबसे पहले आमलकी एकादशी व्रत की तिथि और पूजा विधि के बारे में पता करें। आप इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से भी आमलकी एकादशी व्रत विधि के बारें में जान सकते हैं।
आमलकी एकादशी का व्रत रखें और इस दिन मांसाहार खाने से परहेज करें।
भगवान विष्णु की आरती करें और आमलकी एकादशी मंत्र का जाप करें।

Amla In basket

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. आमलकी एकादशी में किस भगवान की पूजा की जाती है?

आमलकी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है क्योंकि इस व्रत की शुरूआत भी भगवान विष्णु से मानी जाती है।

2. देवउठनी एकादशी के दिन कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?

देवउठनी एकादशी पर सफेद और पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

3. एकादशी पर सिर धोना शुभ होता है या अशुभ ?

एकादशी के दिन बाल नहीं धोने चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

4. योगिनी एकादशी क्या है और कब है?

योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष को मनाई जाती है। इस साल योगिनी एकादशी 14 जून बुधवार को पड़ रही है।

5. एक साल में एकादशी कितनी बार आती है?

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 26 या 24 बार एकादशी का मुहूर्त होता है। इसके अलावा एकादशी व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

6. महीने में एकादशी कितनी बार आती है?

एक महीने में एकादशी 2 बार आती है। महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को एकादशी पड़ती है।

और पढ़ें: विजया एकादशी 2023

अलग-अलग एकादशी की कथा और एकादशी व्रत के पीछे की कहानी जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।

 

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