ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंडली में अष्टकवर्ग का महत्व विशेष है। अष्टकवर्ग एक ऐसा योग है जिसमें सिर्फ 8 ग्रहों को सम्मिलित किया जाता है। राहु और केतु ग्रह को छोड़ कर इसमें सूर्य से लेकर शनि ग्रह और लग्र शामिल होते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में कई तरह के ऐसे योग बनते हैं जिनके द्वारा ज्योतिषी जातक को मिलने वाले शुभ फलों के बारे में अवगत कराता है। जैसे कुंडली में महादशा योग, पांच ग्रहों का योग, अंतर दिशाएं, सूक्ष्म दशाएं, आपका जन्म लग्न और चंद्र लग्न। इसी प्रकार से न जाने ऐसे कितने योग कुंडली में बनते हैं जो जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं। ज्योतिषी बहुत प्रकार से इन योगों के द्वारा जातक को शुभ फल प्रदान करने का प्रयत्न करते हैं परंतु इसके बावजूद भी जातक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाता है क्योंकि, उसे लाभ अधिकतम समय लाभ नहीं होता है।
इन सभी योगों में से एक योग बनता है अष्टकवर्ग। अष्टकवर्ग से जातक को शुभ अंकों द्वारा शुभ फल प्राप्त होता है। परन्तु यदि अष्टकवर्ग योग में शुभ अंक कम हैं तो जातक को इसका अशुभ फल प्राप्त होता है। इसके बाद यदि अष्टकवर्ग शुभ योग में भी है या उच्च राशि में भी विराजमान है या किसी भी अच्छी स्थिति में है तब भी शुभ अंक कम होने की वजह से यह जातक को शुभ फल नहीं देता है। अक्सर देखा जाता है की किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा अच्छी नहीं हैं उसके बावजूद भी उसका जीवन बहुत अच्छा व्यतीत हो रहा है। वहीं दूसरी ओर किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा बहुत शुभ होती है पर वह एकदम गरीब और लाचार होता है। इन दोनों स्थितियों को देखकर यकीन करना मुश्किल सा लगता है। परंतु ज्योतिष के अनुसार यह सब जातक की कुंडली में अष्टकवर्ग का महत्व होता है।
ज्योतिष के अनुसार अष्टकवर्ग
ज्योतिष के अनुसार अष्टकवर्ग में अंक होते हैं शुभ और अशुभ। यदि अष्टकवर्ग में शुभ अंक ज्यादा हो जायेंगे तो जातक के ऊपर ग्रहों की बुरी दृष्टि का कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ यदि जातक के ऊपर अन्य ग्रहों की शुभ दृष्टि भी पड़ रही है लेकिन अष्टकवर्ग में शुभ अंकों की संख्या अशुभ अंकों से कम है तो जातक को इसका कोई फायदा नहीं होता है उल्टा उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
अष्टकवर्ग पद्धति के अनुसार 6, 7, 8 और 12 संख्याए यदि ग्रह के भाव में स्थित हैं तो जातक को इसका शुभ फल प्राप्त होता है। लेकिन यदि ग्रह भाव में 4 संख्या से कम संख्या होती हैं तो जातक दूसरे ग्रहों के द्वारा भाग्यशाली होकर भी अभाग्यशाली हो जाता है। अर्तार्थ अष्टकवर्ग का अशुभ फल जातक को मिलता है। ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि जातक की कुंडली में किसी भाव में 30 या उससे ज्यादा अंक मिल रहे हैं तो जातक को शुभ फल मिलेगा। और यदि उसी भाव में 5 या उससे ज्यादा अंक मिल रहे हैं तो भी जातक को शुभ फल मिलता है। 4 अंक या उससे कम अंक जातक की मुसीबत बढ़ा देते हैं। इसके अनुसार पता चलता है कि भाव के कुल अंक जातक को जीवन में किस हद तक सफलता दिलाएंगे और ग्रह बताते के अंक उनके बनने वाले योग और कुंडली में प्रवेश पर निर्भर करते हैं।
अष्टकवर्ग में कौन से ग्रह होते हैं शामिल
अष्टकवर्ग में 2 ग्रहों को छोड़ कर बाकि, सूर्य ग्रह , चंद्र ग्रह , मंगल ग्रह , बुध ग्रह , गुरु ग्रह , शनि ग्रह और लग्न सहित 8 ग्रह होते हैं। इन आठों ग्रहों का जो योग बनता है तो उसे ही अष्टकवर्ग योग कहा जाता है। अष्टवर्ग में जो दो ग्रह शामिल नहीं हैं वह राहु और केतु हैं। राहु और केतु को अष्टकवर्ग में इसलिए शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ये दोनों छाया ग्रह हैं। ज्योतिष में राहु और केतु को किसी राशि या किसी घर का स्वामी भी नहीं बनाया गया है। इसका कारण इन दोनों का छाया ग्रह होना है।
ज्योतिष में अष्टकवर्ग विधि (Ashtakavarga vidhi)
ज्योतिष शास्त्र एक मनुष्य के जीवन के बारे में बचपन में ही कुंडली बनाकर उसके बारे में सब पता लगा लेते हैं। ज्योतिषी शास्त्र जातक की जन्म तिथि, उसके जन्म का समय जानकर कुंडली का निर्माण करते हैं। जीवन में यदि आपको अपने साथ होने वाली घटनाओं का पहले से ज्ञात हो जाता है तो आप गलत होने से बच सकते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अष्टकवर्ग विधि (Ashtakavarga vidhi) या अष्टकवर्ग पद्धति सबसे कठिन और समझने में बहुत मुश्किल होती है।
अष्टकवर्ग पद्धति के द्वारा कुंडली का ज्योतिष द्वारा विश्लेषण किया जाता है। कुंडली में ज्योतिषी अष्टकवर्ग पद्धति के द्वारा जन्म के समय और स्थान को जानकर ही जातक को बताते हैं कि, कुंडली में कौन से घर में कौन सा ग्रह मौजूद है और उसका क्या परिणाम होगा। ज्योतिष के अनुसार अष्टकवर्ग पद्धति में 8 वर्गों के आधार पर कुंडली देखी जाती है। इन 8 वर्गों में शामिल हैं- धनी वर्ग, लग्न वर्ग, भाव वर्ग, शत्रु वर्ग, सुख वर्ग, संतान वर्ग, रोग वर्ग, मृत्यु वर्ग। अष्टकवर्ग पद्धति में इन्हीं वर्गों के आधार पर जातक को ज्योतिषी बताते हैं की कौन सा ग्रह कौन से घर में और किस समय प्रवेश करेगा। जो ग्रह कुंडली में गोचर करते हैं ये भी ज्योतिषी या जातक अष्टकवर्ग पद्धति के द्वारा ही पता लगाते हैं।
ज्योतिष में शुभ अष्टकवर्ग योग बनने के फायदे
- शुभ अष्टकवर्ग योग कुंडली में बनने से जातक को धन लाभ हो सकता है और उसके जीवन में होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है। लेकिन इसके लिए अष्टकवर्ग शुभ बनना चाहिए।
- अष्टकवर्ग योग होने से जातक की दुश्मन कम होते हैं। उसका झगड़ा नहीं होता है। यदि कोई कोर्ट केस है तो वह उसका फैसला भी जातक के पक्ष में ही आता है।
- अष्टकवर्ग योग होने से जातक का सामाजिक जीवन बहुत बेहतरीन हो जाता है यदि उसकी कुंडली में शुभ अष्टकवर्ग योग बन रहा है और बाकी के सभी योग अशुभ हैं तो जातक की कुंडली में अशुभ ग्रह योग बनने से भी उसके ऊपर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- जातक की कुंडली में जब शनि की साढ़ेसाती लग जाती है तो वह उसे उस समय तक परेशान करती है जब तक की उसकी अवधि होती है। लेकिन यदि शनि ग्रह कुंडली में साढ़ेसाती के दौरान अपनी उच्च राशि में प्रवेश कर जाये और इसके साथ ही शनि के पास अष्टकवर्ग में 6 या उससे अधिक अंक हो तो यह स्तिथि जातक के लिए अधिक शुभ होती है। इससे जातक की कुंडली में साढ़ेसाती होने के बावजूद भी वह सफलता को प्राप्त करता है और धनी, प्रतिभावान बनता है।
- अष्टकवर्ग में शुभ अंक होने से जातक को किसी और अच्छे योग की कुंडली में जरुरत नहीं होती है इस योग के शुभ होने से ही जातक के ऊपर अशुभ ग्रहों का ज़रा भी फर्क नहीं पड़ता है।
अष्टकवर्ग का शुभ होना कैसे होता है अशुभ
बहुत कम बार ऐसा देखने को मिलता है कि, जातक की कुंडली में जो अष्टकवर्ग योग बन रहा है उसमें शुभ जरूरत अनुसार शुभ अंक होते हैं, लेकिन फिर भी जातक के जीवन में कोई न कोई अभाव रह जाता है। वह प्रत्येक तरह से सफल रहता है लेकिन कोई एक कमी उसको बनी रहती है। जैसे उदाहरण के लिए जातक के पास सब कुछ है लेकिन अपना खुद का कोई यात्रा साधन नहीं हैं वह हमेशा बस या ट्रेन से सफर करता है। ऐसा तब होता है जब जातक को अष्टकवर्ग में धन भाव, एकादश भाव और त्रिकोण भाव में शुभ अंकों की प्राप्ति हो रही है लेकिन चर्तुथ भाव में उसके पास जरुरत के अनुसार शुभ अंक नहीं हैं। ऐसा होने से जातक के जीवन में कोई एक ऐसी चीज जिसकी उसे जरूरत है और वह लेना भी चाहता है, वह उसे कभी प्राप्त नहीं कर पायेगा। लाख कोशिशों के बावजूद भी जातक को हमेशा एक चीज का अभाव रहेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. अष्टकवर्ग योग कुंडली में शुभ होने के लिए कितने अंक शुभ होने चाहिए?
2. अष्टकवर्ग में राहु और केतु को किस लिए नहीं शामिल हैं?
3. कौन से ग्रह हैं जिनको अष्टकवर्ग में शामिल किया जाता है?
4. अष्टकवर्ग अशुभ परिणाम कब देता है?
5. अष्टकवर्ग में सबसे शुभ अंक कौन से हैं?
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