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Adhik Maas 2023: जानिए कैसे लगता है अधिक मास और सावन में इसका महत्व

By July 12, 2023December 15th, 2023No Comments
Adhik Maas

4 जुलाई 2023 से सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस साल सावन एक महीने का नहीं बल्कि 2 महीने का होगा यानी कि इसकी समय अवधि 59 दिनों की होगी इसका कारण है सावन के महीने में अधिक मास का लगना। अधिक मास का अर्थ होता है की साल में एक महीना ज्यादा हो जाना। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर 3 साल में एक बार अधिक मास 2023 पड़ता है। जो की साल 2023 में सावन के महीने में 18 जुलाई 2023 से शुरू होकर 16 अगस्त 2023 को समाप्त होगा। अधिक मास को मलमास, संसर्प मास, पुरुषोत्तम मास और मलमास के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अधिक मास 2023 का महीना किसी भी शुभ कार्य के लिए सही नहीं माना जाता है। इस दौरान आपको विशेष रूप से कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। अधिक मास के दौरान नकारात्मक शक्तियां अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं इसलिए ज्योतिष द्वारा इस महीने अधिक पूजा पाठ और ध्यान लगाने की सलाह दी जाती है। अधिक मास के दौरान विष्णु भगवान और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस पूरे महीने में भगवान का मनन करना चाहिए। आइए जानते हैं अधिक मास के नियम , अधिक मास में क्या करें, अधिक मास में क्या न करें और अधिक मास में पूजा के लाभ क्या हैं।

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अधिक मास की तिथि

वैदिक शास्त्रों के अनुसार अधिक मास 3 साल में एक बार आता है। और यह साल 2023 में सावन के महीने में 18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त 2023 तक रहेगा।

हिन्दू ग्रंथों में अधिक मास

अधिक मास का वर्णन बहुत से हिन्दू ग्रंथों में देखने को मिलता है। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार हिन्दू कैलेंडर सूर्य और चन्द्रमा की साल में जो गणना होती है उससे ज्योतिषी बनाते हैं। अधिक मास चंद्र वर्ष का बचा हुआ हिस्सा होता है जो 12 महीनों में नहीं आता है। यह महीने पूरे 3 साल के बचे हुए दिनों को मिलाकर बनता है। यह 32 माह 16 दिन और 8 घंटे के अंतराल से बनता है। सूर्य और चंद्र साल के बीच यह अंतर खत्म करने के लिए ही हिन्दू कैलेंडर में हर 3 साल में अधिक मास लगता है।

इसके पीछे एक मत यह भी मिलता है की साल में सूर्य एक साल में 365 दिनों तक निकलता है लेकिन वहीं चन्द्रमा साल में 364 दिन ही निकल पाते हैं इस प्रकार यदि इसमें एक साल में बचे हुए दिनों की गणना की जाये तो एक साल में 11 दिन शेष बच जाते हैं और यदि 3 साल में इसी प्रकार 11+11 +11 तीनों को जोड़ा जाये तो यह 33 होता है इसी प्रकार से 3 साल में बचे हुए यह 33 दिन ही अधिक मास माना जाता है।

अधिक मास के नियम

  • अधिक मास के देवता भगवान विष्णु और भगवान शिव को माना जाता है इसलिए अधिक मास के दौरान भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इन दोनों देवताओं की अधिकमास में पूजा करने के लाभ आप खुद-ब-खुद देखेंगे।
  • रोज सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेव को जल चीनी और दूध ड़ाल का जल अर्पित करें।
  • इसके पश्चात शिवलिंग पर दूध और जल में फूल ड़ाल कर उसको अर्पित करें।
  • अब भगवान शिव की आरती गाएं और इसके पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले एक घी का दीपक जलाएं और उसके सामने बैठ विष्णु कवच और विष्णु मंत्रों का जाप करें।
  • इस दिन दीप दान करने को बहुत शुभ माना गया है। किसी भी मंदिर, कुवें, स्कूल, घर या फिर गंगा के घाट पर दीपक जलाने से आपकी ज़िन्दगी में भी रोशनी आएगी।
  • इस माह में दान करना सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान आपको अन्न दान, वस्त्र दान और सभी जरूरतों के सामान को दान करना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से आपको जल का भरा हुआ एक घड़ा और मालपुएं को दान करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्रों में इसका उल्लेख मिलता है। इससे सुख समृद्धि आपके घर में आती है।

अधिक मास महत्व

हिन्दू धर्म में अधिक मास महत्व विशेष बताया गया है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि आप अधिक मास में भगवान विष्णु या भगवान शिव की पूजा करते हैं तो इसका आपको विशेष फल मिलता है। इस एक महीने की पूजा में आप नार्मल एक महीने की पूजा से 10 गुना ज्यादा पुण्य कमा सकते हैं। अधिक मास में दान करने का भी अधिक महत्व बताया गया है। अधिक मास के देवता भगवान विष्णु और भगवान शिव हैं इसलिए दोनों देवताओं की शाम के समय आरती करने से आपको लाभ होता है।

अधिक मास के दौरान आप तप और पूजा के द्वारा अपने बुरे कर्मों को खत्म कर सकते हैं और पुण्य कमा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अधिक मास के दौरान पूजा-पाठ करने से हमारे शरीर के अंदर के 5 तत्वों को नयी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जिस वजह से हमारी बुद्धि और दिमाग तेज चलते हैं।

अधिक मास कथा

अधिक मास से जुड़ी हुई हिरण्यकश्यप की एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक समय दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने बहुत सालों तक ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की, दैत्यराज हिरण्यकश्यप की तपस्या पूरी होने के पश्चात ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा लेकिन शास्त्रों के अनुसार अमर होने का वरदान निषेध होता है वह किसी को भी नहीं दिया जा सकता। इसलिए ब्रह्मा जी ने दैत्यराज हिरण्यकश्यप से कोई दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा, तब दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से कहा की मुझे ऐसा वरदान चाहिए जिसमें इस सम्पूर्ण सृष्टि से मुझे न कोई स्त्री, न कोई पुरुष, न कोई देवता, न कोई असुर, न ही कोई पशु उसकी मृत्यु का कारण बने।

इसके साथ ही दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने आगे कहा की उसे किसी भी वर्ष के किसी भी समय में कोई न मार सके इसके साथ ही उसने कहा की, नही दिन के समय में, नहीं रात के समय में, न ही किसी अस्त्र और शस्त्र के द्वारा उसकी मृत्यु हो और न ही वह घर में मारा जा सके न ही घर के बाहर मारा जा सके। ब्रह्मा जी ने उसको यही वरदान दे दिया। उसको यह वरदान मिलते ही वह खुद को अमर मानता है और गलत कार्य करता है। जिस वजह से भगवान विष्णु अधिकमास में नरसिंह का अवतार धारण करते हैं और उसके घर की दहलीज के बीच में अपने बड़े बड़े नाखूनों से उसको मार देते हैं।

अधिक मास में क्या करें?

  • अधिक मास में प्रतिदिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना शुभ माना जाता है। आप इसमें जल, शहद, घी, दूध, दही, मिश्री, गन्ना और मावे का मिश्रण बना कर अभिषेक कर सकते हैं।
  • अधिक मास में पंचमी तिथि बहुत शुभ मानी जाती है। पंचमी तिथि के दिन आप तुलसी में गन्ने का रस सुबह के समय अर्पित करें। इससे आपको सुख- समृद्धि प्राप्त होती है। आपको जीवन में कभी भी धन से वंचित नहीं रहना पड़ेगा।
  • अधिकमास के महीने में स्त्रियों को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करना शुभ होता है यदि गंगा नदी में स्नान करना संभव नहीं हैं तो, अपने घर में ही पानी में गंगाजल ड़ाल कर स्नान करना चाहिए। इससे उनके पतियों की उम्र लम्बी होती है।
  • अधिक मास में अपने घर में भागवत कथा कराना बहुत शुभ माना जाता है इससे जातक को स्वर्गलोक में स्थान मिलता है। भगवान विष्णु के अवतार भगवान शालिग्राम का ध्यान करके भागवत कथा करवा सकते हैं।
  • यदि आपको अपने घर में सुख समृद्धि लानी हैं तो आपको जिस दिन से अधिक मास प्रारंभ होगा उसी दिन से घर में अखंड ज्योत प्रज्वलित करें और सम्पूर्ण अधिक मास में उसको जलाएं रखें। ऐसा करने से आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा। घर में धन की कमी नहीं आएगी। और आप जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे।
  • अधिक मास में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार और रविवार के दिन हवन कराएं। हवन में गायत्री मंत्र, विष्णु भगवान के मंत्र, भगवान शिव के मंत्रों से अग्नि कुंड में आहुति प्रदान करें। इससे आपके घर में कोई भी बुरी शक्ति नहीं आएगी और आपको जीवन में सफलता प्राप्त होगी। आप चाहे तो पूरे महीने भी हवन कर सकते हैं।

अधिक मास में क्या नहीं करें?

  • अधिक मास के दौरान किसी भी तरह का मंगल कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान विवाह, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार या कोई भी अन्य मंगल कार्य नहीं किया जाता है।
  • अधिक मास के दौरान आपको अपनी कोई नयी नौकरी या कोई नया व्यापार भी नहीं शुरू करना चाहिए। इस समय में कोई भी नया कार्य नहीं करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो वह पूरा नहीं होता है या चलने से पहले ही खत्म हो जाता है।
  • अधिक मास के दौरान आपको नया घर भी नहीं लेना चाहिए न ही ग्रह प्रवेश करना चाहिए। किसी बच्चे का मुंडन संस्कार करना भी अशुभ माना जाता है। इसलिए यह भी न करें।
  • सावन के महीने में अधिक मास का महीना है इसलिए आपको इस दौरान किसी भी प्रकार का कोई मांस मदिरा खाने पीने से परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से आप पर नकारात्मक शक्तियां हावी हो सकती हैं।
  • अपने विचारों को किसी के लिए भी गन्दा न रखें। अधिक मास के दौरान अपने विचारों को शुद्ध रखें। ऐसा करने से आपको एक महीने बाद अपने अंदर बहुत बदलाव देखने को मिलेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. अधिक मास 2023 में पड़ने वाली पंचमी तिथि क्या है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अधिक मास में पड़ने वाली पंचमी तिथि 23 जुलाई 2023 को पड़ रही है।

2. अधिक मास कितने सालों के अंतराल में आता है?

अधिक मास 3 साल के अंतराल के बाद आता है जो सावन के महीने में पड़ रहा है। इसका विशेष महत्व है।

3. अधिक मास में किस देवता की पूजा की जाती है?

अधिक मास के दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती हैं। इस दौरान पूजा करने से अधिक लाभ होता है।

4. अधिक मास की तिथि क्या है?

अधिक मास 18 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है और यह 16 अगस्त 2023 को समाप्त होगा।

5. अधिक मास का क्या अर्थ होता है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अधिक मास का अर्थ होता है साल में एक महीने का बढ़ जाना। जैसे 12 महीनों का साल 13 महीनों का हो जाना।

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