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जानिए लिव इन रिलेशनशिप टूटने के पीछे के ज्योतिषीय कारण

By July 10, 2023December 15th, 2023No Comments
Astrological Effects of Breaking Relationship

प्यार आजकल की युवा पीढ़ी से क्या कुछ नहीं कराता है। बहुत से जोड़े बिना शादी किये अपने परिवार की बिना मर्जी के या परिवार खुले विचारों वाला हो तो मर्जी से भी एक साथ रहने लगते हैं। जिसको कहते हैं लिव इन रिलेशनशिप। जब कोई जोड़ा प्यार में पड़ता है उसके कुछ समय बाद ही साथ रहने का उनका यह जूनून अलग ही दिखाई देता है। उस समय वह दोनों बिना सोचे- समझे बिना इसके परिणाम को जाने साथ रहने लगते हैं।
लिव इन रिलेशनशिप की जब शुरुआत होती है तो शुरू में तो सब कुछ एकदम ठीक रहता है। जोड़े को देखकर ऐसा लगता है मानों इनसे ज्यादा प्यार तो कोई कर ही नहीं सकता है।

लेकिन अधिकतर मामलों में समय के साथ उनका प्यार कम होने लगता है और लड़ाई- झगड़े यहाँ तक की मारपीट तक जोड़े में बढ़ जाती है। आजकल तो ऐसे मामले भी आये हैं जिनमें जोड़े ने अपनी प्रेमिका की जान तक लेली है। आज के इस लेख में आप जानेंगे की लिव इन रिलेशनशिप की असफलता के पीछे छिपे ज्योतिषीय कारण क्या हैं। ज्योतिष शास्त्रों की नज़र से ऐसी क्या वजह रहती है की शुरुआत का प्यार बाद में नफरत में बदल जाता है। इसके पीछे की ज्योतिषी वजह जानने के लिए आगे पढ़ें।

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लिव इन रिलेशनशिप पर ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंडली में कुछ ग्रहों के कुछ ऐसे योग बनते हैं जिनसे व्यक्ति के विचार अपने साथी को लेकर बदलते रहते हैं। ग्रहों के कारण उसके विचार कभी बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं जो उसके लिव इन साथी के लिए खतरे की घंटी साबित होते हैं और दोनों के बीच में हिंसा होने लगती है। जानिए लिव इन रिलेशनशिप की असफलता के पीछे छिपे ज्योतिषीय कारण क्या है।

  • राहु केतु कुंडली में यदि अशुभ भाव में होते हैं तब लिव इन रिलेशनशिप में जोड़े के बीच भ्रम और शक की स्तिथि पैदा करते हैं। कोई बड़ी बात न होते हुए भी कपल के लगातार कई बड़े- बड़े झगड़े होने लगते हैं। राहु केतु पाप ग्रह होते हैं और उसके बाद जब ये अशुभ भाव में आते हैं तो लिव इन रिलेशनशिप वाला जोड़ा एक दूसरे से जल्दी अलग होता है।
  • शनि ग्रह जब कुंडली में सप्तम भाव या पंचम भाव में प्रवेश करता हैं तो लिव इन रिलेशनशिप के लिए अशुभ योग बनता है। शनि ग्रह यदि नीच राशि में स्थित होता है तब भी लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी या प्रेमिका का व्यवहार बदलने लगता है। दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ जाता है की एक दोनों एक दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करेंगे।
  • कुंडली में मंगल दोष लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े के लिए समस्या बनता है, जब मंगल उच्च राशि से नीच राशि में प्रवेश कर जायेगा और यदि वह कुंडली में अशुभ होगा तब भी जोड़े के बीच में गलतफमियां उत्पन होंगी और वह एक बड़े झगड़े में बदल जाएँगी।
  • सूर्य ग्रह लिव इन रिलेशनशिप में कभी जोड़े के बीच बात नहीं बनने देता है। सूर्य ग्रह के नीच राशि में होने से जोड़ा कभी भी एक दूसरे की बात पर सहमत नहीं होता है। दोनों लोगों को बीच यह तनाव और झगड़े को जन्म देता है।

कुंडली में न हो ये दोष

विवाह से पहले या विवाह के बिना भी यदि जातक लिव इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे अपनी और अपने साथी की कुंडली को किसी प्रतिष्ठित ज्योतिषी से दिखाना चाहिए और विवाह करने यह साथ रहने के बारे में सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि कई बार आपकी कुंडली में कुछ ऐसे दोष भी लग जाते हैं जिनकी वजह से आपका रिश्ता कभी भी कामयाबी के शिखर पर नहीं पहुंच सकता। इसलिए कुंडली में गुणों का मिलान भी जरुरी होता है। गुणों का मिलान होने से आपका एक जैसा व्यक्तित्व होगा और आपका जीवन सुखमय बीतेगा। आइए जानते हैं कौन से वह दोष जो बनते हैं लिव इन रिलेशनशिप में बाधा।

1. गण दोष 

कुंडली में गण दोष के होने से जोड़े की हमेशा लड़ाई होती है। दोनों कभी एक दूसरे के साथ अपने रिश्ते में सामंजस्य स्थापित नहीं कर सकते हैं। इसके लिए कुंडली का मिलान अवश्य कराना चाहिए। यदि इसके बाद भी आप विवाह करना चाहते हैं या लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज्योतिषी से उपाय प्राप्त करने चाहिए।

2. भकूट दोष

कुंडली में भकूट दोष होने से दोनों लोगों के बीच मनमुटाव होता है यदि साथ रहने से पहले कुंडली मिलान करा लिया जाता है तो कुंडली से यह दोष ज्योतिषी दूर करने के उपाय आपको बताते हैं, परन्तु यदि इसका निवारण नहीं किया जाता तो यह जातक के रिश्ते को पूरी तरह बर्बाद कर देता है। छोटा सा मनमुटाव एक बड़ी लड़ाई को जन्म देता है। ऐसा भी कहा जाता है की कुंडली में इस दोष से जोड़े में से एक दम्पति की मिर्त्यु भी हो सकती है। इसलिए कुंडली का मिलान कराने के बाद इस दोष को खत्म करने के लिए ज्योतिषी से सलाह ले।

3. नाड़ी दोष

यदि कुंडली में नाड़ी दोष होता है तो उनका रिश्ता अधिक लम्बे समय तक नहीं चलता है। जितने समय तक यह रिश्ता रहेगा उनका मनमुटाव और मानशिक तनाव बढ़ता ही रहता है। लिव इन रिलेशनशिप में नाड़ी दोष जोड़े को दूर कर देता है। इसके उपाय के लिए भी कुंडली को ज्योतिषी को दिखाना चाहिए।

ग्रहों के यह योग लिव इन में बनते हैं बाधा

कुंडली में कभी भी कोई ग्रह एक घर में नहीं बैठता है। सभी ग्रहों एक घर से किसी ओर घर में प्रवेश या गोचर करते हैं। जिससे जातक की कुंडली में एक कई अशुभ और शुभ ग्रहों का योग बनता है। यह योग जातक के जीवन में कई अच्छे और बुरे प्रभाव डालते हैं। कुछ योग ऐसे भी हैं जिनके बनने से जातक की लिव इन रिलेशनशिप खराब होती है और यह टूट जाती है। आइए जानते हैं कौन से वह ग्रहों के वह अशुभ योग।

  • जब किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में शनि ग्रह और राहु ग्रह एक नीच राशि में एक साथ प्रवेश कर रहे हो तो यह लिव इन रिलेशनशिप की असफलता का कारण बनते हैं। दोनों दम्पति के बीच में प्रतिदिन झड़गे होते हैं और धीरे- धीरे दोनों एक दूसरे से दुरी बनाने लगते है। अंत में आकर यह रिश्ता टूट जाता है।
  • चंद्र ग्रह और शुक्र ग्रह जब जातक को कुंडली में एक ही घर में प्रवेश करते हैं तो ऐसे व्यक्ति की प्रवृत्ति धोखा देने वाली हो जाती है। धोखा देने के बारे में जब उसके साथी को पता चलता है तो वह दोनों के बीच झगड़ा होता है और दोनों दूर हो जाते हैं।
  • कुंडली में यदि कोई व्यक्ति मंगली होता है और वह किसी अमंगली के साथ प्रेम करता है तो उसकी कुंडली में मंगल दोष उस रिश्ते को चलने नहीं देगा मंगली दोष वाला जातक लड़ाई बढ़ाता है। इसलिए ज्योतिष में कुंडली मिलान से पहले मंगली व्यक्ति को मंगली के साथ ही शादी करने की सलाह दी जाती है।
  • क्षीण चन्द्रमा ग्रह, शनि ग्रह, राहु- केतु ग्रह, मंगल ग्रह यह सभी पाप ग्रहों के साथ पूर्ण चन्द्रमा ग्रह, बुध ग्रह, बृहस्पति ग्रह, शुक्र ग्रह इनमें से कोई भी शुभ ग्रह का योग बनता है तो इस स्थिति में जोड़े के बीच शक पैदा होता है। यह शक इतना बढ़ जाता है की लिव इन रिलेशनशिप का रिश्ता खत्म हो जाता है।

कुंडली में पंचम भाव

कुंडली में पंचम भाव प्रेम से जुड़ा हुआ होता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब पंचम भाव में अशुभ और क्रूर ग्रहों का प्रवेश होता है तो यह लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले या शादीशुदा जोड़े के रिश्ते को भी बर्बाद करता है। कुंडली में पंचम भाव का अशुभ हो जाने से जोड़े के बीच में अभद्रता, मारपीट, लड़ाई, मनमुटाव, मानसिक तनाव बन जाता और दोनों के अलग हो जाते हैं। कुंडली में यदि पंचम भाव में शुभ ग्रहों का प्रवेश होता है तो रिश्ते अच्छे और लम्बे चलने वाले होते हैं।

यदि आप प्रेम में हैं और अपने साथी के साथ लिव इन रिलेशनशिप शुरू करना चाहते हैं या विवाह के बंधन में बंधना चाहते हैं तो अपने साथी के साथ अपनी कुंडली का मिलान किसी बाद ज्ञानी ज्योतिषी से अवश्य कराएं ताकि जीवन में आने वाली बाधाओं के बारे में आप पहले से जान पाएं और इसके निवारण उपाय आप जान पाएं। आप चाहे तो (Love astrology by name) और (Love astrology by date of birth in hindi) के बारे में या अपने रिश्ते की शुरुआत करने से पहले हमारे इंस्टाएस्ट्रो की ऐप डाउनलोड करके यहाँ के प्रतिष्ठित ज्योतिषयों से बात कर सकते हैं और अपनी कुंडली के बारे में जान सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न- 

1. कुंडली में किस भाव के होने से लिव इन रिलेशनशिप सफल नहीं होता?

कुंडली ने पंचम भाव में अशुभ और क्रूर ग्रहों के होने से लिव इन रिलेशनशिप सफल नहीं होता।

2. क्या पंचम भाव का नकारात्मक प्रभाव खत्म हो सकता है?

यदि आप लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले अपनी कुंडली की जांच किसी प्रतिष्ठित ज्योतिषी से कराएंगे तो इसके गलत प्रभाव से बचा जा सकता है।

3. क्या ज्योतिष के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप में रहना सही है?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार किसी भी रिश्ते को शुरू करने से पहले उसको नाम देना आवश्यक होता है। अगर आप किसी से प्रेम में हैं तो बेहतर होगा आप दोनों विधि के साथ विवाह करें।

4. भारतीय कानून के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप में कौन रह सकते हैं?

भारतीय कानून के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप में, सिंगल, विधवा, तलाकशुदा, विधुर ही रह सकते हैं।

5. कुंडली में लिव इन रिलेशनशिप का योग कैसे बनता है?

पंचम या सप्तम भाव में जब कोई 2 पाप ग्रह प्रवेश करते हैं, तब लिव इन रिलेशनशिप का योग बनता है। और यह कभी विवाह में नहीं बदल पाता।

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लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले अपनी कुंडली के बारे मे जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।

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