
मान्यता है कि कार्तिक मास भगवान विष्णु का सबसे प्रिय मास है। अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के बाद यानि कि शरद पूर्णिमा के अगले दिन से कार्तिक मास आरम्भ हो जाता है। इस वर्ष 10 अक्टूबर से कार्तिक मास प्रारंभ हुआ था। और 9 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ इस शुभ मास का समापन हो जायेगा। कार्तिक मास को पुराणों में अत्यधिक पवित्र समय माना गया है। इस माह की विशेषता है भगवान विष्णु व तुलसी माता की पूजा व अर्चना। आइये देखते हैं कि आखिर क्यों कार्तिक माह को इतना खास माना जाता है
कार्तिक मास का महत्व –
इस पवित्र मास की देवउठनी ग्यारस को भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद जागृत होते हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इसी एकादशी के बाद सारे शुभ कार्य संपन्न किये जाते हैं। जैसे की विवाह, गृह प्रवेश आदि
कार्तिक मास में तुलसी विवाह भी किया जाता है, जिसमे माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह आयोजित होता है। इस पवित्र मास की शुरुआत होती है शरद पूर्णिमा से और अंत होता है कार्तिक पूर्णिमा से। पूरे माह में धनतेरस, दीपावली, छठ, जैसे अनेक तीज-त्यौहार मनाये जाते हैं।
यही कारण है कि कार्तिक मास इतना खास माना जाता है। इस माह में गंगा-स्नान, दीपदान, भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। कार्तिक मास में व्रत व् अनुष्ठान करने से गृह दशा सुधरती है और भाग्य जागृत होता है।
कार्तिक मास में तुलसी पूजन-
कार्तिक के महीने में विष्णु भगवान की प्रिय तुलसी माता का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस पूरे माह में हर शाम तुलसी के पौधे पर घी का दिया जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। प्रतिदिन तुलसी के नीचे दिया रखने से धन लाभ होता है और घर में लक्ष्मी जी की कृपा रहती है।
कार्तिक माह के अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा को तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। यह पूजा करना बहुत ही शुभ मन जाता है।
कार्तिक महीने में क्या खाएं और क्या नहीं-
पौराणिक कथाएं कहती हैं कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु मतस्य अवतार में आते हैं। इसलिए इस मास में भूलकर भी मछली या अन्य मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस माह में तामसिक चीजों से भी परहेज़ करना चाहिए। प्रतिदिन ताज़ा व सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिए।
कार्तिक माह में बैंगन खाना भी अशुभ माना जाता है। इसलिए कई घरों में कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही बैंगन बनाया जाता है।
कार्तिक के महीने में दही व जीरा का सेवन नहीं करना चाहिए। जीरा खाने से सेहत को नुकसान हो सकता है और दही आर्थिक हानि पहुंचा सकता है। दही खाना संतान के लिए भी अशुभ माना जाता है।
कार्तिक मास में करेले का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्यूंकि इससे वात रोग बढ़ता है जो सेहत के लिए हानिकारक है। इसलिए करेले का परहेज़ करना चाहिए।
कार्तिक के महीने में मूली खाना लाभकारी होता है। इस महीने में कफ दोष और पित्त दोष से सम्बंधित रोग होने का खतरा रहता है। इसलिए इन्हें नियंत्रण में रखने के लिए मूली का सेवन करना चाहिए| यह सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है।
कार्तिक स्नान की विधि-
कार्तिक के पावन महीने में गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो तो किसी भी तालाब अथवा पोखर में कार्तिक स्नान कर सकते हैं। और यदि वह भी संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिला लेना चाहिए। यह स्नान तब करना चाहिए जब दो घडी रात बाकी रह जाए। यानि कि भोर होने से पहले। यही स्नान उत्तम माना जाता है और इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। सूर्योदय काल में किया गया स्नान मध्यम माना जाता है। इसलिए सर्वाधिक लाभ के लिए सूर्योदय से पूर्व ही स्नान कर लेना चाहिए।
कार्तिक मास में ज़रूर करें ये शुभ कार्य-
कार्तिक मास में लगातार 30 दिन तक तुलसी माता के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। कार्तिक महीने में इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
यदि किसी कारण वश पूरे महीने दीपक नहीं लगा सकते हैं तो कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक लगातार 5 दिन दिया जलाना चाहिए। तुलसी जी की पूजा करने से माता लक्ष्मी और साथ ही भगवान कुबेर भी प्रसन्न होते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने स्वयं कुबेरजी से कहा था कि कार्तिक मास में जो मेरी उपासना करे उसे कभी धन की कमी मत होने देना। कार्तिक मास में शाम को भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए पूजास्थल पर तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे श्री हरि प्रसन्न होते हैं। कार्तिक माह में दान-धर्म करना भी उचित माना गया है। ज़रुरतमंदों को अन्न तथा वस्त्रों का दान करना चाहिए। इस पवित्र माह में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की भी मान्यता है।प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल अर्पण करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-
1-कब से शुरू होगा कार्तिक मास ?
2-कार्तिक मास की विशेषता क्या है ?
3-कार्तिक के महीने में तुलसी पूजन क्यों किया जाता है ?
4-कार्तिक माह में गंगा स्नान की विधि क्या है ?
5-कार्तिक मास के नियम क्या हैं ?
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